नई दिल्ली: अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ उनके 18 नवंबर के ट्वीट को लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति देते हुए कहा कि यह ‘बेहद अशिष्ट और अप्रिय’ था और इसका मकसद उच्चतम न्यायालय के अधिकार को कम करना था.
शीर्ष विधि अधिकारी ने पिछले हफ्ते कामरा के खिलाफ उनके पूर्व के ट्वीट को लेकर अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मंजूरी दी थी. कामरा ने अपने पूर्व के ट्वीट में कथित तौर पर उच्चतम न्यायालय की आलोचना की थी. अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि वे ‘अपमानजनक’ थे और यह समय है जब लोगों को समझना चाहिए कि न्यायालय पर निशाना साधने पर वे सजा के हकदार होंगे.
किसी व्यक्ति के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिये अदालत की अवमानना अधिनियम की धारा 15 के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलीसीटर जनरल की मंजूरी अनिवार्य है.
प्रयागराज स्थित वकील अनुज सिंह के इस संदर्भ में किये गए अनुरोध पर वेणुगोपाल ने नयी स्वीकृति दी.
कामरा ने 18 नवंबर को किये अपने ट्वीट में भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ टिप्पणी करते हुए आपत्तिजनक हावभाव प्रदर्शित किये थे.
सिंह को लिखे अपने पत्र में अटॉर्नी जनरल ने कहा, ’18 नवंबर 2020 (रात नौ बजकर 46 मिनट) के ट्वीट के संदर्भ में कुणाल कामरा के खिलाफ अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत मंजूरी के लिये आपके अनुरोध को मैंने देखा है.’
उन्होंने कहा, ‘जिस ट्वीट का जिक्र है वह बेहद अशिष्ट व अप्रिय है और इस बात पर मुझे कोई संदेह नहीं कि यह उच्चतम न्यायालय के प्राधिकार को कम करने के साथ ही उस विश्वास को भी कम कर देगा, जो सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर करने वाली जनता को इस संस्थान पर है.’
वेणुगोपाल ने कहा, ‘उपरोक्त विचार के मद्देनजर, मैं अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत सहमति प्रदान करता हूं.’
इससे पहले अटॉर्नी जनरल की पूर्व में दी गई सहमति के बाद उच्चतम न्यायालय में 13 नवंबर को एक याचिका दायर कर कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना कार्रवाही शुरू करने की इजाजत मांगी गई थी. यह याचिका शीर्ष अदालत के खिलाफ कामरा के कथित ‘अपमानजनक ट्वीट’ को लेकर दायर की गई.
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