नई दिल्ली: सेना भर्ती को लेकर सरकार की नई योजना अग्निपथ का देशभर में विरोध हा रहा है. सरकार ने अपील की है कि युवा किसी के बहकावे में न आए और इस स्किम पर भरोसा रखें. वहीं यूपी-बिहार से लेकर हरियाणा और राजस्थान में युवाओं के विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है. विपक्षी पार्टियां इस स्कीम को वापस लेने की मांग कर रही हैं.
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस पूरे मामले पर कहा, ‘मेरा सभी से निवेदन है कि रेलवे आपकी और राष्ट्र की संपत्ति है.आप किसी भी तरह से हिंसक प्रदर्शन न करें और रेलवे संपत्ति आपके सेवा के लिए है इसलिए इसे बिल्कुल नुकसान न पहुंचाए.’
#WATCH मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे हिंसक विरोध प्रदर्शन में शामिल न हों और रेलवे की संपत्ति को नुकसान न पहुंचाएं। रेलवे देश की संपत्ति है: अग्निपथ के विरोध पर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव#AgnipathProtests pic.twitter.com/bjJKie2Ojk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 17, 2022
युवाओं के इस हिंसक प्रदर्शन से आम लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. 200 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हो गई हैं. बिहार में सड़कों पर जाम लगा है. बिहार के दरभंगा में विरोध के कारण लगे जाम में एक स्कूल बस फंस गई जिसमें बच्चे डर के मारे रोते पाए गए.
#WATCH | Bihar: A school bus, with children on board, got stuck in the road blockade by agitators in Darbhanga. The bus later managed to get out of the blockade with Police intervention.
The agitators were protesting against the #AgnipathRecruitmentScheme pic.twitter.com/E8lFLk9leD
— ANI (@ANI) June 17, 2022
सरकार के नेता लगातार युवाओं से प्रदर्शन को खत्म करने की मांग कर रहे हैं और उन्हें योजना के फायदे समझाने की कोशिश भी कर रहे हैं.
वहीं बीजेपी नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा, ‘पूरे 2 साल के गहन अध्ययन के बाद भारतीय सेना इस तरह की योजना लेकर आई है जिसमें इन बातों का ध्यान रखा गया है कि किस तरह से भारत की सेना आधुनिक हो सके, किस तरह ज्यादा युवाओं को सेना में आने का अवसर मिल सके.’
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा, ‘विरोध प्रदर्शन करना हर व्यक्ति का हक है, लेकिन तोड़फोड़ करने वाले, आगजनी करने वाले लोग सेना में जाने वाले नहीं हो सकते हैं, सेना में तो अनुशासित लोग जाते हैं. हमारे देश में कुछ ऐसे तत्व हैं जो हर समय ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं. कि देश की शांति को भंग किया जा सके. इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. तोड़फोड़ करने वाले व्यक्तियों को छोड़ा नहीं जाएगा. उनकी सूची तैयार की जा रही है जो लोग आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल हैं.’
कांग्रेस का विरोध
कांग्रेस ने ‘अग्निपथ’ योजना को देशहित के विरूद्ध करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि इस योजना को तत्काल वापस लिया जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं सरकार को देश के नौजवानों से माफी मांगनी चाहिए.
मुख्य विपक्षी दल ने यह भी कहा कि सेना की भर्ती की आयुसीमा में तीन साल की छूट दी जाए तथा जरूरत पड़े तो रक्षा एवं सेना से जुड़े पूरे मामले पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र या सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘अग्निपथ – नौजवानों ने नकारा, कृषि कानून – किसानों ने नकारा, नोटबंदी – अर्थशास्त्रियों ने नकारा, जीएसटी – व्यापारियों ने नकारा.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते क्योंकि उन्हें अपने ‘मित्रों’ की आवाज के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता.’
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने ट्वीट किया, ’24 घंटे भी नहीं बीते कि भाजपा सरकार को नयी आर्मी भर्ती का नियम बदलना पड़ा. मतलब, योजना जल्दबाजी में युवाओं पर थोपी जा रही है.’
उन्होंने कहा, ‘नरेंद्र मोदी जी, इस योजना को तुरंत वापस लीजिए, वायुसेना की रुकी भर्तियों में नियुक्ति और परिणाम दीजिए. सेना भर्ती को (आयु में छूट देकर) पहले की तरह कीजिए.’
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संवाददाताओं से कहा, ‘यह योजना सेना के हित में नहीं है. यह भारत के हित में नहीं है. इस सरकार को दूसरे देशों की नकल करने की आदत हो गई है. वह सेना और देश के हितों के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकती.’
उनका कहना है, ‘सेना में दो लाख से अधिक पद खाली हैं. भर्ती प्रक्रिया तत्काल आरंभ की जाए. देश की सुरक्षा, सेना और देशभक्ति की भावना में कोई वाणिज्यिक हित नहीं हो सकता.’
हुड्डा ने सरकार से आग्रह किया, ‘अग्निपथ योजना को अविलंब वापस लिया जाए. भर्ती की आयुसीमा में तीन साल की छूट दी जाए क्योंकि तीन साल से भर्ती नहीं हुई. जिन काबिल नौजवानों ने आत्महत्या की, उनके परिवारों को मुआवजा दिया जाए.’
उन्होंने यह भी कहा, ‘प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और पूरी सरकार देश के नौजवानों से माफी मांगे.’
हुड्डा ने कहा, ‘सरकार को सेना पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. राष्ट्रनीति के तहत काम करना चाहिए. रक्षा, सेना और इससे जुड़े मुद्दों पर जरूरी हो तो संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए या फिर सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए.’
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