ऋषिकेश,15 नवंबर (भाषा)ऋषिकेश के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिकित्सकों ने शुक्रवार को दावा किया कि उन्होंने ‘पिस्तेचियो लेंटिसकस’ पर आधारित औषधि का अविष्कार कर ‘डायबिटिक गेस्ट्रोपैरासिस’ का उपचार ढूंढ लिया है ।
इससे संबंधित शोध करने वाली चिकित्सकों की टीम के अगुआ डॉ रविकांत ने बताया कि ‘डायबिटिक गेस्ट्रोपैरासिस’ एक ऐसी दशा है जिसमें लंबे समय से मधुमेह से पीड़ित रोगी को पेट में ऐंठन, अपच, दर्द आदि परेशानियां हो जाती हैं।
उन्होंने बताया कि ‘डायबिटिक गेस्ट्रोपेरासिस’ के 900 मरीजों में से 20 पर औषधि के ‘क्लिनिकल ट्रायल’ में उनकी स्थिति में आठ सप्ताह के अंदर न्यूनतम दुष्प्रभावों के साथ महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिला।
एम्स ऋषिकेश के ‘जनरल मेडिसिन’ विभाग के अध्यक्ष कांत ने कहा कि दवा को भारत सरकार से पेटेंट हासिल हो गया है। इस शोध में उनके साथ डॉ अजयपाल सिंह सहयोगी रहे ।
इस उपलब्धि के लिए हाल में एम्स ऋषिकेश की निदेशक मीनू सिंह ने कांत और उनके सहयोगियों को ‘बेस्ट रिसर्चर (सर्वश्रेष्ठ अनुसंधानकर्ता)’ का अवार्ड भी दिया है।
कांत ने बताया कि ‘डायबिटिक गेस्ट्रोपेरासिस’ की फिलहाल उपलब्ध दवाइयां जैसे ‘प्रोकाइनेटिक एजेंटस ’आदि रोगियों को केवल अस्थाई रूप से राहत देते हैं और उसके भी प्रतिकूल प्रभाव होते हैं।
इस औषधि पर उनका शोध पत्र ‘इंडियन जर्नल आफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म’ सहित कुछ अन्य पत्रिकाओं में भी प्रकाशित हुआ है ।
भाषा सं दीप्ति
राजकुमार
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