नयी दिल्ली, दो अगस्त (भाषा) भारतीय अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि अयमान अल-जवाहिरी का मारा जाना भारत में अलकायदा समर्थकों और सहयोगियों के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है। हालांकि, उन्होंने तालिबान द्वारा जवाहिरी को काबुल में पनाह दिए जाने पर चिंता जताई और कहा कि मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी संगठन को भी ऐसी सुविधाएं मिल सकती हैं।
साल 2011 में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अलकायदा प्रमुख बने जवाहिरी को सीआईए ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में एक घर पर हमला करके मार गिराया है। काबुल पर इस समय तालिबान का नियंत्रण है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि जवाहिरी के मारे जाने से भारत में अलकायदा समर्थकों और कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ने की संभावना है। हाल ही में, वे भारत में प्रचार अभियान चला रहे थे और अल-कायदा के संगठनात्मक तंत्र के पुनर्निर्माण की कोशिश कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि यह भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) जैसे उसके क्षेत्रीय सहयोगियों के मंसूबों पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि तालिबान और अल-कायदा के बीच बेहद घनिष्ठ संबंधों की बात इस तथ्य से स्पष्ट होती है कि जवाहिरी काबुल के एक पॉश इलाके में रह रहा था और अल कायदा-तालिबान के बीच यह करीबी संबंध भारतीय हितों के खिलाफ है।
अधिकारियों ने कहा कि अल-कायदा को पनाह दे रहा तालिबान, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान स्थित संगठनों को भी इस तरह की सुविधाएं दे सकता है, जो मुख्य रूप से भारत को निशाना बनाते हैं।
इसके अलावा भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का आकलन है कि तालिबान के भीतर अंतर्कलह तेज हो सकती है, क्योंकि अल-कायदा के बहुत करीब माना जाने वाला हक्कानी नेटवर्क जवाहिरी के बारे में जानकारी अमेरिकी अधिकारियों को देने का बदला लेने की कोशिश कर सकता है।
भारत के सामने एक चिंताजनक तथ्य यह है कि अल-कायदा से मोहभंग होने की सूरत में इसके सदस्य इस्लामिक स्टेट और उसके क्षेत्रीय सहयोगी इस्लामिक स्टेट-खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) से जुड़ सकते हैं।
भाषा जोहेब दिलीप
दिलीप
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