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शनिवार, 17 मई, 2025
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एल्युमीनियम पाउडर के कारण गुजरात के गोदाम में विस्फोट हुआ था: पुलिस

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(फाइल फोटो के साथ)

डीसा (गुजरात), दो अप्रैल (भाषा) फोरेंसिक जांच में पुष्टि हुई है कि पटाखा बनाने में इस्तेमाल होने वाले तत्वों में से एक एल्युमीनियम पाउडर की मौजूदगी के कारण गुजरात के डीसा कस्बे के निकट स्थित गोदाम में भीषण विस्फोट हुआ था और आग लग गई थी। एक दिन पहले हुए इस विस्फोट में 21 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अक्षयराज मकवाना ने संवाददाताओं को बताया कि फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) की एक टीम को एल्युमीनियम पाउडर के अलावा उस गोदाम से पीला डेक्सट्रिन पाउडर भी मिला है, जहां पटाखे रखे गए थे।

एसपी ने स्वीकार किया कि दोनों पदार्थों का इस्तेमाल पटाखा बनाने के लिए किया जाता है। उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि यह पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जा रही है कि गोदाम में पटाखों का निर्माण किया गया था या नहीं।

मंगलवार सुबह लगभग नौ बजकर 45 मिनट पर जिस गोदाम में विस्फोट हुआ, वह बनासकांठा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर डीसा कस्बे के निकट एक औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है।

अधिकारियों ने बताया कि विस्फोट के कारण एक इमारत की आरसीसी छत का हिस्सा गिर गया था, जिसके नीचे दबकर परिसर में रहने वाले कुछ श्रमिकों के परिवार के सदस्यों की मौत हो गई।

मकवाना ने बताया कि पुलिस ने मंगलवार रात को पड़ोसी साबरकांठा जिले से गोदाम मालिक दीपक मोहनानी और उसके पिता खूबचंद मोहनानी को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि दोनों के खिलाफ डीसा में प्राथमिकी दर्ज की गई है।

एसपी ने बताया कि दोनों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या और विस्फोटक अधिनियम तथा विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मकवाना ने बताया, ‘‘पटाखों के अलावा एफएसएल टीम को गोदाम से एल्युमीनियम पाउडर भी मिला। पीले रंग का डेक्सट्रिन युक्त एक बैग भी मिला। दोनों सामग्रियों का इस्तेमाल पटाखा बनाने में होता है। एफएसएल ने हमें बताया कि विस्फोट के लिए एल्युमीनियम पाउडर ही कारण था।’’

उन्होंने बताया कि एल्युमीनियम पाउडर के कई अन्य उपयोग भी हैं और इसे बिना किसी लाइसेंस के खुले बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है क्योंकि यह ज्वलनशील होने के बावजूद ‘‘गैर-विस्फोटक’’ पदार्थ है।

मकवाना ने कहा, ‘‘आरोपियों ने यह स्वीकार नहीं किया है कि गोदाम में पटाखे बनाए जा रहे थे। चूंकि हमें ये पदार्थ मिले हैं, इसलिए हम इस दिशा में विस्तृत जांच करेंगे। हम पटाखा बनाने के लिए मुख्य सामग्री ऑक्सीडाइजर की मौजूदगी की भी जांच कर रहे हैं।’’

डीसा की उप-मंडल मजिस्ट्रेट नेहा पंचाल ने मंगलवार को कहा था कि गोदाम ने शुरू में पटाखे रखने का लाइसेंस लिया था, लेकिन 31 दिसंबर को लाइसेंस समाप्त होने के बाद इसे नवीनीकृत नहीं किया गया था।

उन्होंने कहा कि लाइसेंस केवल पटाखों को रखने के लिए था। उन्होंने कहा, ‘‘प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि वे अवैध रूप से पटाखे बना रहे थे।’’

एसपी ने कहा कि जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि दीपक मोहनानी को लगभग तीन साल पहले क्रिकेट सट्टेबाजी रैकेट में संलिप्तता के आरोप में पकड़ा गया था।

उन्होंने कहा कि घटना की जांच के लिए रेंज आईजी (महानिरीक्षक) चिराग कोराडिया द्वारा गठित पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) के अलावा, आरोपियों के बैंक लेन-देन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड का विश्लेषण जैसे अन्य पहलुओं की जांच-पड़ताल करने के लिए सात अन्य टीम भी गठित की गई हैं।

भाषा

सुरभि देवेंद्र

देवेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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