नई दिल्ली: भारतीय वायु सेना का दुर्घटनाग्रस्त मालवाहक एएन-32 का मलबा मिल गया है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक विमान का ब्लैक बॉक्स और विमान में सवार सभी 13 लोगों की बॉडी रिकवर कर ली गई है. भारतीय वायु सेना द्वारा दुर्घटनाग्रस्त जगह से हेलीकॉप्टर की मदद से मृतकों का शरीर लाया जाएगा. बता दें कि मंगलवार को सेना द्वारा चलाए जा रहे सर्च अभियान में वायुसेना के एमआई-17 और एएलएच का उपयोग कया जा रहा है.’ जिस स्थान पर भारतीय वायु सेना के विमान एएन-32 का मलबा देखा गया था. जहां यह मलवा दिखा वह अरुणाचल प्रदेश के लिपो के उत्तर में 16 किलोमीटर दूर पहाड़ियों के बीच में था. यह स्थान शि योमी जिले के पयूम क्षेत्र के अंतर्गत गैट्टे से लगभग 12 से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है.
इससे पहले भारतीय वायु सेना और अरुणाचल प्रदेश के नागरिक प्रशासन ने एएन-32 विमान के दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए बुधवार से लगातार प्रयास कर रही थी और बड़े पैमाने पर खोज अभियान भी चलाया जा रहा था. वहीं आज सुबह सेना ने विमान दुर्घटना में शामिल 13 लोगों के मारे जाने की पुष्टि कर दी थी. आईएएफ ने बताया कि परिवार वालों को सूचना दे दी गई है कि इस दुर्घटना में किसी के भी बचने की संभावना नहीं है. आज भारतीय वायुसेना ने इस दुर्घटना में मारे गए लोगों के नाम भी सार्वजनिक कर दिए हैं जिसमें जीएम चार्ल्स, एच विनोद, आर थापा, ए तंवर, ए मोहंती, एम के गर्ग, केके मिश्रा, अनूप कुमार, शेरीन, एस के सिंह, पंकज, पुतली और राजेश कुमार.
All 13 bodies and black box of the #AN-32 transport aircraft recovered. Choppers would be used to ferry the bodies from the crash site in Arunachal Pradesh. pic.twitter.com/CN4d5ekl5t
— ANI (@ANI) June 13, 2019
डिफेंस पीआरओ विंग कमांडर रत्नाकर सिंह ने कहा, ‘हेलीकॉप्टरों द्वारा दुर्घटना स्थल पर टीमों को भेजने के साथ बचाव अभियान शुरू हो गया है. इस अभियान में सेना के एमआई-17 और एएलएच का उपयोग कया जा रहा है.’ जिस स्थान पर भारतीय वायु सेना के विमान एएन-32 का मलबा देखा गया है, वहां पिछले दो दिनों से भारतीय वायुसेना गहन खोज अभियान चला रही है लेकिन इसमें कोई सफलता नहीं मिली है. बता दें कि विमान का मलवा अरुणाचल प्रदेश के लिपो के उत्तर में 16 किलोमीटर दूर पहाड़ियों पर देखा गया. यह स्थान शि योमी जिले के पयूम क्षेत्र के अंतर्गत गैट्टे से लगभग 12 से 15 किलोमीटर दूर पश्चिम में स्थित है.
मलबा मंगलवार दोपहर को देखा गया जब भारतीय वायुसेना, सेना और नागरिक प्रशासन की संयुक्त टीमों ने क्षेत्र में हवाई सर्वे किया. शि योमी जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘ग्राउंड पार्टियों को दुर्घटना स्थल तक पहुंचने में कुछ समय लग सकता है. इस क्षेत्र में काफी पेड़-पौधे हैं और दुर्गम इलाके में अक्सर जमीनी खोज दल को आगे बढ़ने में मुश्किलें आती हैं.’
IAF: Following air-warriors lost their lives in #AN32 aircraft crash: Warrant Officer KK Mishra, Sergeant Anoop Kumar, Corporal Sherin, Lead Aircraft Man SK Singh, Lead Aircraft Man Pankaj, Non-combatant Employee Putali & Non-combatant Employee Rajesh Kumar. (2/2) https://t.co/FDDgLZ1lJW
— ANI (@ANI) June 13, 2019
हालांकि वायुसेना ने मलबे को ढूंढ़ लिया है, लेकिन विमान में सवार 13 लोगों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी थी. गुरुवार को वायुसेना ने सभी सवारों के मारे जाने की घोषणा करते हुए उनके नाम भी सार्वजनिक कर दिए. बता दें कि मालवाहक विमान एएन-32 तीन जून को अरुणाचल प्रदेश के मेचुका के लिए जोरहाट एयरबेस से उड़ान भरी थी.
मंगलवार को नौ दिनों से गायब भारतीय वायुसेना के लापता विमान एएन-32 का मलबा मिला. इसे वायु सेना के हेलीकॉप्टर एमआई-17 ने खोजा है. एएन-32 का मलबा हवाई रास्ते के 15-20 किलोमीटर की दूरी पर अरुणाचल प्रदेश के लिपो से उत्तर दिशा में मिला है.
पिछले नौ दिनों से गायब विमान को खोजने में भारतीय वायु सेना ने दिन रात एक कर दिया था. गायब विमान की खोज में पूरी तरह से वायु सेना मिशन की तरह से काम कर रहा था. पिछले दिनों इस विमान के बारे में किसी भी तरह की जानकारी देने वाले को वायु सेना ने पांच लाख रुपये तक देने की घोषणा की थी.
एएन-32 भारतीय वायुसेना का माहवाहक विमान है. 3 जून को असम के जोरहाट से विमान ने अरुणाचल प्रदेश के लिए उड़ान भरी थी लेकिन वह गायब हो गया था. इसमें 13 लोग सवार थे. मंगलवार को एमआई-17 हेलीकॉप्टर एकबार फिर हवाई यान को खोजने निकला और उसे लापता विमान का मलबा अरुणाचल प्रदेश में ही मिला.
बता दें कि पिछले दिनों खराब मौसम की वजह से वायुसेना का तलाशी अभियान प्रभावित हुई थी.लापता विमान एएन-32 को ढ़ूढ़ने के लिए भारतीय वायु सेना अपने सभी संसधानों का इस्तेमाल किया गया था. वे इस काम के लिए सेना, अरुणाचल प्रदेश सिविल अथॉरिटी और अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों की भी मदद ली गई थी.