scorecardresearch
Saturday, 20 April, 2024
होमदेशसाक्ष्यों के अभाव में सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले के सभी 22 आरोपी बरी 

साक्ष्यों के अभाव में सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले के सभी 22 आरोपी बरी 

सीबीआई की अदालत ने संतोषजनक गवाहों और सबूतों के अभाव में सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ और कौसर बी के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया.

Text Size:

दिल्लीः केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने संतोषजनक गवाहों और सबूतों के अभाव में शुक्रवार को सोहराबुद्दीन शेख, तुलसीराम प्रजापति मुठभेड़ और कौसर बी के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में सभी 22 आरोपियों को बरी कर दिया. विशेष अदालत के न्यायाधीश एस.जे. शर्मा ने कहा, ‘2005 के मुठभेड़ मामलों में साजिश और हत्या का जुर्म साबित करने के लिए पेश सबूत और गवाह संतोषजनक नहीं हैं.’

अदालत ने कहा कि मामलों में परिस्थितिजन्य साक्ष्य ठोस नहीं हैं.

सोहराबुद्दीन और उसके सहयोगी प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों के बाद सोहराबुद्दीन की पत्नी कौसर बी के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या के मामले में 12 साल बाद यह फैसला आया है.

गुजरात-राजस्थान पुलिस के 21 निचले दर्जे के अधिकारियों सहित 22 आरोपियों को बरी कर दिया गया है, जिसमें एम.एल. परमार, रमन सिंह, नारायण सिंह धाबी, श्याम सिंह, अब्दुर रहमान, हिमांशु सिंह राजावत, बालकृष्ण चौबे, राजूभाई जीरावाला, अजय परमार, शांतिराम शर्मा, युद्धवीर सिंह, करतार सिंह, नारायण सिंह जाट, विजय कुमार राठौड़, सी.पी. श्रीनिवास राव, जेतु सोलंकी, किरण सिंह चौहान, विनोद लिंबाचिया, कांजीभाई कच्छी, करण सिंह सिसोदिया, आशीष पांड्या और नरेश चौहान शामिल रहे.


यह भी पढ़ें: रोटी चावल के लिए अपना सिर नहीं झुका सकता: जस्टिस कुरियन जोसेफ


अभियोजन पक्ष के अनुसार, गुजरात के आतंकवाद-रोधी दल (एटीएस) ने 26 नवंबर, 2005 को सोहराबुद्दीन को कथित मुठभेड़ में मार गिराया था.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

प्रजापति भी इसी तरह के हालात में 28 दिसंबर, 2006 को मारा गया था. वहीं, कौसर बी जो अपने पति सोहराबुद्दीन के अपहरण की गवाह थी, उसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी.

इन हत्याओं के कारण गुजरात में तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार विवादों में फंस गई थी, क्योंकि इसमें राजनीति सहित भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के नाम शामिल थे.

अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि सोहराबुद्दीन के लश्कर-ए-तैयबा और अन्य आतंकवादी समूहों के साथ संबंध थे और वह गुजरात के एक बड़े नेता संभवतः तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, जो अब प्रधानमंत्री हैं, की हत्या की साजिश रच रहे थे.

इस मामले में पहले कुल 37 आरोपी थे. इनमें से 16, जिसमें अधिकांश राजनेता और आईपीएस अधिकारी थे, को बाद में मुंबई में विशेष सीबीआई और उसके बाद मुम्बई उच्च न्यायालय ने आरोपमुक्त कर दिया था. इस मामले में शुरुआत में बरी हुए नामों में गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री अमित शाह (मौजूदा भाजपा अध्यक्ष), राजस्थान के तत्कालीन गृहमंत्री जी.सी. कटारिया, उच्च स्तर के एटीएस अधिकारी व डीआईजी डी.जी. वंजारा, पुलिस अधीक्षक एम.एन. दिनेश और आर.के. पांड्या सहित अन्य शामिल हैं.

share & View comments