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Thursday, 25 April, 2024
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भारत में राजदूत डेनिस अलीपोव बोले- अगर जी-7 ने प्राइस कैप लगाया तो तेल की आपूर्ति बंद कर देगा रूस

रूसी राजदूत का कहना है कि वैश्विक बाजारों में आपूर्ति बंद होने से तेल की भारी कमी होगी और कीमतें भी आसमान छूने लगेंगी.

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नई दिल्ली: भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने शुक्रवार को कहा कि अगर जी-7 की तरफ से प्रस्तावित प्राइस कैप को लागू किया गया तो रूस वैश्विक बाजारों में तेल की आपूर्ति बंद कर देगा, और उन देशों को भी आपूर्ति नहीं की जाएगी जो ऐसे किसी मैकनिज्म को लागू करेंगे. उन्होंने साथ ही आगाह किया कि इससे तेल की आपूर्ति में भारी कमी आएगी और कीमतें तेजी से बढ़ने लगेंगी.

अलीपोव ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि मास्को को उम्मीद है कि भारत की तरफ से ऐसे किसी कदम को अपनाया नहीं जाएगा जिसकी ‘अगुआई अमेरिका कर रहा हो.’

अलीपोव ने कहा, ‘मैं तो यही मानता हूं कि अगर इस तरह का कोई कदम (प्राइस कैप) उठाया जाता है तो भारत अपने हितों पर ध्यान देगा..अब तक भारत ने इस विचार पर सजग दृष्टिकोण अपनाया है. यह भारतीय हितों के लिहाज से फायदेमंद नहीं होगा.’

उन्होंने यह भी कहा कि रूस ऐसे किसी तंत्र का पालन नहीं करेगा जो व्यापार के लिए हानिकारक हो.

रूसी राजदूत ने कहा, ‘अगर हमें लगा कि कीमतें हमारे लिए उचित नहीं हैं और हमें अस्वीकार्य हैं, तो हम वैश्विक बाजारों और उन देशों को तेल की आपूर्ति बंद कर देंगे जो प्राइस कैप पर अमेरिकी पहल में शामिल होंगे.’

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उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इससे वैश्विक बाजारों में (तेल की) भारी कमी होगी और कीमतों में तेज उछाल आएगा.’

यूक्रेन के साथ युद्ध के बीच रूसी सेना में रिजर्व सैनिकों की आंशिक तैनाती पर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक कार्यकारी आदेश पर अलीपोव ने कहा, ‘हम जितनी जल्दी हो सके शत्रुता खत्म करने को तैयार हैं. लेकिन ऐसा कब होगा यह एक कठिन सवाल है. निश्चित तौर पर मैं इस बारे में नहीं जानता.’

मोदी की ‘यह युद्ध काल नहीं’ वाली टिप्पणी में कुछ ‘नया नहीं’

रूसी राजदूत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से हाल ही में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से वैमनस्य खत्म करने के लिए कहे जाने और ये टिप्पणी करने की यह ‘युद्ध काल नहीं है’, में कुछ भी नया नहीं है. बल्कि यह रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के पूर्व रुख के अनुरूप ही है.

मोदी ने पिछले सप्ताह उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक के दौरान पुतिन से यह बात कही थी.

उन्होंने कहा, ‘पीएम की टिप्पणी के गूढ़ निहितार्थ निकाले गए जबकि भारत का दृष्टिकोण लगातार यही रहा है….(भारत और रूस के बीच) एक अटूट मित्रता है. पश्चिमी देश केवल उन टिप्पणियों का इस्तेमाल करते हैं जो उनके अनुकूल होती हैं और अन्य हिस्सों की अनदेखी कर देते हैं.’

उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ऊर्जा और उर्वरक आपूर्ति पर व्यापक चर्चा हुई.

उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ समय में रूस की ओर से भारत को उर्वरक की आपूर्ति तीन फीसदी से अधिक बढ़ी है. हम और अधिक आपूर्ति के लिए तैयार हैं…लेकिन मुझे नहीं पता कि तेल खरीद पर कौन से ऑफर दिए गए हैं. ये व्यावसायिक चर्चा का हिस्सा होते हैं.’

भारत को एस-400 मिसाइलों की डिलीवरी पर अलीपोव ने कहा कि इसका यूक्रेन युद्ध से कोई संबंध नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘डिलीवरी शेड्यूल के मुताबिक जारी है. अगर कुछ देरी होती है, तो उसका यूक्रेन के साथ जारी संघर्ष से कोई लेना-देना नहीं है. यह उन लोगों का दुष्प्रचार है जो हमारे बीच रक्षा सहयोग को प्रभावित करना चाहते हैं.’

रूसी राजदूत दूत ने यह भी कहा कि कामोव हेलीकॉप्टरों की बिक्री का मामला भी पूरी तरह पटरी पर है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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