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Sunday, 3 November, 2024
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इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश- लखनऊ में सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के पोस्टर्स तुरंत हटाए जाएं

कोर्ट ने इसे राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन माना है और लखनऊ के डीएम व कमिश्नर से होर्डिंग्स हटाकर 16 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

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लखनऊ: लखनऊ में एंटी- प्रोटेस्टर्स के होर्डिंग्स लगाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रशासन को तुरंत सभी पोस्टर्स व होर्डिंग्स हटाने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट ने लखनऊ के डीएम व कमिश्नर से होर्डिंग्स हटाकर 16 मार्च तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है. कोर्ट ने इसे राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लंघन माना है.

बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने लखनऊ प्रशासन से सवाल किया था कि किस कानून के तहत ये पोस्टर्स लगाए गए. इस मामले में रविवार को सुबह 10 बजे होनी थी लेकिन सरकार के वकील के न पहुंचने के कारण दोपहर 3 बजे हुई जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि सोमवार को फैसला सुनाया जाएगा.

बता दें बीते गुरुवार को एंटी सीएए प्रोटेस्ट के बाद हिंसा के आरोपियों के 50 से अधिक होर्डिंग्स लखनऊ में सड़क किनारे लगाए गए.

लखनऊ के चौराहों पर लगे होर्डिंग्स में सार्वजनिक और निजी सम्पत्तियों को हुए नुकसान की डिटेल्स हैं. इसके अलावा ये भी लिखा है कि सभी से नुकसान की भरपाई की जाएगी. पोस्टर्स में पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी, सोशल एक्टिविस्ट व कांग्रेस नेता सदफ जफर, थिएटर आर्टिस्ट दीपक कबीर के भी नाम हैं.

अजय लल्लू ने योगी सरकार के कदम को असंवैधानिक बताया

कांग्रेस के यूपी चीफ अजय लल्लू ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा, ‘हाईकोर्ट ने प्रदेश की अहंकारी योगी सरकार के उस फैसले पर तुरंत रोक लगाई जिसके तहत इसने अपने स्तर से ही लखनऊ के कुछ व्यक्तियों को तथाकथित रूप से अपराधी और दंगाई बता करके सार्वजनिक सम्पत्ति नष्ट करने का दोषी मान लिया था और उन लोगों से वसूली हेतु उनके फोटो व पता वाले होर्डिंग्स लगाए गए. योगी सरकार का यह कदम पूरी तरह असंवैधानिक, मनमाना और तानाशाही पूर्ण था क्योंकि किसी भी अपराधी पर दोष सिद्ध करने का अधिकार न्यायालय को प्राप्त है न कि किसी सरकार को.’

उन्होंने कहा, ‘जबसे बीजेपी सरकार में आयी है तबसे पूरी सरकार एक वर्ग विशेष के प्रति विद्वेषपूर्ण रवैया रखती है और उसे परेशान करने के लिए सारी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार करने पर अमादा है.’


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योगी सरकार को झटका

सरकार से सूत्रों की मानें तो योगी सरकार के आदेश पर लखनऊ जिला प्रशासन ने ये पोस्टर लगाए गए थे. सीएम योगी भी कई बार अपनी रैलियों में प्रदर्शकारियों से हर्जाना वसूलने की बात कह चुके हैं.

कई मंत्री व प्रवक्ता भी अक्सर ये बात कहते आए हैं लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले योगी सरकार को करारा झटका दिया है.

दिप्रिंट से बातचीत में एसआर दारापुरी ने कहा, ‘हाईकोर्ट ने सरकार को करारा झटका दिया वरना ये सरकार हमारी लिंचिंग कराना चाहती थी. जिस तरह हमारे फोटो, एड्रेस को सार्वजनिक किया गया ये राइट टू प्राइवेसी का हनन है. मैंने होम सेक्रेटरी और डीजीपी को उसी दिन पत्र लिखकर कहा था कि ये हमारी निजता के अधिकार का हनन है. कोई कैसे किसी के होर्डिंग बिना कोर्ट की इजाजत के शहर मेॆ लगा सकता है.’

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