अहमदाबाद, 16 जून (भाषा) गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया विमान हादसे में अपनों को खोने के सदमे के बीच कई पीड़ितों के परिवारों को उनके शवों को लेने में काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है और वे चार दिन से यहां डेरा डाले हुए हैं।
इनमें वह लोग भी शामिल हैं जिन्होंने 12 जून को हादसे वाले दिन ही डीएनए जांच के लिए अपना नमूना दे दिया था ताकि उसका मिलान कर मृतक की शिनाख्त की जा सके।
उन्हें 72 घंटे का इंतजार करने के लिए कहा गया था और यह समयसीमा रविवार को बीत गई तथा ऐसा लगता है कि इंतजार अंतहीन है।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने परिवारों के शोकाकुल सदस्यों से ना घबराने की अपील की है जबकि विशेषज्ञों ने कहा है कि विमान हादसे में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान जाने के मद्देनजर डीएनए के नमूनों के मिलान में वक्त लग सकता है।
बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान 12 जून को अपराह्न 1.39 बजे सरदार वल्लभभाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद अहमदाबाद में एक मेडिकल कॉलेज परिसर पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। लंदन जा रहे विमान में सवार 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई तथा एक शख्स चमत्कारिक रूप से बच गया। इसके अलावा, एमबीबीएस के पांच विद्यार्थियों समेत 29 लोगों की जमीन पर मौत हो गई।
चालक दल की सदस्य रोशनी सोंघारे की रिश्तेदार पूजा सुखदरे ने सोमवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा,“ हम कल डीएनए संग्रह केंद्र गए थे, लेकिन हमें बताया गया कि हमारे नमूने का अभी मिलान नहीं किया गया है।”
सुखदरे, सोंघारे के पिता और भाई के साथ त्रासदी के बाद से यहां हैं। सोंघारे का परिवार महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोंबिवली में रहता है।
यही स्थिति चालक दल की सदस्य मैथिली पाटिल के रिश्तेदारों की भी है, जो नवी मुंबई के न्हावा के निवासी हैं और दुर्घटना के बाद 12 जून को यहां पहुंचे थे।
गुजरात के कच्छ में राजमिस्त्री और बढ़ई का काम करने वाले 32 वर्षीय अनिल खिमानी के रिश्तेदार भी घटना के बाद से अहमदाबाद में डेरा डाले हुए हैं। खिमानी विमान में सवार थे।
खिमानी का रिश्तेदार बताने वाले मनसुख ने बताया कि 12 जून को विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से उनके पिता यहीं हैं। उनके पिता ने डीएनए मिलान के लिए अपना नमूना 12 जून को दिया था।
मनसुख ने कहा, ‘शव को ले जाने के लिए सरकार ने एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की है जो कच्छ से आ गई है, लेकिन हमें अब तक अनिल का पार्थिव शरीर नहीं मिला है।’
यहां तक कि आकाश पटानी (15) का परिवार भी उसके शव के लिए इंतजार कर रहा है।
विमान हादसे के समय वह बी जे मेडिकल कॉलेज के आवासीय परिसर में अपनी मां की चाय की दुकान के बगल में चारपाई पर आराम कर रहा था। दुर्घटना और उसके बाद लगी आग का प्रभाव इतना भयानक था कि पटानी को भागने का मौका ही नहीं मिला और उसकी जलने से मौत हो गई।
आकाश की रिश्तेदार मधुबेन पटानी ने कहा, “हमें कल अस्पताल से फोन आया कि डीएनए नमूने मेल खा गए हैं, लेकिन हमें अब तक शव नहीं मिला है।’
सोमवार दोपहर तक अहमदाबाद सिविल अस्पताल के अधिकारियों ने कहा कि डीएनए परीक्षण के जरिए 99 शवों की पहचान कर ली गई है और 64 शव उनके रिश्तेदारों को सौंप दिए गए हैं।
शोकाकुल परिवारों की चिंताओं को लेकर सिविल अधीक्षक डॉक्टर राकेश जोशी ने कहा कि मृतकों के अवशेषों के साथ डीएनए नमूनों के मिलान की प्रक्रिया में लगने वाले वक्त को लेकर वे घबराएं नहीं।
फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के निदेशक एचपी सांघवी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वह उपलब्ध नहीं थे।
हैदराबाद स्थित कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र के पूर्व निदेशक राकेश मिश्रा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि डीएनए मिलान कोई कठिन काम नहीं है, लेकिन इस दुर्घटना के मामले में मृतकों की संख्या ज्यादा है।
इसके अलावा, यह ऊतक की स्थिति पर भी निर्भर करता है। अगर शरीर बुरी तरह जला गया है, तो उन्हें हड्डी की तलाश करनी होगी, ऊतक निकालना होगा जो बरकरार हो या बेहतर स्थिति में हो।
मिश्रा ने कहा कि इतनी बड़ी दुर्घटना में शवों की स्थिति के कारण समय लग सकता है। वह बेंगलुरु में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड सोसाइटी के निदेशक हैं।
चूंकि विमान के इकॉनोमी क्लास में लोग एक-दूसरे के बहुत करीब बैठते हैं। ऐसे में अत्यधिक गर्मी के कारण ऊतकों के पिघलकर आपस में मिल जाने की संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में बचाव कार्य के दौरान शवों को एक-दूसरे के ऊपर रख दिया जाता है।
मिश्रा ने उम्मीद जतायी कि प्रक्रिया कुछ दिनों में पूरी हो जानी चाहिए।
भाषा नोमान नरेश
नरेश
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