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मंगलवार, 22 अप्रैल, 2025
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मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का बड़ा फ़ैसला, अयोध्या मामले में रिव्यू पिटीशन दाखिल करेगा

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा, हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हमारी पिटीशन 100 प्रतिशत खारिज हो जाएगी. लेकिन हमें रिव्यू पिटीशन डालनी चाहिए. यह हमारा अधिकार है. 

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नई दिल्ली: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को लखनऊ में हुई बैठक के दौरान एक बड़ा फै़सला लिया है. बोर्ड ने अयोध्या ज़मीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फ़ैसले को लेकर रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का फ़ैसला किया है.

ताज़ा बैठक में ना सिर्फ रिव्यू पिटीशन दाखिल करने का फ़ैसला किया गया है बल्कि ये भी तय किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई पांच एकड़ ज़मीन नहीं ली जाएगी. वहीं, याचिका दायर करने के लिए 30 दिन का समय तय किया गया जिसके भीतर इसे दायर किया जाएगा.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने कहा, हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हमारी पिटीशन 100 प्रतिशत खारिज हो जाएगी. लेकिन हमें रिव्यू पिटीशन डालनी चाहिए. यह हमारा अधिकार है.

 

ऐन वक्त पर बदला गया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक का जगह

अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने के मसले पर रविवार को होने वाली ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की बैठक की जगह को ऐन वक्त पर बदल दिया गया.

बोर्ड की बैठक पहले लखनऊ स्थित नदवतुल उलमा में होनी थी, मगर बाद में इसे मुमताज कॉलेज में आयोजित करने का फैसला किया गया.

बैठक में शामिल बोर्ड के एक वरिष्ठ सदस्य ने बताया कि उन्हें शनिवार रात बताया गया था कि जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू होने की बात कहकर नदवा में बैठक आयोजित करने से मना कर दिया है. इसीलिये अब यह बैठक मुमताज कॉलेज में होगी.

हालांकि वह यह नहीं बता सके कि बोर्ड ने मुमताज कॉलेज में बैठक करने के लिये जिला प्रशासन से अनुमति ली है या नहीं?

अयोध्या मसले पर उच्चतम न्यायालय के हाल के निर्णय के खिलाफ अपील दायर करने और मस्जिद के बदले जमीन लेने या न लेने के प्रमुख विषयों पर चर्चा के लिये बोर्ड की बैठक बुलायी गयी थी. इस बीच, बैठक से निकले जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि मस्जिद हमारी नाक का मसला नहीं है. यह शरीया कानून का मसला है. हम न मस्जिद दे सकते हैं न उसके बदले कुछ ले सकते हैं.

उन्होंने कहा कि बोर्ड ने इन मसायल पर विचार के लिये एक कमेटी बनायी थी. वह तीन दिन से विचार कर रही थी. मुझे पता चला है कि कमेटी ने बोर्ड को अपनी रिपोर्ट दे दी है. कमेटी का कहना है कि हम जानते हैं कि हमारी पुनर्विचार याचिका खारिज होगी, मगर हमें यह कदम उठाना चाहिये.

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ )

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