इंदौर (मध्यप्रदेश),19 फरवरी (भाषा) केंद्र सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने बुधवार को कहा कि देश में कृत्रिम मेधा (एआई) के नियमन के लिए नीतियों को कुछ इस तरह आकार दिया जा रहा है ताकि इससे नवाचार कतई बाधित न हों।
सूद ने इंदौर के राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र (आरआर-कैट) के स्थापना दिवस समारोह में भाग लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘एआई के क्षेत्र में नवाचारों का आगे बढ़ना सबसे जरूरी है। इसलिए हम इस क्षेत्र का बड़ी कुशलता से नियमन करेंगे ताकि इससे नवाचार किसी भी तरह बाधित न हों।’
उन्होंने कहा,‘‘एआई को लेकर हमारी नीति यूरोप की तरह बेहद सख्त या अमेरिका की तरह पूरी खुली नहीं है।’
सूद ने कहा कि भारत में विदेशी एआई मॉडल पर तब तक कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जाएगा, जब तक वे देश के नागरिकों निजता को भंग या भारतीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर कोई एआई मॉडल डीप फेक या फर्जी पहचान रखने जैसे आपराधिक कृत्यों के जरिये हमारे कानूनों का उल्लंघन करता है, तो जाहिर है कि उचित कार्रवाई की जाएगी।’
चीन के एआई मॉडल ‘डीपसीक’ से जुड़ी आशंकाओं पर प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने कहा,’मैं तो देख रहा हूं कि डीपसीक से हमें कई सबक भी मिले हैं। हमें इससे घबराना नहीं चाहिए। हमें देखना चाहिए कि ये सबक कौन से हैं और हम इन सबकों का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं?’
सूद ने यह भी कहा कि देश में एआई के क्षेत्र में तकनीकों की मदद से कानूनी उल्लंघन रोका जाएगा और लोगों के डेटा की निजता की रक्षा की जाएगी।
भाषा हर्ष जोहेब
जोहेब
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