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सोमवार, 19 मई, 2025
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अजय बंगा : विश्व बैंक के अध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले पहले भारतवंशी

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नयी दिल्ली, दो अप्रैल (भाषा) दुनियाभर के विकासशील देशों को नीति सुधार कार्यक्रमों और विकास परियोजनाओं के लिए कर्ज देने वाले विश्व बैंक के बारे में ज्यादा मालूमात करें तो पता चलता है कि 1944 में संस्था की स्थापना के बाद से केवल अमेरिकी नागरिकों को ही इसके अध्यक्ष पद पर चुना गया है। इस बार भी इसी परंपरा का पालन किया गया, लेकिन इसमें भारत का नाम भी जुड़ा है। दरअसल, विश्व बैंक के अध्यक्ष पद के लिए नामित अजयपाल सिंह बंगा भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक हैं।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने फरवरी में बंगा को इस अहम पद के लिए नामित करने की घोषणा की थी। वह इस पद पर नियुक्त होने वाले भारतीय मूल के पहले व्यक्ति होंगे। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की स्थापना के बाद से अब तक भारतीय मूल का कोई भी व्यक्ति इस पद पर नहीं पहुंचा है।

विश्व बैंक की कमान जहां अमेरिकी नागरिक के हाथों में होती है, वहीं आईएमएफ का अध्यक्ष यूरोपीय नागरिक ही होता है।

विश्व बैंक और इसके अध्यक्ष पद की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी इस संस्था की स्थापना का तात्कालिक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध और विश्वव्यापी संकट से जूझ रहे देशों की मदद करना था। इस समय दुनिया के 189 देश विश्व बैंक के सदस्य हैं।

बंगा को विश्व बैंक के अध्यक्ष पद के लिए नामित तो फरवरी में कर दिया गया था, लेकिन इस पद के लिए आवेदन की तारीख 29 मार्च थी। किसी भी अन्य देश द्वारा इस पद के लिए दावेदारी पेश नहीं किए जाने के कारण बंगा का विश्व बैंक का अध्यक्ष बनना तय हो गया है।

हालांकि, औपचारिक रूप से इस पद पर उनकी नियुक्ति का ऐलान करने से पहले विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशक मंडल द्वारा मास्टरकार्ड इंक के मुख्य कार्यकारी बंगा का साक्षात्कार लिया जाएगा।

इस संबंध में विश्व बैंक की एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है, “बोर्ड को एक नामांकन प्राप्त हुआ है और वह घोषणा करना चाहता है कि इस पद के लिए अमेरिकी नागरिक अजय बंगा के नाम पर विचार किया जाएगा। तय प्रक्रियाओं के अनुसार, कार्यकारी निदेशकों का बोर्ड वाशिंगटन में उम्मीदवार का औपचारिक साक्षात्कार लेगा और उम्मीद है कि इसके बाद अध्यक्ष पद के लिए चयन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।”

यहां यह जान लेना महत्वपूर्ण होगा कि बंगा निवर्तमान अध्यक्ष डेविड मलपास की जगह लेंगे। मलपास को 2019 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित किया गया था और उनका चयन भी निर्विरोध हुआ था। मलपास ने तकरीबन एक साल पहले पद छोड़ने की अपनी योजना का ऐलान किया था, जिसके बाद बंगा के इस प्रतिष्ठित पद पर पहुंचने का मार्ग प्रशस्त हुआ।

पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो बंगा सिख हैं और उनका परिवार मूलत: भारत में पंजाब के जालंधर से ताल्लुक रखता है। उनके पिता हरभजन सिंह बंगा भारतीय सेना में अधिकारी थे और उनका देशभर के छावनी क्षेत्रों में तबादला होता रहता था। महाराष्ट्र में पुणे के खड़की छावनी क्षेत्र में तैनाती के दौरान हरभजन सिंह बंगा के यहां 10 नवंबर 1959 को पुत्र का जन्म हुआ, जिसे अजय नाम दिया गया।

हरभजन सिंह बंगा सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के ओहदे से सेवानिवृत्त हुए। अजय बंगा की मां का नाम जसवंत बंगा और बड़े भाई का नाम एम एस बंगा है, जो अपना कारोबार करते हैं। अजय बंगा की पत्नी का नाम रितु बंगा है और उनके दो बच्चे-अदिति बंगा और जोजो बंगा हैं।

बंगा की शुरुआती शिक्षा हिमाचल प्रदेश के शिमला में स्थित सेंट एडवर्ड स्कूल और हैदराबाद के हैदराबाद पब्लिक स्कूल में हुई। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफन कॉलेज से बीए (ऑनर्स) अर्थशास्त्र की डिग्री ली और अहमदाबाद स्थित प्रबंधन संस्थान से पीजीपी की पढ़ाई की, जिसे एमबीए के बराबर माना जाता है।

पढ़ाई पूरी करने के बाद 1981 में बंगा ने नेस्ले कंपनी में प्रबंधन प्रशिक्षु के तौर पर करियर की शुरुआत की और लगभग 13 वर्ष इसी कंपनी में गुजारे। बाद में वह पेप्सिको से जुड़े और 1996 में सिटीग्रुप में अपनी सेवाएं देना शुरू किया।

इस दौरान वह सिटीग्रुप के शीर्ष पदों तक पहुंचे और माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में सिटी बैंक की नीति को दुनियाभर में फैलाया। बंगा ने 2007 में अमेरिकी नागरिकता ग्रहण कर ली और 2008 में उन्होंने बैंक के एशियाई क्षेत्र के कामकाज में भारी फेरबदल किया, जिससे क्षेत्रीय प्रमुखों को अधिक अधिकार हासिल हुए। इसी वर्ष कंपनी ने उन्हें एक करोड़ डॉलर का अतिरिक्त भुगतान किया और वह समूह में सबसे अधिक वेतन पाने वाले अधिकारी बने।

2010 से 2021 तक बंगा मास्टरकार्ड के साथ जुड़े रहे और कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सदस्य भी बनाए गए। अपने कार्यकाल में बंगा ने मास्टरकार्ड के राजस्व को तीन गुना और शुद्ध आय को छह गुना बढाकर कंपनी की बाजार पूंजी को 30 अरब डॉलर से 300 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया। दस करोड़ पेड़ लगाने के मास्टरकार्ड के संकल्प के पीछे भी उन्हीं का दिमाग था और उनके इस कदम की चारों ओर प्रशंसा हुई।

यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि दो महीने पहले तक अगर आप गूगल सर्च में जाकर अजय लिखते तो पलक झपकते ही अजय देवगन और अजय जाडेजा का नाम सबसे पहले दिखाई देता, लेकिन अब इसमें एक तीसरा नाम भी शामिल हो गया है और वो है अजय बंगा। ये तीनों हस्तियां भले ही एकदम अलग क्षेत्रों में महारत रखती हैं, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि तीनों के सीने में हिन्दुस्तानी दिल धड़कता है।

भाषा

एकता

एकता पारुल

पारुल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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