प्रयागराज (उत्तर प्रदेश): इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर कथित भड़काऊ बयानों के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत आरोपित डॉ. कफील खान को सशर्त जमानत दे दी है.
Allahabad High Court grants conditional bail to Dr Kafeel Khan (in file pic).
He was booked under National Security Act (NSA) & arrested from Mumbai in January this year, for his alleged provocative speech at Aligarh Muslim University in December 2019, amid anti-CAA protests. pic.twitter.com/udv7ni1u0g
— ANI UP (@ANINewsUP) September 1, 2020
गौरतलब है कि यह आदेश सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 15 दिनों में डॉ. कफील खान की रिहाई से संबंधित याचिका को निपटाने के लिए उच्च न्यायालय को आदेश देने के बाद आया है. 12 दिसंबर, 2019 को सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित रूप से भड़काऊ बयान देने के बाद खान को जनवरी में मुंबई से उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स ने गिरफ्तार किया था.
उन्हें 14 फरवरी, 2020 को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत आरोपित किया गया था.
खान 29 जनवरी 2020 से जेल में हैं, उन्हें 12 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण देने के लिए गिरफ्तार किया गया था. अगले दिन उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153A ( धर्म के आधार पर विभिन्न समूह में शत्रुता को बढ़ावा) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. प्राथमिकी में उनके भाषण को ‘समुदायों के बीच सद्भाव को बाधित करने की कोशिश’ करने के लिए दोषी ठहराया गया था.
बाद में, धारा 153 बी (अभियोगों, राष्ट्रीय एकीकरण के लिए पूर्वाग्रह से जुड़े दावे) और 505 (2) (वर्गों के बीच दुश्मनी, घृणा या बीमार पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) को एफआईआर में जोड़ा गया था, जो उनके भाषण से कुछ वाक्यों का उल्लेख करता है. इसमें मोटा भाई और आरएसएस उनके स्पीच में शामिल थे.
बढ़ाया गया था 3 महीने के लिए डिटेंशन
वहीं इससे पहले 14 अगस्त को उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) 1980 के तहत डॉ. कफील खान की डिटेंशन को 3 महीने के लिए बढ़ा दिया था.
4 अगस्त को जारी आदेश में कहा गया था कि यह निर्णय एनएसए सलाहकार बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर लिया जा रहा है, जिसका गठन सरकार द्वारा अधिनियम के तहत मामलों और अलीगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट से निपटने के लिए किया गया है.
गृह (सुरक्षा) विभाग के उप सचिव विनय कुमार द्वारा हस्ताक्षरित आदेश में कहा गया था कि उनकी हिरासत के लिए पर्याप्त आधार थे. डॉक्टर वर्तमान में उत्तर प्रदेश की मथुरा जेल में बंद हैं.