नई दिल्ली: नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने मंगलवार को कहा, ‘भारतीय नौसेना के लिए दूसरा स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (आईएसी-II) सबसे पहली प्राथमिकता बना हुआ है, जबकि नौसेना वित्तीय संकट से जूझ रही है और नौसेना कई महत्वपूर्ण सामानों की मात्रा में कटौती करने का प्रस्ताव कर रहा है.
सिंह ने कहा, नौसेना की ‘दीर्घकालिक योजना’ में तीन विमान वाहक को शामिल करने की परिकल्पना की गई है. ताकि दो वाहक युद्ध समूह (सीबीजी) हर समय हिंद महासागर क्षेत्र में तैनाती के लिए उपलब्ध हों सकें.
नौसेना प्रमुख ने नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर संबोधन में कहा, ‘यह 65,000 काटोबार (काटापुल्ट टेक आफ अरेस्टेड रिकवरी) हेड कैरियर विद्युत प्रणोदन के साथ होगा.
उन्होंने कहा कि आईएसी-II और इसके व्यापक रूपरेखा को भारत में निर्मित किया जायेगा. इसको बनाने के लिए ‘प्लान’ तैयार किया गया है और इसको एकॉर्ड ऑफ़ एक्सेप्टेंस ऑफ़ नेसेसिटी के लिए भेज दिया गया है.
सिंह ने कहा कि नौसेना को अब आईएसी-II पर अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों के साथ परामर्श करना है और यह भी तय करना है कि किस राष्ट्र से संपर्क किया जाए.
नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने पहले दिप्रिंट को बताया था कि आईएसी-II अभी भी डिजाइन के चरण में है.
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वर्तमान में भारत का एकमात्र ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य है. आईएनएस विक्रांत दूसरा वाहक कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्माणाधीन है. दोनों एयरक्राफ्ट में स्टोबार का कांसेप्ट है.
नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि आईएनएस विक्रांत का मुख्य जहाज निर्माण हिस्सा खत्म हो गया है और यह अब बेसिन परीक्षण के लिए जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि फरवरी-मार्च 2021 तक डिलीवरी मिल जाएगी. एक बार जब हमको डिलीवरी मिल जाएगी, तो हम अपनी विमानन परिसंपत्तियों का परिक्षण कर सकेंगे. मुझे उम्मीद है कि एक या एक से अधिक साल लगेगा. हमारे पास 2022 तक पूरी तरह से परिचालन वाहक होना चाहिए. मिग -29 K लड़ाकू विमान एयरक्राफ्ट कैरियर पर काम करेंगे.
‘दो एयरक्राफ्ट कैरियर निर्धारित समय पर उपलब्ध होने चाहिए’
नौसेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी बताया कि भारत के तात्कालिक विरोधियों- चीन और पाकिस्तान को ध्यान में रखते हुए, नौसेना के लिए तीन विमान वाहक होना जरूरी है. ताकि किसी भी समय दो परिचालन में हो सके.
अधिकारी ने कहा, ‘कम होते रक्षा बजट के मद्देनजर तीसरे विमान वाहक की आवश्यकता और समय पर बार-बार सवाल उठाए गए हैं. लेकिन एक विमान वाहक चक्र के अनुसार रखरखाव के अधीन होगा तो दो विमान वाहक किसी भी स्थिति के मामले में किसी निश्चित समय पर तैनाती के लिए उपलब्ध होने चाहिए.’
रक्षा बजट में नौसेना का हिस्सा पिछले सात वर्षों में काफी कम हो गया है. 2012 में 18 प्रतिशत से चालू वित्त वर्ष में 13 प्रतिशत हो गया है.
नेवी ने लॉन्ग टर्म एक्विजिशन प्लान पर नरमी बरती
एक अन्य शीर्ष नौसेना अधिकारी ने कहा कि सेना ने अगले वित्तीय वर्ष के बजट के लिए अतिरिक्त धनराशि की मांग की है, तो सर्विस ने अपनी लॉन्ग टर्म एक्विजिशन प्लान को भी रद्द कर दिया है, जिसे सरकार के पास अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया गया है.
इसने कई महत्वपूर्ण चीजों में कटौती की है, जिसमें जहाज और लैंडिंग प्लेटफार्म डॉक्स (एलपीडी) की संख्या शामिल है. एक हालिया रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नौसेना चार एलपीडी के निर्माण के लिए 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का टेंडर रद्द करना चाहती है. हालांकि, इस वित्तीय वर्ष के लिए नौसेना के लिए 30,000 करोड़ दिया गया था, जबकि इसका 2019-20 का पूंजीगत बजट केवल 23,000 करोड़ रुपये था.
मीडिया को अपने संबोधन में नौसेना प्रमुख ने यह भी कहा, ‘हमने अपनी आवश्यकताओं की सूची सरकार को सौंप दी है. हम उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर सेना के आधुनिकीकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं. इस कमी के दौर में प्राथमिकता, युक्तिकरण और व्यय की अर्थव्यवस्था पर जोर दिया जा रहा है.
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