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Monday, 4 November, 2024
होमदेशदूसरे दिन भी दिल्ली का प्रदूषण गंभीर स्तर पर, 5 वीं तक के स्कूल बंद करने का आदेश

दूसरे दिन भी दिल्ली का प्रदूषण गंभीर स्तर पर, 5 वीं तक के स्कूल बंद करने का आदेश

दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषित इलाका उत्तरी दिल्ली है जहां सभी स्टेशनों पर एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज किया गया.

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नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर पिछले दो दिनों से गैस चेंबर बना हुआ है. खतरनाक स्तर पर पहुंच चुके प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 5 वीं तक के बच्चों के स्कूल को बंद कर दिया है. इसके साथ साथ 5वींं के बाद के बच्चों के लिए कोई भी आउटडोर एक्टिविटी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कहा है कि जरूरत पड़ने पर ऑड-ईवन नियम भी लागू किया जा सकता है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के अंतिम चरण के तहत प्रदूषणकारी गतिविधियों पर अंकुश लगाने पर चर्चा के लिए आज एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई है.

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने बुधवार को दिल्ली सरकार से राजधानी में हवा की गुणवत्ता में सुधार होने तक स्कूल बंद रखने को कहा था. 

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा है कि, ‘हम प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी उपायों पर काम कर रहे हैं. आज से दिल्ली के सभी प्राथमिक स्कूल को बंद कर दिया गया है. कक्षा 5 से उपर के बच्चों के लिए किसी भी प्रकार के आउटडोर एक्टविटी को भी बंद कर दिया गया है.’

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि यह समय आरोप प्रत्यारोप और एक दूसरे को जिम्मदार ठहराने का नहीं है.

शुक्रवार को वायु गुणवत्ता, मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली ने खुलासा किया कि दिल्ली के 2.3 पीएम प्रदूषण में 34 प्रतिशत पराली जलाने का योगदान है. शहर के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता सूचकांक एक्यूआई 472 पर पहुंच गया. नोएडा में एक्यूआई 562 दर्ज किया गया. SAFAR (सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च) इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार गुरुग्राम में एक्यूआई 539 पर पहुंच गया.

पंजाब में आप की सरकार, प्रदूषण की जिम्मेदारी हमारी

केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी मौजूद रहे.

केजरीवाल ने स्वीकार किया कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं की जिम्मेदारी उनकी पार्टी की है क्योंकि वहां आम आदमी पार्टी की सरकार है.

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा, ‘चूंकि, पंजाब में हमारी सरकार है इसलिए पराली जलाने की घटनाओं के लिए हम जिम्मेदार हैं. हमें वहां सरकार बनाए केवल छह महीने हुए हैं और कुछ ऐसे मुद्दे हैं, जिनका समाधान किया जा रहा है. हम हल ढूंढ रहे हैं. समस्या के समाधान के लिए हमें एक साल का समय दें.’

वहीं, मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब में धान की भारी पैदावार के चलते पराली की मात्रा और बढ़ी है.

उन्होंने कहा, ‘पंजाब के खेतों में पराली को दबाने के लिए 1.20 लाख मशीन तैनात की गई हैं. ग्राम पंचायतों ने पराली नहीं जलाने के संबंध में प्रस्ताव पारित किए हैं.’

दिल्ली में सबसे अधिक प्रदूषित इलाका उत्तरी दिल्ली है जहां सभी स्टेशनों पर एक्यूआई 400 से ऊपर दर्ज किया गया. मध्य दिल्ली में मंदिर मार्ग जैसे कुछ स्टेशनों को छोड़कर राजधानी के अधिकांश स्टेशनों पर एक्यूआई 300 से ऊपर रहा.

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 0 से 100 तक अच्छा माना जाता है. 100 से 200 को मध्यम, 200 से 300 तक खराब, और 300 से 400 तक बहुत खराब और 400 से 500 तक गंभीर श्रेणी में माना जाता है.

हालांकि पूर्वानुमान के अनुसार दिल्ली और आस-पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता की स्थिति आज और कल खराब रहेगी. 5 नवंबर के बाद इसमें सुधार की उम्मीद है.

प्रदूषण बढ़ा, लोगों को हो रही समस्या

प्रदूषण बढ़ने से दिल्ली एनसीआर में लोगों को काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में लोगों को गुरुवार को धुंध और वायु प्रदूषण के कारण घुटन और आंख जलने की समस्या उत्पन्न हो गई. बढ़ते प्रदूषण के कारण नोएडा में स्कूल को बंद कर दिया गया है.  

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने प्रदूषण को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी लिखी है. उन्होंने लिखा, ‘आपसे अनुरोध है कि पंजाब में जल रही पराली को नियंत्रित करने के लिए तत्काल और ठोस उपाय करें, जिसने राष्ट्रीय राजधानी को एक बार फिर से गैस चैंबर में बदल दिया है.  ‘

नोएडा में भी 1 से लेकर 8 तक के स्कूल को अगले आदेश तक ऑनलाइन चलाने का आदेश जारी किया गया है जबकि अगर संभव हो तो 9 से 12 तक के बच्चों की क्लास भी ऑनलाइन चलाने का आदेश दिया गया है.

पराली जलाने के कारण बढ़ा प्रदूषण

राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता लगातार दो दिनों तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने का कारण पराली जलाने को माना जा रहा है. शुक्रवार को वायु गुणवत्ता, मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली ने कहा कि दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 34 प्रतिशत है. पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने के कारण दिल्ली एनसीआर में प्रत्येक साल नवंबर में वायु प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है.


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