भुवनेश्वर, सात दिसंबर (भाषा) ओडिशा की पूर्ववर्ती नवीन पटनायक सरकार के दौरान कथित नौकरी घोटाले और अदाणी मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के बयान पर विपक्षी बीजद और कांग्रेस सदस्यों के हंगामे के कारण शनिवार को राज्य विधानसभा की कार्यवाही तीन बार स्थगित करनी पड़ी।
मुख्य विपक्षी बीजू जनता दल (बीजद) के विधायकों के प्रदर्शन के कारण दोपहर के भोजन से पहले की कार्यवाही बाधित हुई, जिन्होंने मुख्यमंत्री से शुक्रवार के उनके इस बयान पर स्पष्टीकरण की मांग की कि पिछले शासन के दौरान सरकारी नौकरियां बेची गईं थीं।
वहीं, दोपहर बाद की सदन की कार्यवाही के दौरान कांग्रेस सदस्यों ने अदाणी ‘‘रिश्वत मामले’’ की न्यायिक जांच की मांग की।
अध्यक्ष सुरमा पाढी द्वारा सोमवार सुबह 10.30 बजे तक के लिए स्थगन की घोषणा किए जाने से पहले पूरे दिन सदन केवल 15 मिनट ही चल सका।
माझी ने शुक्रवार को विधानसभा में ओडिशा लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 पेश करते हुए आरोप लगाया था कि पिछली बीजद सरकार के दौरान सरकारी भर्ती में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं और लाखों रुपये में नौकरियां बेची गईं।
उन्होंने आरोप लगाया कि सहायक अनुभाग अधिकारियों (एएसओ) और जूनियर इंजीनियरों की भर्ती में अनियमितताएं हुईं।
बीजद ने इस बयान की कड़ी निंदा की और मुख्यमंत्री से आरोपों को साबित करने या फिर अपना बयान वापस लेने को कहा।
शनिवार को सुबह 10.30 बजे जैसे ही प्रश्नकाल के लिए सदन की कार्यवाही शुरू हुई, बीजद सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के आसन के करीब आ गए और मुख्यमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग करते हुए नारेबाजी करने लगे।
सदन की कार्यवाही केवल तीन मिनट ही चल सकी। प्रदर्शनकारी बीजद सदस्यों द्वारा नारेबाजी बंद करने से इनकार किए जाने पर विधानसभा अध्यक्ष ने कार्यवाही स्थगित कर दी।
पूर्वाह्न 11.30 बजे जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुई तो बीजद की मुख्य सचेतक प्रमिला मलिक ने माझी के बयान की कड़ी निंदा की और कहा कि इस तरह की टिप्पणी मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देती।
उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से मुख्यमंत्री के बयान को विधानसभा के रिकॉर्ड से हटाने का आग्रह किया।
मलिक ने कहा कि माझी का बयान उन मेधावी विद्यार्थियों का अपमान है, जिन्हें हाल में भर्ती किया गया है।
उन्होंने माझी से स्पष्टीकरण मांगते हुए कहा, ‘‘मुख्यमंत्री का बयान विभिन्न सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों को भी हतोत्साहित करेगा। इसलिए इसे विधानसभा के रिकॉर्ड से हटा दिया जाना चाहिए।’’
भाजपा सदस्य संतोष खटुआ ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार के दौरान भर्तियों में अनियमितताएं हुईं।
खटुआ ने कहा, ‘‘इसलिए भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अब नया कानून पारित किया गया है। विधानसभा के बहुमूल्य समय को बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है।’’
बीजद सदस्यों ने फिर से हंगामा किया और अध्यक्ष से निर्णय लेने की मांग की।
शोरगुल के बीच पाढी ने सदन की कार्यवाही शाम चार बजे तक स्थगित कर दी।
शाम चार बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो बीजद सदस्य चुप रहे, लेकिन कांग्रेस विधायक ओडिशा सरकार के उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए नारे लगाने लगे, जिन्होंने कथित तौर पर हरित ऊर्जा की खरीद के लिए एक कथित सौदे में अदाणी समूह से रिश्वत ली थी।
नारेबाजी कर रहे कांग्रेस सदस्यों ने सदन में तख्तियां प्रदर्शित कीं और मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
कांग्रेस विधायकों के हंगामे के कारण सदन चलाने में असमर्थ अध्यक्ष पाढी ने कैग रिपोर्ट पेश करने की अनुमति देने के बाद कार्यवाही सोमवार सुबह 10.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा में विपक्ष के नेता नवीन पटनायक सदन में उस समय मौजूद थे, जब उनकी पार्टी के सदस्य दोपहर के भोजन से पहले की कार्यवाही के दौरान आसन के समीप पहुंच गए।
हालांकि, माझी सदन में मौजूद नहीं थे। वह मयूरभंज जिले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे।
विधानसभा के बाहर, बीजद सदस्य गौतम बुद्ध दास ने मुख्यमंत्री से आरोपों को साबित करने या ‘‘गैर-जिम्मेदाराना’’ बयान देने के लिए सदन में माफी मांगने को कहा।
बीजद सदस्य गणेश्वर बेहरा ने माझी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा, ‘‘मुख्यमंत्री को कथित अनियमितताओं में शामिल लोगों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए।’’
भाषा नेत्रपाल देवेंद्र
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