नई दिल्ली: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पूर्वी-मध्य अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र के पास भारत के पूर्वी तट पर एक चक्रवाती तूफान आकार ले रहा है.
1 जून तक, चक्रवात पणजी (गोवा) से लगभग 360 किमी दक्षिण-पश्चिम में, मुंबई से 670 किमी दक्षिण-पश्चिम (महाराष्ट्र) और सूरत (गुजरात) से 900 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है.
यह 3 जून की शाम के दौरान हरिहरेश्वर (रायगढ़, महाराष्ट्र) और दमन के बीच उत्तर महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के तटों को पार करेगा.
चक्रवात अम्फान के मुकाबले, जिसे पश्चिम बंगाल के विनाशकारी चक्रवाती तूफान के रूप में वर्गीकृत किया गया था, चक्रवात निसारगा के तट से टकराकर कम तीव्र होने की उम्मीद है.
3 जून से कोंकण और गोवा में काफी तेज बारिश हो सकती है. महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में भी 3-4 जून के बीच भारी बारिश होगी.
2 जून की सुबह से पूर्व-मध्य अरब सागर और कर्नाटक-दक्षिण महाराष्ट्र के तटीय इलाकों में 65-70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से लेकर 85 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है.
3 जून तक, हवा की गति महाराष्ट्र और गुजरात के तटों के साथ पूर्व-मध्य और उत्तर-पूर्व अरब सागर में 90-100 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाएगी जो बढ़कर 110 किमी प्रति घंटे भी हो सकती है.
चक्रवातों का नाम कैसे रखा जाता है
आईएमडी ने अप्रैल में विश्व मौसम विभाग (डब्ल्यूएमओ) पैनल द्वारा अपनाए गए 169 चक्रवात नामों की नई सूची जारी की है.
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इस सूची का उपयोग हिंद महासागर के उत्तर में बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम के लिए किया जाएगा.
निसारगा, सूची में पहला नाम है जिसे बांग्लादेश द्वारा प्रस्तावित किया गया है.
चक्रवात कैसे बनते हैं
उष्णकटिबंधीय चक्रवात भूमध्य रेखा के पास गर्म समुद्र के पानी के कारण बनते हैं. गर्मी के कारण समुद्र के ऊपर से गर्म, नम हवा निकलती है, जिससे हवा के कम दबाव वाला क्षेत्र बनता है.
आसपास के क्षेत्र से ठंडी हवा कम दबाव वाले क्षेत्र में आती है. ऐसा होने से ये हवा भी गर्म हो जाती है. इस प्रक्रिया में ज्यादा से ज्यादा ठंडी हवा कम दबाव वाले क्षेत्र में प्रवेश करती रहती है जो एक चक्रवाती तूफान का रुप ले लेती है.
गर्म हवा में मौजूद पानी के कण ऊपर उठते हैं और ठंडे होने के बाद बादल का रुप ले लेते हैं. बादलों और हवाओं की ये प्रक्रिया चलती रहती है. यह प्रक्रिया महासागर की सतह से निकलने वाली गर्मी और वाष्पिकरण से होती रहती है.
तूफान की प्रक्रिया तेजी से घूमती रहती है जिससे उसके केंद्र में एक आंख जैसी स्थिति बनती है. जिसके चारों ओर स्थितियां बहुत शांत और स्पष्ट होती हैं. जब हवा की गति 119 किमी प्रति घंटे तक पहुंच जाती है, तो तूफान को आधिकारिक तौर पर ‘उष्णकटिबंधीय चक्रवात’ कहा जाता है.
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उष्णकटिबंधीय चक्रवात आमतौर पर जमीन से टकराने के बाद कमजोर पड़ जाते हैं क्योंकि उसके बाद समुद्र के गर्म पानी का प्रवेश उसमें नहीं होता है. हालांकि कई सेंटीमीटर बारिश होती है और तूफान के खत्म होने से पहले अक्सर काफी तेज हवा चलती है जो नुकसान पहुंचाती है.
तेज हवाएं तटीय इलाकों में पानी लेकर भी आती हैं जिससे बाढ़ आ सकती है. यह घटना तटीय क्षेत्रों के लिए खतरनाक हो सकती है, जिसे स्टोर्म सर्ज के नाम से जाना जाता है.
हवा की तेजी (ताकत) और इससे होने वाले नुकसान के आधार पर चक्रवात को पांच वर्गों में बांटा गया है.
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