(गुंजन शर्मा)
पणजी, 31 अगस्त (भाषा) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के आने के साथ ही प्रबंधन क्षेत्र में नौकरियों की संख्या बढ़ने जा रही है, लेकिन इसके लिए वर्तमान आवश्यकताओं से अलग कौशल की आवश्यकता होगी। यह बात गोवा इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (जीआईएम) के निदेशक अजीत पारुलेकर ने कही।
एआई के कारण नौकरी के अवसरों में कमी आने की आम चिंता के विपरीत, अनुभवी बिजनेस स्कूल शिक्षाविद् पारुलेकर ने कहा कि प्रबंधन संस्थानों के सामने चुनौती यह है कि वे नये स्नातकों को निकट भविष्य में पैदा होने वाली नयी नौकरियों के लिए तैयार करें।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक प्रबंधन का सवाल है, मुझे लगता है कि जो नौकरियां पैदा होंगी उनकी संख्या बहुत अधिक होगी और खत्म होने वाली नौकरियों की संख्या से अधिक होगी।’’
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘हालांकि इन भूमिकाओं में वही लोग फिट नहीं होंगे। इसलिए, जो नौकरियां जाएंगी, वे उन्हीं लोगों को नहीं मिलेंगी, क्योंकि हो सकता है कि उनके पास नौकरी पाने के लिए आवश्यक कौशल न हों।’’
पारुलेकर ने कहा कि कई संगठन प्रतिभाओं की तलाश में होंगे और उनके पास बहुत सारे पद खाली होंगे क्योंकि उन्हें उम्मीदवारों में सही प्रकार का कौशल नहीं मिल पाएगा। उन्होंने कहा कि प्रबंधन शिक्षा में तकनीक एक बड़ी भूमिका निभा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप किसी भी क्षेत्र में व्यवसाय के किसी भी पहलू को लें, मुझे लगता है कि तकनीकी चक्र ही वास्तव में बड़ा बदलाव ला रहे हैं। तो, बड़ी तकनीक में, आपके पास दो प्रकार की तकनीक हैं – एक क्षेत्र-विशिष्ट होगी, जो ऐसी चीज़ है जो बिजनेस स्कूल को उतना प्रभावित नहीं करती। और फिर डेटा एनालिटिक्स, एलओटी, ब्लॉकचेन और डिजिटल समग्र क्षेत्र हैं, जो बदलाव ला रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘आज आपको डेटा वैज्ञानिकों की उतनी जरूरत नहीं है जितनी सात या आठ साल पहले थी… इसलिए, वास्तव में जरूरत एनालिटिक्स, एआई और मशीन लर्निंग तथा इस तरह की अन्य चीजों के अधिक प्रबंधकीय निहितार्थों की है।’
भाषा
अमित नरेश
नरेश
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