नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को यहां राष्ट्रीय समर स्मारक की लौ साथ विलय कर दिया गया।
सैन्य अधिकारियों ने कहा कि अमर जवान ज्योति को बुझाया जाएगा और लोग अब राष्ट्रीय समर स्मारक में अनंत लौ पर शहीद सैनिकों के प्रति अपना सम्मान प्रकट कर सकते हैं।
अमर जवान ज्योति का निर्माण 1971 के युद्ध में भारत द्वारा पाकिस्तान को हराए जाने के बाद युद्ध में जान गंवाने वाले भारतीय सैनिकों के लिए एक स्मारक के रूप में किया गया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी, 1972 को इसका उद्घाटन किया था।
एक संक्षिप्त समारोह में अमर जवान ज्योति का एक हिस्सा लिया गया और उसे इंडिया गेट से 400 मीटर दूर स्थित एनडब्ल्यूएम में जल रही लौ के साथ मिला दिया गया।
एकीकृत रक्षा प्रमुख एयर मार्शल बी.आर. कृष्णा ने समारोह की अध्यक्षता की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी, 2019 को राष्ट्रीय समर स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां ग्रेनाइट के पत्थरों पर 25,942 सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।
ज्योति को राष्ट्रीय समर स्मारक की लौ में विलय करने को लेकर पूर्व सैनिकों की तरफ से मिली जुली प्रतिक्रिया सामने आई है।
पूर्व थलसेना प्रमुख जनरल वेद मलिक ने केंद्र के फैसले का समर्थन किया।
उन्होंने ट्विटर पर कहा कि अब लौ का विलय होना ”स्वाभाविक बात” है क्योंकि राष्ट्रीय समर स्मारक की स्थापना हो चुकी है और शहीद सैनिकों के स्मरण और सम्मान से संबंधित सभी समारोह वहां आयोजित किए जा रहे हैं।
पूर्व एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर ने हालांकि ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए उनसे इस आदेश को रद्द करने की अपील की।
उन्होंने कहा, ”श्रीमान, इंडिया गेट पर जल रही लौ भारतीय मानस का हिस्सा है। आप, मैं और हमारी पीढ़ी के लोग वहां हमारे वीर जवानों को सलामी देते हुए बड़े हुए हैं।”
बहादुर ने कहा कि एक ओर जहां राष्ट्रीय समर स्मारक का अपना महत्व है, वहीं दूसरी ओर अमर जवान ज्योति की स्मृतियां भी अतुल्य हैं।
कांग्रेस ने अमर जवान ज्योति की लौ का राष्ट्रीय समर स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय किए जाने के विषय को लेकर शुक्रवार को आरोप लगाया कि यह कदम सैनिकों के बलिदान के इतिहास को मिटाने की तरह है।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘ बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं…, हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!’’
सरकारी सूत्रों ने कहा कि इस मामले पर काफी गलत जानकारी है और कहा कि अमर जवान ज्योति की लौ को बुझाया नहीं जा रहा है, बल्कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में लौ के साथ मिलाया जा रहा है।
भाजपा नेता संबित पात्रा ने भी एक ट्वीट कर सरकार के रुख को प्रतिध्वनित किया।
सरकारी सूत्रों का कहना है कि यह देखकर विचित्र लगता है कि अमर जवान ज्योति की लौ 1971 एवं दूसरे युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए है, लेकिन इनमें से किसी का नाम वहां मौजूद नहीं है।
सरकारी सूत्रों ने यह भी कहा कि इंडिया गेट पर कुछ उन शहीदों के नाम अंकित हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो अफगान युद्ध में ब्रिटिश शासन के लिए लड़े और ऐसे में ये हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि सभी युद्धों में शहीद हुए भारतीयों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अंकित हैं। उन्होंने कहा कि इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि है।
भाषा
प्रशांत दिलीप
दिलीप
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