नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की नर्सें कोविड-19 रोगियों की मदद के लिए एक ऑनलाइन ग्रुप चला रही हैं, उनके लिए जिन्हें इलाज के लिए रक्त या प्लाज्मा की आवश्यकता है.
संस्थान में 41 साल के नर्सिंग अधिकारी जोसेफ सीटी ने कहा कि ‘अभयम’ नाम के व्हाट्सएप ग्रुप का नाम मलयालम में है, जिसका मतलब है मदद. 1 जून को ट्रामा के मरीजों के लिए रक्तदान में मदद करने के लिए एम्स के नर्सिंग अधिकारियों द्वारा यह शुरू किया गया था.
चूंकि कोविड-19 की स्थिति दिल्ली में बिगड़ने लगी थी और प्लाज्मा थेरेपी के लिए आवश्यकता बढ़ गई थी – एक प्रायोगिक चिकित्सा जिसके तहत मरीजों से एंटीबॉडी-समृद्ध प्लाज्मा लिया जाता है और सक्रिय मामलों में प्रशासित किया जाता है – समूह को प्लाज्मा दान के विकल्प में भी जोड़ा जाता है.
जोसफ ने कहा, ‘हमने रक्तदाताओं को खोजने के लिए एक व्हाट्सएप समूह शुरू किया. जैसे-जैसे हम लोगों को जोड़ने लगे हमने महसूस किया कि कोविड रोगियों के लिए प्लाज्मा ढूंढना परिवारों के लिए मुश्किल हो रहा है. इसलिए पहल के 15 दिनों में, हमने प्लाज्मा दान के लिए भी एक विकल्प जोड़ा.
पिछले कुछ हफ्तों में, समूह ने ब्लड या प्लाज्मा से संबंधित दान के साथ कम से कम 10 रोगियों की मदद करने का दावा किया है.
ग्रुप कैसे काम करता है
अब तक, समूह में 160 एम्स नर्सिंग अधिकारी हैं. रक्तदान के लिए सदस्य वित्तीय मदद करने या रोगियों के लिए दाता खोजने के लिए तैयार हैं. जोसेफ ने कहा, ‘अब तक, मेरे पास समूह के 30 से अधिक सदस्य हैं जो प्लाज्मा दान करने के लिए तैयार हैं और जब भी आवश्यकता होती है, तब ऐसा कर सकते हैं.’
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अपनी प्रक्रिया के बारे में बताते हुए एम्स नर्सिंग अधिकारी ने कहा कि जब भी समूह का कोई भी सदस्य किसी प्रश्न या आवश्यकता के लिए आता है, तो वे इसे व्हाट्सएप ग्रुप पर भेज देते हैं और एक इच्छुक डोनर रोगी के साथ जुड़ जाता है.
एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘9 जून को, हमारे सदस्यों में से एक ने मैक्स सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, साकेत में एक मरीज को प्लाज्मा दान किया और 12 जून को, रोगी को नेगेटिव पाया गया.
इस व्हाट्सप्प ग्रुप ने गूगल डॉक्स पर एक और डेटाबेस भी बनाया है, जिसमें 178 व्यक्ति- एम्स कार्यकर्ता या उनके परिवार – इच्छुक रक्त दाताओं के रूप में सूचीबद्ध हैं.
उन्होंने कहा, ‘एम्स की नर्सें लंबे समय से लोगों की मदद कर रही हैं, लेकिन इस पहल से उन्होंने दोस्तों और परिवार के सदस्यों को भी साथ जोड़ा है. इसलिए कोई भी अस्पताल स्वास्थ्य कार्यकर्ता जो पॉजिटिव आ चूका है या उसके परिवार का कोई सदस्य ऐसा है वो इस दस्तावेज में पंजीकृत है.
बुधवार तक, दिल्ली में कोरोनावायरस के 1,32,275 और 3,881 मौतें दर्ज की गईं.
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