नई दिल्ली: एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की प्रारंभिक रिपोर्ट में एयर इंडिया फ्लाइट 171 क्रैश को लेकर पायलटों की कॉकपिट बातचीत का ज़िक्र है, जिसमें ‘फ्यूल स्विचेस’ को ‘रन’ से ‘कट ऑफ’ में ट्रांजिशन करने की बात कही गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, उड़ान भरने के तुरंत बाद, इंजन 1 और इंजन 2 दोनों के फ्यूल स्विच एक-एक सेकंड के अंतराल में ‘रन’ से ‘कट ऑफ’ की स्थिति में चले गए.
लेकिन फ्यूल स्विचेस का यह ट्रांजिशन कैसे हुआ?
यहां ‘कट ऑफ’ ट्रांजिशन का मतलब है कि विमान के इंजनों तक फ्यूल की सप्लाई बंद हो गई, जो इस त्रासदी के अहम कारणों में से एक हो सकता है. 12 जून को लंदन जा रहे 787-8 ड्रीमलाइनर ने उड़ान भरने के ठीक बाद एक मिनट के अंदर क्रैश कर गया. इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की मौत हो गई, जिनमें विमान में सवार 242 में से 241 लोग शामिल थे.
दिप्रिंट से बात करते हुए एयर लाइन पायलट्स एसोसिएशन (ALPA) ऑफ इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा कि फ्यूल स्विचेस को गलती से ‘कट ऑफ’ करने की कोई गुंजाइश नहीं होती.
प्रवक्ता ने समझाया, “ड्रीमलाइनर के हर इंजन का अपना फ्यूल स्विच होता है. इनकी दो स्थितियां होती हैं—’रन’ और ‘ऑफ’. इन स्विचेस में लॉकिंग मैकेनिज़्म होता है. इस लॉक को पहले हटाना पड़ता है, फिर स्विच को धकेलना और खींचना होता है, उसके बाद वह लॉक होता है. इन्हें सिर्फ हाथ से आसानी से घुमाया या ऑन-ऑफ नहीं किया जा सकता. फ्यूल स्विचेस सुरक्षित होते हैं ताकि वे गलती से न खींच लिए जाएं. इसमें एक पूरा सिस्टम होता है और हर मूवमेंट पर पायलट को अलर्ट मिलता है.”
प्रवक्ता ने यह भी बताया कि उड़ान के दौरान टेक-ऑफ के समय ऐसी स्थिति ज़्यादा गंभीर होती है, क्योंकि तब पायलट्स के पास प्रतिक्रिया देने का समय बहुत कम होता है, जबकि ऊंचाई पर पहुंचने के बाद थोड़ा समय मिल जाता है.
एआई 171 के कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग के अनुसार, पायलट्स में से एक ने साफ कहा कि उसने फ्यूल स्विचेस बंद नहीं किए थे.
हर विमान में ऐसा सिस्टम होता है जो फ्यूल स्विचेस के ऑफ होने पर पायलट्स को अलर्ट करता है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि एयरपोर्ट से प्राप्त सीसीटीवी फुटेज में टेक-ऑफ के तुरंत बाद शुरुआती चढ़ाई के दौरान रैम एयर टरबाइन (RAT) के डिप्लॉय होने का दृश्य मिला है. RAT आम तौर पर ऐसी इमरजेंसी स्थिति में डिप्लॉय होती है जब दोनों इंजनों की पॉवर या पूरे इलेक्ट्रॉनिक/हाइड्रोलिक सिस्टम की विफलता हो जाती है.
यह बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर, जो 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जा रहा था, रनवे से उड़ान भरने के 32 सेकंड के भीतर, दोपहर 1:39 बजे तय प्रस्थान समय से एक मिनट के अंदर क्रैश हो गया.
रिपोर्ट में फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (FAA) के स्पेशल एयरवर्थीनेस इंफॉर्मेशन बुलेटिन (SAIB) का भी ज़िक्र है, जो फ्यूल कंट्रोल स्विच के लॉकिंग फीचर के संभावित डिसएंगेजमेंट को लेकर था. यह रिपोर्ट 737 मॉडल्स के ऑपरेटर्स द्वारा दी गई थी, जिन्होंने पाया कि फ्यूल कंट्रोल स्विच लॉकिंग फीचर के बिना इंस्टॉल किए गए थे. हालांकि, एफएए ने इसे एयरवर्थीनेस डायरेक्टिव (एडी) की आवश्यकता वाला असुरक्षित स्थिति नहीं माना और एयर इंडिया ने यह निरीक्षण नहीं किया क्योंकि SAIB केवल सलाह थी, अनिवार्य निर्देश नहीं.
फ्यूल कंट्रोल स्विच का यह डिज़ाइन, जिसमें यही लॉकिंग मैकेनिज़्म होता है, बोइंग के अन्य मॉडलों, जिनमें 787 भी शामिल है, में भी होता है. इस ड्रीमलाइनर में भी यही कंपोनेंट (4TL837-3D) था.
एन्हांस्ड एयरबोर्न फ्लाइट रिकॉर्डर (EAFR) के डेटा के अनुसार, कुछ ही सेकंड में दोनों इंजनों के स्विचेस ‘कट ऑफ’ से वापस ‘रन’ की स्थिति में कर दिए गए, जिससे यह संकेत मिलता है कि पायलट्स ने आखिरी पलों में विमान को क्रैश होने से बचाने की कोशिश की.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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