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नयी दिल्ली, 14 जून (भाषा) राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार से राज्य ओबीसी सूची की अधिसूचना से संबंधित सिफारिशों और सर्वेक्षण को साझा करने को कहा है।
यह तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच राजनीतिक लड़ाई का केंद्र है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा कि जब पहले की ओबीसी सूची तैयार की गई थी, तब आयोग द्वारा मांगी गई जानकारी राज्य सरकार ने साझा नहीं की थी। बाद में उस सूची को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘हमने उन्हें पुनः पत्र लिखा है।’
भाजपा ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार पर ओबीसी सूची तैयार करने में मुसलमानों को भारी तरजीह देने और हिंदू जातियों के हितों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाया है।
एनबीसीसी के पत्र में कहा गया है कि विस्तृत सर्वेक्षण के आधार पर 27 मई और तीन जून की अधिसूचनाओं के माध्यम से कई जातियों को उप-वर्गीकृत और पश्चिम बंगाल की राज्य ओबीसी सूची में अधिसूचित किया गया है।
आयोग ने पश्चिम बंगाल राज्य आयोग की सिफारिशों के साथ-साथ सम्पूर्ण सर्वेक्षण रिपोर्ट और सभी सहायक दस्तावेज प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है।
इसमें कहा गया है कि यह जानकारी तीन कार्य दिवसों के भीतर उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
भाजपा के तुष्टीकरण की राजनीति के आरोपों के बीच बनर्जी ने राज्य विधानसभा में जोर देकर कहा था कि ओबीसी सूची तैयार करने में धर्म की कोई भूमिका नहीं है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा है कि 2010 की सूची में कुल 66 में से 11 मुस्लिम जातियां थीं। उन्होंने कहा कि नयी सूची में जोड़ी गई 51 जातियों में से 46 मुस्लिम समुदाय से आती हैं।
उन्होंने कहा, ‘अगर यह धर्म आधारित तुष्टीकरण नहीं है तो और क्या है?’
भाषा
शुभम प्रशांत
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