सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक बड़ी गलती करते हुए अक्षय कुमार के अभिनय वाला एक विज्ञापन रिलीज किया जो अनजाने में सड़क सुरक्षा के बजाय दहेज को बढ़ावा देता है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी इसे ट्वीट कर शेयर किया था.
विज्ञापन पूरी तरह से मौजूदा समय से जुड़ा है, क्योंकि यह टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष साइरस मिस्त्री की एक घातक कार दुर्घटना में अपनी जान गंवाने की खबरों के तुरंत बाद आया है.
इस एड में अक्षय कुमार एक पुलिस अधिकारी बने हैं, जिसका मकसद दो के बजाय कारों में छह एयरबैग रखने का प्रचार करना है. लेकिन यह 30 सेकंड का टेलीविजन कमर्शियल (TVC) कार सेफ्टी की बजाय दहेज को बढ़ावा देने पर खत्म होता है. यह और भी ज्यादा शर्मनाक है क्योंकि विज्ञापन एक निजी कंपनी के बजाय सरकार की ओर से आया है.
6 एयरबैग वाले गाड़ी से सफर कर जिंदगी को सुरक्षित बनाएं।#राष्ट्रीय_सड़क_सुरक्षा_2022#National_Road_Safety_2022 @akshaykumar pic.twitter.com/5DAuahVIxE
— Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) September 9, 2022
विज्ञापन की शुरुआत एक ‘विदाई’ सीन से होती है, जहां एक पिता अपनी बेटी को कार में विदा करते हुए रो रहा है. पुलिस अफसर बने अक्षय कुमार बेटी की विदाई पर रोते हुए पिता से कह रहे हैं कि ऐसी गाड़ी में बेटी को विदा करोगे तो रोना आएगा ही.
इसके बाद पिता कार की कई शानदार खूबियों को गिनाते हैं- यह ऑटोमेटिक है, इसमें एक सनरूफ, इंपोर्टेड म्यूजिक सिस्टम है और दो नहीं बल्कि छह स्पीकर हैं. कुमार तब कार में छह एयरबैग के बारे में पूछते हैं और उसके फायदे गिनाते है. इसके बाद कार को तुरंत बदल दिया जाता है. दूल्हा ध्यान से इसका निरीक्षण करता है और राहत की सांस लेता है. खुशी-खुशी लड़की की विदाई हो जाती है.
हालांकि विज्ञापन में कहीं भी साफ तौर पर इसका जिक्र नहीं किया गया कि यह कार दहेज में दी गई है. लेकिन क्या उन्हें पता नहीं है कि इन दिनों दहेज को अक्सर ‘उपहार‘ माना जाता है जो बेटी का परिवार उसे देता है. इसके अलावा एड में दूल्हे का कार के एयरबैग का निरीक्षण करना स्क्रिप्ट में एक और चीज़ जोड़ देता है जो निर्माताओं की नासमझी को उजागर करता है.
इतना संवेदनशील विषय कैसे अनदेखा कर दिया गया और कैसे किसी का भी ध्यान इस पर नहीं गया? यह हम कभी नहीं जान पाएंगे. कुल मिलाकर यह एक गैर-जिम्मेदाराना विज्ञापन है और स्क्रिप्ट पास करने से पहले बेहतर तरीके से इसकी जांच की जानी चाहिए थी.
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पब्लिक सर्विस विज्ञापनों में अक्षय कुमार
अक्षय कुमार पब्लिक सर्विस विज्ञापनों (पीएसए) के पोस्टर बॉय की तरह हैं. उनके पिछले कई ऐसे विज्ञापन काफी सराहनीय रहे हैं, जिसमें उन्होंने मेंस्ट्रुअल हाइजीन, सड़क हिंसा, धूम्रपान और स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दिया है.
2018 में पैडमैन फिल्म के बाद रिलीज हुआ आर. बाल्की द्वारा निर्देशित मेंस्ट्रुअल हाइजीन का विज्ञापन, एक तीर से दो निशाना साधता है और दो बुराइयों पर वार करता है. कुमार इसमें जहां एक तरफ धूम्रपान की आदतों को गलत बता रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ सैनिटरी नैपकिन के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रहे हैं. यह विज्ञापन सीधे तरीके से अपनी बात कहता है और समझने में आसान है. स्वस्थ जीवन के लिए पैड की जरूरत होती है और यह तथ्य सामान्य संकेतों के पीछे छिपा नहीं है.
कुमार का सड़क सुरक्षा/यातायात उल्लंघन को लेकर बना विज्ञापन भी काफी अच्छा था. सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इसे शूट किया था और 2018 में इसे रिलीज किया गया. टैगलाइन ‘सड़क सुरक्षा, जीवन रक्षा’ का इस्तेमाल संदेश को हर किसी तक पहुंचाने के लिए किया गया था. विज्ञापनों की एक सीरीज में कुमार एक ट्रैफिक पुलिस वाले की भूमिका निभाते हैं और उल्लंघन करने वालों से बड़ी चतुराई से पूछते हैं कि क्या सड़क उनके ‘बाप’ की है. यह मजेदार था. और साथ ही हिंदी भाषा में इस शब्द का इस्तेमाल किया जाता रहा है. विज्ञापन बड़ी खूबसूरती से पर्दे पर उतारा गया और कुमार की बेदाग कॉमिक टाइमिंग का सही इस्तेमाल भी करता है.
लेकिन एयरबैग पर बना ये नया विज्ञापन सार्वजनिक प्रतिक्रिया और हटाए जाने की मांग करने के लायक ही था. बॉलीवुड का बहिष्कार करते-करते हम भूल गए हैं कि भारतीय हर दिन यातायात और कार सुरक्षा कानूनों का बहिष्कार करते हैं.
(व्यक्त किए गए विचार निजी हैं)
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