नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की एक महिला डॉक्टर के साथ जाति और लिंग आधारित कथित उत्पीड़न के मामला रविवार रात को बेहद गंभीर मोड़ ले लिया है. मामले में एम्स प्रशासन को लगातार की गई शिकायत पर कार्रवाई नहीं होने का आरोप लगाते हुए महिला ने आत्महत्या की कोशिश की.
एम्स रेज़िडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) के मुताबिक महिला डॉक्टर ने दवा के ओवरडोज़ से अपनी जान लेने की कोशिश की जिसके बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया. राहत की बात ये है कि रविवार रात से उनकी हालत स्थिर है.
मामले पर दक्षिण दिल्ली के डीसीपी अतुल कुमार ठक्कर ने दिप्रिंट को जानकारी देते हुए कहा कि अभी तक उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है. जैसे ही उन्हें शिकायत मिलती है वो इस पर एक्शन लेंगे. वहीं, एम्स आरडीए के सेक्रेट्री डॉक्टर श्रीनिवास राजकुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘फिलहाल पीड़िता की हालत स्थिर है. लेकिन वो अभी भी आईसीयू में भर्ती हैं.’
एम्स प्रशासन का कहना है कि उन्हें भी इस घटना को लेकर कोई लिखित में शिकायत नहीं मिली है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि मामले पर संज्ञान ले लिया गया है और जांच की जा रही है. एम्स के चौकी इंचार्ज इकपाल सिंह ने कहा, ‘पीड़िता ने कहा हैै कि अभी उनकी हालत बयान देने लायक नहीं है. इसलिए उन्होंने एफ़आईआर दर्ज नहीं कराई’
इस मामले में स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को एम्स आरडीए ने लिखा कि महिला डॉक्टर द्वारा जाति और लिंग आधारित उत्पीड़न से जुड़ी कई शिकायतें की गईं. जब इनपर कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें ये कदम उठाना पड़ा और अपनी जान ज़ोखिम में डालनी पड़ी.
एम्स आरडीए ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखा, ‘हम आपके संज्ञान में लाना चाहते हैं कि एम्स स्थित सीडीईआर में एक वरिष्ठ आरडीए डॉक्टर के साथ जाति और लिंग आधारित उत्पीड़न हुआ है. पीड़ित ने डिपार्टमेंट, डायरेक्टर को कई बार शिकायत करने के अलावा आरडीए को भी अपने प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया.’
आगे कहा गया है कि 16, 22 और 23 मार्च को बार-बार इससे जुड़ी शिकायती चिट्ठियां लिखी गईं फिर भी कोई कदम नहीं उठाया गया जिसकी वजह से अंतत: महिला डॉक्टर को अपनी जान दांव पर लगानी पड़ी. ये जानकारी भी दी गई है कि महिला डॉक्टर ने विमेंस ग्रिवांस सेल, एम्स स्थित एससी-एसटी वेयफ़ेयर सेल को भी इस बारे में जानकारी दी थी.
महिला डॉक्टर द्वारा राष्ट्रीय एससी-एसटी कमिशन को भी शिकायत करने की जानकारी दी गई है और कहा गया है कि तमाम कोशिशों के बावजूद जब कोई रास्ता नहीं बचा तो उन्हें आत्महत्या का प्रयास करना पड़ा. हालांकि, राहत की बात ये है कि वो आईसीयू में स्वस्थ अवस्था में हैं.
एम्स आरडीए के निदेशक अध्यक्ष आदर्श प्रताप ने दिप्रिंट को बताया, ‘फिहलाह हम उनके द्वारा की गई शिकायत की कॉपी मीडिया के साथ साझा नहीं कर सकते. उनका उत्पीड़न करने वाला भी एक सीनियर रेज़िडेंट डॉक्टर है.’ महिला डॉक्टर द्वारा उठाए गए इस कदम के लिए एम्स आरडीए ने एम्स प्रशासन पर आरोप लगाया है.
एम्स आरडीए ने संबंधित मंत्रालयों और एम्स प्रशासन से मामले में न्याय दिलाने की प्रक्रिया को तेज़ करने की अपील की है. आरडीए ने लिखा है, ‘हम आपसे न्याय की उम्मीद करते हैं और ये उम्मीद भी है कि आप सुनिश्चित करेंगे की ऐसा दोबारा मत हो.’