नयी दिल्ली, 26 दिसंबर (भाषा) रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समग्र स्थिति ‘‘स्थिर’’, लेकिन ‘‘संवेदनशील’’ है और ‘‘समान एवं पारस्परिक सुरक्षा’’ के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति बनी है।
पूर्वी लद्दाख में अंतिम दो टकराव बिंदुओं से भारतीय और चीनी सेनाओं के पीछे हटने के कुछ सप्ताह बाद मंत्रालय ने यह बात कही।
साल के अंत की समीक्षा में, मंत्रालय ने 21 अक्टूबर को दोनों पक्षों के बीच सैनिकों के पीछे हटने पर बनी सहमति का जिक्र किया और कहा कि देपसांग तथा डेमचोक में पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त गतिविधि शुरू हो गई है।
इसमें कहा गया, ‘‘एलएसी पर कुल मिलाकर स्थिति स्थिर, लेकिन संवेदनशील है।’’
मंत्रालय ने कहा कि राजनयिक और सैन्य स्तर पर लंबी बातचीत के बाद समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति हासिल की गई है।
इसने कहा, ‘‘प्राप्त सहमति में संयुक्त सत्यापन के बाद देपसांग और डेमचोक के टकराव वाले क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी और उन्हें दूसरे स्थानों पर तैनात करना शामिल है।’’
मंत्रालय ने 2024 में भारतीय सेना की गतिविधियों के बारे में कहा, ‘‘वर्तमान में, दोनों पक्षों द्वारा अवरोधक स्थिति हटा दी गई है और संयुक्त सत्यापन पूरा हो गया है। देपसांग तथा डेमचोक में पारंपरिक गश्त वाले क्षेत्रों में गश्त गतिविधि शुरू हो गई है।’’
इसने कहा कि सेना ने एलएसी और नियंत्रण रेखा (एलओसी) सहित सभी सीमाओं पर स्थिरता एवं प्रभुत्व सुनिश्चित करने के लिए अभियानगत तैयारियों की उच्च स्थिति बनाए रखी है।
पिछले हफ्ते, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने बीजिंग की यात्रा की और सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि संवाद ढांचे के तहत चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बातचीत की।
विशेष प्रतिनिधि संवाद तंत्र को पुनर्जीवित करने का निर्णय 23 अक्टूबर को कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच एक बैठक में लिया गया था। इससे दो दिन पहले भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने से संबंधित समझौता किया था जिससे पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चार साल से अधिक समय से चला आ रहा सीमा गतिरोध प्रभावी रूप से समाप्त हो गया।
पाकिस्तान से लगती नियंत्रण रेखा पर स्थिति के बारे में मंत्रालय ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष उभरते और भविष्य के खतरों की लगातार समीक्षा करते हुए निरंतर आतंकवाद रोधी अभियान चलाए जा रहे हैं।
इसने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास अभियानगत तैयारियों की प्रमुख अनिवार्यताओं में से एक है, जिसे सरकार के ‘विकसित भारत विजन’ के अनुरूप बढ़ावा दिया गया है।
रिपोर्ट में इजराइल-हमास संघर्ष के बाद महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों पर भारतीय नौसेना की तैनाती का भी उल्लेख किया गया है।
इसमें कहा गया, ‘‘भारतीय नौसेना की परिसंपत्तियों की अभियानगत तैनाती की उच्च गति को बनाए रखा जा रहा है, जिसमें भारतीय ध्वज वाले व्यापारिक जहाजों और भारत के लिए महत्वपूर्ण वस्तुएं ले जाने वाले जहाजों पर कड़ी नजर रखी जा रही है।’’
मंत्रालय ने कहा कि पिछले एक साल में जहाजों पर हुती विद्रोहियों के हमलों और पश्चिमी अरब सागर में समुद्री डकैती की बढ़ती घटनाओं के जवाब में भारतीय नौसेना ने क्षेत्र में 30 से अधिक जहाजों को तैनात किया है और 25 से अधिक घटनाओं पर कार्रवाई की है।
इसने कहा, ‘‘भारतीय नौसेना की विश्वसनीय और त्वरित कार्रवाइयों ने चालक दलों की राष्ट्रीयता की परवाह किए बिना 400 से अधिक लोगों की जान बचाई। नवंबर 2024 तक, भारतीय नौसेना ने चार अरब अमेरिकी डॉलर मूल्य का 90 लाख मीट्रिक टन से अधिक माल का परिवहन करने वाले 230 से अधिक व्यापारिक जहाजों को सुरक्षा प्रदान की है।’’
मंत्रालय ने कहा कि भारतीय वायुसेना स्पेन, आर्मेनिया और आइवरी कोस्ट से शुरू होने वाली छह नयी रक्षा शाखाएं स्थापित करने की प्रक्रिया में है और वह हिंद-प्रशांत, यूरोप, अमेरिका क्षेत्र के साथ-साथ अफ्रीका में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
रिपोर्ट में कहा गया कि वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 32.5 प्रतिशत अधिक है।
भाषा नेत्रपाल पवनेश
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