वाशिंगटन डीसी: पाकिस्तान आधारित जेईएम (जैश-ए-मुहम्मद) ने अयोध्या में राम मंदिर पर हमलों की धमकी दी है और भारत में मुस्लिमों से “जिहाद के लिए मानसिक रूप से तैयार होने” का आह्वान किया है, आतंकवादी संगठन से जुड़े ऑनलाइन फीड्स ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. इस संदेश को सीरिया में इस्लामिक समूहों की जीत की ख़ुशी में जारी किया गया है, और यह संदेश अल-कायदा के उस यूनिट द्वारा जारी किए गए संदेशों के समान है, जो भारत के खिलाफ हमलों की जिम्मेदार है, और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान द्वारा भी इसी तरह के संदेश जारी किए गए हैं.
संदेश में कहा गया है, “आज भी, बाबरी मस्जिद के पत्थर उन लोगों पर शाप डाल रहे हैं जो उनसे प्रार्थना करते हैं, और वे उन पवित्र योद्धाओं का इंतजार कर रहे हैं जो उन्हें मुक्ति दिलाने आएंगे.”
यह संदेश उस समय आया जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित आतंकवादी कमांडर मसूद अजहर अलवी ने दो दशकों में अपना पहला सार्वजनिक भाषण दिया, जिसमें उसने सीरिया के जिहादीयों की सराहना की और कश्मीर में हिंसा बढ़ाने की धमकी दी. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस भाषण से पाकिस्तान की झूठी बातों का पर्दाफाश हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान ने दावा किया था कि अजहर देश में सुरक्षा कस्टडी से भाग गया था और अफगानिस्तान में छिपा हुआ था.
संदेश में 5 दिसंबर 2024 को सीरिया के हामा शहर पर कब्जा करने का जिक्र है. संदेश में कहा गया, “आज हम सीरिया के विश्वासियों की जीत का जश्न मना रहे हैं, जिन्होंने कल हामा शहर को मुक्त किया. हम लोगों से अपील करते हैं कि वे सीरिया के जिहादीयोँ को अपनी प्रार्थनाओं में याद करें, जैसे वे कश्मीर और फलस्तीन के जांबाजों को याद करते हैं. हिंदू बाबरी मस्जिद में मूर्तियां स्थापित करने में सफल हो गए हैं, क्योंकि मुसलमानों ने लापरवाही दिखाई.”
संदेश में यह भी कहा गया, “हर एक गिरा हुआ पत्थर अल्लाह का है. जब लोग इन पत्थरों को मूर्तियों में बदलते हैं और उनकी पूजा करते हैं, तो अल्लाह अपनी दया हटा लेते हैं.”
“भारत में हर मुसलमान को जिहाद के लिए मानसिक रूप से तैयार होना चाहिए, यह काम किसी भी समय और स्थान पर किया जा सकता है,” संदेश में कहा गया.
संदेश में आगे कहा गया, “जो कुछ भी करना है, वह यह है कि अपने मन से डर को बाहर निकालो, और अल्लाह से मिलने के लिए खुद को तैयार करो. हर मुसलमान को अपने शरीर को भी जिहाद के लिए तैयार करना चाहिए, ताकि वह स्वस्थ और मजबूत रहे.”
जैश-ए-मुहम्मद के नेताओं ने सालों से बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मुद्दे का कई बार भाषणों में उल्लेख किया है और दिसंबर 1992 में हिंदू राष्ट्रवादियों द्वारा मस्जिद के विध्वंस का बदला लेने की कसम खाई है.
जैश-ए-मुहम्मद ने 2005 की गर्मियों में राम मंदिर स्थल पर बम हमला करने की कोशिश की थी, लेकिन आत्मघाती दस्ते के सभी पांच सदस्य पुलिस द्वारा मारे गए थे. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इन हमलावरों के पास असॉल्ट राइफल्स, ग्रेनेड्स और आत्मघाती जैकेट थे. मंढर और सहारनपुर के चार निवासियों को हमले में सहायता करने के आरोप में दोषी ठहराया गया, लेकिन वे फिलहाल अपील पर जमानत पर हैं। इनमें से एक को 2023 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
एक अलग मामले में, पश्चिम बंगाल के एक व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा चलाया गया था, जिसे हमलावरों को बांगलादेश-भारत सीमा पार करने में मदद करने का आरोप था, लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उसे बरी कर दिया, यह कहते हुए कि अभियोजन पक्ष का साक्ष्य “विश्वसनीय नहीं था.”
बताया गया है कि हमले का मैन कोर्डिनेटर 2007 में नियंत्रण रेखा पार कर भाग गया था.
संयुक्त राज्य अमेरिका ने मामले में तकनीकी मदद देने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन भारत सरकार ने इसे ठुकरा दिया.
बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद, कुछ इस्लामिक कार्यकर्ताओं ने भारत का पहला शहरी आतंकवादी नेटवर्क बनाया. इस नेटवर्क का नेतृत्व लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े अब्दुल करीम उर्फ ‘टुंडा’ ने किया था, जिसने 1993 से 1997 तक कई बम धमाके किए थे.
विवादित खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता गुरपतवंत सिंह पन्नुन, जिनके बारे में अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि भारत की खुफिया एजेंसियों ने इस साल उन पर जानलेवा हमला किया, ने हाल ही में अयोध्या को “हिंसक हिंदुत्व विचारधारा के जन्मस्थान” के रूप में हिलाने की धमकी दी है.
भगोड़ा कमांडर
हालांकि जैश-ए-मुहम्मद और मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित किया गया है, फिर भी इस संगठन ने पाकिस्तान के बहावलपुर शहर के बाहरी इलाके में अपना बड़ा मदरसा बनाया है. इस परिसर में एक मस्जिद, सभा हॉल, कई आवासीय परिसर और अनुमानित 600 से अधिक छात्रों के लिए कक्षाएं शामिल हैं.
फंडिंग के स्रोत साफ नहीं हैं, लेकिन यह माना जाता है कि जैश-ए-मुहम्मद के अन्य धार्मिक कट्टरपंथी समूहों के साथ अच्छे रिश्ते हैं, जो खुले तौर पर काम करते हैं, जैसे सिपाह-ए-सहाबा पाकिस्तान और तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने 2022 में कहा था कि अजहर अफगानिस्तान भाग गया, इससे पहले कि पाकिस्तान उसे अपराधी घोषित करता. यह घोषणा तब की गई, जब पाकिस्तान ने सफलतापूर्वक अपनी स्थिति को आतंकवादी वित्त निगरानी सूची से हटवाने के लिए कोशिश की थी, जो वित्तीय क्रियावली कार्य बल (FATF) द्वारा बनाई जाती है.
लश्कर-ए-तैयबा के नेताओं, जो 26/11 हमले में शामिल थे, को FATF के प्रतिबंधों के डर से जेल में डाला गया था, हालांकि उन्हें हमले में शामिल होने के आरोप में कभी सजा नहीं दी गई. जैश-ए-मुहम्मद पर इस कार्रवाई का कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि पाकिस्तान लगातार इसके आतंकवादी हमलों की जांच करने से इनकार करता रहा है, जो 2001 में दिल्ली संसद भवन हमले से शुरू हुए थे.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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