नयी दिल्ली, 14 अप्रैल (भाषा) भारतीय संविधान के निर्माण में बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की महत्वपूर्ण भूमिका सर्वविदित है, लेकिन यह कम लोग जानते हैं कि निर्वाचन आयोग की स्थापना में भी उनका अहम योगदान रहा।
संविधान सभा में उनके द्वारा लाए गए एक संशोधन से आयोग की स्थापना हुई। यह राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पदों तथा लोकसभा, राज्य विधानसभा, राज्यसभा और राज्य विधान परिषद के चुनाव कराने के लिए एक स्वतंत्र निकाय है।
संविधान के कुछ प्रावधान 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाए जाने के तुरंत बाद लागू हो गए, इनमें एक प्रावधान आयोग से संबंधित है। बाकी प्रावधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुए।
भारत के गणतंत्र बनने से एक दिन पहले 25 जनवरी, 1950 को निर्वाचन आयोग अस्तित्व में आया।
विद्वानों के लेखों और संविधान सभा की चर्चा से पता चलता है कि आंबेडकर के संशोधन लाने से पहले, अनुच्छेद 289 के मसौदे में केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग निर्वाचन आयोगों का प्रस्ताव था। लेकिन आंबेडकर ने राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त मुख्य निर्वाचन आयुक्त की अध्यक्षता में एक केंद्रीकृत निकाय का प्रस्ताव रखा।
मसौदा अनुच्छेद 289 में केंद्रीय विधायिका -ऊपरी और निचले सदन (जिसे बाद में लोकसभा और राज्यसभा कहा गया) का चुनाव कराने के लिए एक आयोग का प्रस्ताव किया गया।
इसमें प्रत्येक राज्य या प्रांत के लिए अलग-अलग आयोग का भी प्रस्ताव था। इन आयोगों की नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपालों द्वारा की जानी थी।
संविधान सभा के समक्ष आंबेडकर द्वारा प्रस्तावित नए अनुच्छेद 324 ने राज्य और राष्ट्रीय चुनाव कराने के लिए एकल चुनाव प्राधिकरण के द्वारा चुनाव मशीनरी को केंद्रीकृत कर दिया।
भाषा हक हक अविनाश
अविनाश
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