मुंबई, 10 अप्रैल (भाषा) साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान आतंकी अजमल कसाब को पकड़ने वाली टीम में शामिल सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 26/11 हमले की साजिश में शामिल सभी आरोपियों पर भारत की अदालतों में मुकदमा चलाया जाना चाहिए और उन्हें मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।
सेवानिवृत्त अधिकारी हेमंत बावधनकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए 26/11 हमलों के प्रमुख साजिशकर्ताओं में से एक तहव्वुर हुसैन राणा के भारत में सफल प्रत्यर्पण पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण(एनआईए) को बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘न केवल मेरी, बल्कि सभी भारतीयों की यह भावना है कि 26/11 के आतंकवादी हमलों में शामिल आरोपियों को भारत में मुकदमा चलाकर मृत्युदंड दिया जाना चाहिए।’
बावधनकर ने कहा, ‘यदि हम मुंबई आतंकवादी हमलों की साजिश में शामिल सभी आरोपियों को दंडित कर पाते हैं, तो इससे हमारे शहीदों और निर्दोष नागरिकों को न्याय मिलेगा। ऐसा मैं महसूस करता हूं।’
आतंकवादियों द्वारा 26 नवंबर 2008 को महानगर में विभिन्न स्थानों पर हमले शुरू करने के तुरंत बाद, बावधनकर नाकाबंदी अभियान के तहत अपनी टीम के साथ दक्षिण मुंबई के गिरगांव चौपाटी पर तैनात थे। वह उस समय पुलिस निरीक्षक थे।
इस टीम में शामिल सहायक पुलिस उपनिरीक्षक तुकाराम ओंबले ने आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। कसाब ने अबू इस्माइल के साथ मिलकर एक कार को अगवा कर लिया था। केवल एक डंडे से लैस ओंबले ने कार में बैठे आतंकवादियों का सामना किया और इस दौरान वह शहीद हो गए।
बावधनकर और टीम के अन्य सदस्यों ने बाद में कसाब को जीवित पकड़ लिया, जबकि अबू इस्माइल अधिकारी द्वारा चलाई गई गोली से मारा गया।
कसाब पाकिस्तानी समूह का एकमात्र आतंकवादी था जिसे जीवित पकड़ा गया था।
पाकिस्तान के 10 आतंकवादियों के एक समूह ने 26 नवंबर 2008 को अरब सागर में समुद्री मार्ग से भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई में घुसपैठ करने के बाद एक रेलवे स्टेशन, दो आलीशान होटलों और एक यहूदी केंद्र पर हमला किया था। इन हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी जिनमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल थे।
भाषा नोमान माधव
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