नयी दिल्ली, 11 फरवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश हिमा कोहली ने शनिवार को कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) को एक खतरे के रूप में नहीं बल्कि वकालत के पेशे की गुणवत्ता को बढ़ाने के एक अवसर के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि तकनीक ने कोविड-19 महामारी के चरम के दौरान और उसके बाद भी न्याय के पहियों को चालू रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
न्यायमूर्ति कोहली ने हालांकि ‘‘जवाबदेही, पारदर्शिता और पक्षकारों के अधिकारों की सुरक्षा’’ के बारे में नैतिक चिंताओं पर भी प्रकाश डाला, जो कानून के क्षेत्र में एआई के उपयोग से पैदा हो सकती हैं।
शीर्ष अदालत की न्यायाधीश ने आईसीआईसीआई बैंक द्वारा यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम प्रौद्योगिकी को अपनाते हैं, यह अनिवार्य है कि हम उन नैतिक चिंताओं से अवगत हों जो अदालतों में एआई के उपयोग से आती हैं। एआई का उपयोग पक्षकारों के अधिकारों के प्रति जवाबदेही, पारदर्शिता और सुरक्षा के बारे में चिंता पैदा करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश और प्रोटोकॉल स्थापित करना महत्वपूर्ण होगा ताकि सभी पक्षों को समान रूप से न्याय मिले।’’
भाषा सुरभि धीरज
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