गुरुग्राम: दिल्ली पुलिस ने फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को तलब किया है. यह यूनिवर्सिटी 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए कार ब्लास्ट मामले में जांच के दायरे में आई है.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने 15 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के ओखला ऑफिस में जांच की और धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े से जुड़े दो एफआईआर दर्ज किए.
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि यूनिवर्सिटी ने गलत तरीके से NAAC (नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल) की ‘ग्रेड ए’ मान्यता का दावा किया. यूनिवर्सिटी की फंडिंग से जुड़े दस्तावेज़ को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सिद्दीकी का बयान यूनिवर्सिटी से जुड़ी कई गलतियों और वहां काम करने वाले कई लोगों की गतिविधियों को समझने के लिए बेहद ज़रूरी है.
पढ़ाई के अलावा, सिद्दीकी का बिज़नेस इन्वेस्टमेंट, सॉफ्टवेयर, ऊर्जा और एक्सपोर्ट सेक्टर तक फैला हुआ है. अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन होने के अलावा वे नौ कंपनियों के मालिक हैं.
इसी बीच, फरिदाबाद के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रेवेन्यू विभाग ने यूनिवर्सिटी की ज़मीन की जांच की है कि उसकी बिल्डिंग में कोई गैरकानूनी निर्माण तो नहीं हुआ.
रेवेन्यू विभाग ने अपनी रिपोर्ट जिला प्रशासन को आगे की कार्रवाई के लिए सौंप दी है.
भाई गिरफ्तार
सिद्दीकी के भाई हमूद अहमद सिद्दीकी को सोमवार को मध्य प्रदेश पुलिस ने हैदराबाद में 25 साल पुराने आर्थिक धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया.
फरीदाबाद स्थित यह यूनिवर्सिटी तब से खास जांच के दायरे में है जब वहां काम करने वाले कई डॉक्टरों को जेहश-ए-मोहम्मद और अंसार गज़वत-उल-हिंद जैसे संगठनों से जुड़े एक “व्हाइट-कॉलर टेरर मॉड्यूल” में कथित भूमिका के आरोप में गिरफ्तार या हिरासत में लिया गया.
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास कार ब्लास्ट का मुख्य आरोपी डॉ. उमर नबी, यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था.
विस्फोटक सामग्री यूनिवर्सिटी से जुड़ा एक अन्य फैकल्टी मेंबर डॉ. मुज़म्मिल शकील के किराए के कमरे से बरामद होने का दावा किया गया है और यूनिवर्सिटी मस्जिद के एक मौलवी को भी हिरासत में लिया गया है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘अच्छी स्थिति में नहीं’: अल-फलाह की एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज़ की सदस्यता रद्द
