गुवाहाटी, 15 नवंबर (भाषा) असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि असम सरकार 2027 में राज्य में प्रदर्शन के लिए 16वीं शताब्दी में वैष्णव संत श्रीमंत शंकरदेव द्वारा निर्मित रेशमी कपड़ा ‘वृंदावनी वस्त्र’ को राज्य में लाने के लिए रविवार को ब्रिटिश संग्रहालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है।
उन्होंने कहा कि यह पहली बार होगा कि वस्त्र को राज्य में प्रदर्शित किया जाएगा, क्योंकि इसे कम से कम एक शताब्दी पहले ले जाया गया था, तथा इसके हिस्से दुनिया भर के संग्रहालयों में कलाकृतियों के रूप में रखे गए थे।
नयी दिल्ली से लंदन जाने से पहले फेसबुक पर एक वीडियो संदेश में शर्मा ने कहा, ‘कल हमारी ब्रिटिश संग्रहालय के साथ बैठक है। हम 2027 में वृंदावनी वस्त्र लाने के लिए उनके साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि जेएसडब्ल्यू समूह की कंपनियां इस कशीदाकारी वाले कपड़े की ‘घर वापसी’ को सुगम बनाने में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं, जिसमें हाथ से बुने रेशम के टुकड़े में भगवान कृष्ण के जीवन की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है।
शर्मा ने कहा, ‘सज्जन जिंदल (जेएसडब्ल्यू समूह के) की मां असम से हैं। राज्य में उनका कोई व्यावसायिक हित नहीं है। उनके समूह ने ब्रिटिश संग्रहालय से हमारा संपर्क कराने की पहल की और वृंदावनी वस्त्र को प्रदर्शित करने के लिए गुवाहाटी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक संग्रहालय बनाने की जिम्मेदारी भी ले रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त इस प्रक्रिया में शामिल हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इस बारे में लगातार जानकारी ले रहे हैं।
शर्मा ने बताया कि सरकार ने संग्रहालय की स्थापना के लिए जेएसडब्ल्यू समूह को गुवाहाटी के खानापाड़ा इलाके में जमीन आवंटित कर दी है। कंपनी संग्रहालय का निर्माण करेगी, लेकिन इसका स्वामित्व राज्य सरकार के पास होगा।
उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘वृंदावनी वस्त्र एक कालातीत कृति है, जिसे महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की भक्ति और भावना से बुना गया है, यह एक पवित्र वस्त्र है जो अपनी दिव्य शिल्पकला के माध्यम से वैष्णव संस्कृति को जीवंत करता है। हमारी सरकार ने इस ऐतिहासिक खजाने को असम वापस लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जहां इसका वास्तविक स्थान है।’’
‘वृंदावनी वस्त्र’ श्रीमंत शंकरदेव के मार्गदर्शन में कोच राजा नर नारायण के अनुरोध पर भगवान कृष्ण के जीवन के दृश्यों को दर्शाते हुए बनाया गया था और इसमें उनकी लिखी एक कविता का अंश भी है।
‘वृंदावनी वस्त्र’ को 1904 में ब्रिटिश संग्रहालय ने तिब्बत से प्राप्त किया था, जो साढ़े नौ मीटर लंबा है। इसे रेशम के कई टुकड़ों से बनाया गया है। मूल रूप से 15 अलग-अलग टुकड़े थे जिन्हें बाद में जोड़ा गया था।
भाषा तान्या संतोष
संतोष
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