scorecardresearch
शनिवार, 31 मई, 2025
होमदेशअमरावती राजधानी शहर परियोजना आंध्र प्रदेश में फिर से चर्चा में आई

अमरावती राजधानी शहर परियोजना आंध्र प्रदेश में फिर से चर्चा में आई

Text Size:

अमरावती, सात जून (भाषा) आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनावों में तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की शानदार जीत के बाद ‘अमरावती राजधानी शहर परियोजना’ फिर से चर्चा में आ गई है, जिसपर निवर्तमान वाईएसआरसीपी (युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी) सरकार ने पानी फेर दिया था।

विभाजित राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में तेदेपा सुप्रीमो एन चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को राजधानी शहर बनाने का प्रस्ताव रखा था। नायडू 2014 से 2019 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे।

‘ग्रीनफील्ड’ राजधानी शहर को पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बनाने की परिकल्पना की गई थी। यह शहर विजयवाड़ा और गुंटूर शहरों के बीच स्थित है और इसमें 29 गांव शामिल हैं।

नायडू ने अमरावती राजधानी शहर के निर्माण के लिए किसानों से 30,000 एकड़ जमीन अधिगृहीत की थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 अक्टूबर, 2015 को इसके शिलान्यास समारोह में भाग लिया था और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी इसमें शामिल हुए थे, लेकिन नायडू की इस परियोजना को 2019 में उस समय झटका लगा, जब तेदेपा सत्ता से बाहर हो गई और वाई एस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआरसीपी ने शानदार जीत हासिल की।

रेड्डी ने अमरावती राजधानी शहर संबंधी योजनाओं पर पानी फेर दिया और तीन राजधानियों का एक नया सिद्धांत पेश किया, लेकिन 2024 के चुनावों में उनकी पार्टी की करारी हार के बाद यह संकल्पना संभवत: पूरी नहीं होगी।

तेदेपा, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और जनसेना के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की भारी जीत ने अमरावती परियोजना में नयी जान फूंक दी है।

मंगलागिरि विधानसभा क्षेत्र से जीतने वाले तेदेपा महासचिव नारा लोकेश ने चार जून को संवाददाताओं से कहा था कि आगामी सरकार अमरावती को राज्य की एकमात्र राजधानी के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

तेदेपा प्रवक्ता ज्योत्सना तिरुनागरी ने कहा कि अमरावती का निर्माण नयी सरकार की पहली प्राथमिकता होगा।

इस बीच, राजधानी के लिए अपनी जमीन देने वाले अमरावती के किसान भी नायडू की ओर नयी उम्मीद से देख रहे हैं।

एक महिला किसान ने एक क्षेत्रीय समाचार चैनल से कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य अमरावती का निर्माण करना और अमरावती को बचाना है। चंद्रबाबू जीत गए और अमरावती बच गई। बाबू (चंद्रबाबू) के जीतने के बाद चीजें काफी साफ हो गईं और केंद्र सरकार का भी सहयोग मिलेगा।’’

भाषा सिम्मी सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments