अयोध्या: प्राचीन राम मंदिर के कथित अवशेष, जिनकी तस्वीरें पिछले हफ्ते सोशल मीडिया पर शेयर की गई थी, तीन साल पहले उसी स्थान पर खुदाई के दौरान मिले थे. इसकी जानकारी दिप्रिंट को मिली है.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि ये अवशेष “पत्थर” की संरचनाएं हैं और बड़ी संख्या में मिले हैं. उन्होंने कहा कि “निर्माण स्थल से कई और पुरावशेष पाए गए हैं”.
13 सितंबर को, राय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स/ट्विटर पर आधे टूटे हुए पत्थर के ढांचे की तस्वीरें पोस्ट की थीं, जिसमें कहा गया था कि ये “प्राचीन मंदिर के अवशेष हैं जो अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि स्थल पर खोजे गए हैं”.
उन्होंने मंगलवार को दिप्रिंट को बताया, “वे (अवशेष) तीन साल पहले पाए गए थे जब मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था और मलबा हटाने के बाद मशीनों से जमीन के अंदर गहराई तक खोदी गई थी. जून 2020 में इसे बरामद किया गया था. जो लोग (अस्थायी राम मंदिर में) दर्शन करने आते हैं या फिर भविष्य में आएंगे, वे इसे देखेंगे ही. इसमें किसी को बताने या फिर समाचार देने की क्या जरूरत है? अखबारों को अब पता चल ही गया है.”
उन्होंने कहा, “जून 2020 के बाद भी बहुत कुछ बरामद किया गया है जो किसी ने पहले नहीं देखा है. ऐसी चीजें मिली हैं जिन तक अभी तक कोई नहीं पहुंच सका है (यानी मीडिया के साथ शेयर नहीं किया गया है).”
उन्होंने आगे कहा, “वे संख्या में पर्याप्त हैं. वे केवल दो-चार की संख्या में नहीं हैं (सोशल मीडिया पर उनके द्वारा शेयर की गई तस्वीरों का जिक्र करते हुए). जहां तक उनकी अवधि का सवाल है, एक दिन उसका भी विश्लेषण किया जाएगा.”
राम मंदिर के पूरा होने की अस्थायी तारीख बताते हुए राय ने कहा कि पूरे मंदिर के निर्माण में एक साल लगेगा और जनवरी में प्रस्तावित प्राण-प्रतिष्ठा (देव मूर्ति की प्रतिष्ठा) के लिए आवश्यक तैयारियां चल रही है. साथ ही कई और काम जारी है, जबकि कई पूरे हो चुके हैं.
उन्होंने कहा, “संगमरमर से बना गर्भगृह का काम पूरा हो गया है. फर्श बिछाने की प्रक्रिया जारी है. भूतल पर छत का काम भी आवश्यक सीमा तक हो चुका है. पहली मंजिल तक पहुंचने के लिए सीढ़ियों का निर्माण किया गया है, साथ ही बुजुर्गों के लिए रैंप और बाहर आने के लिए भी सीढ़ियां बनाई गई हैं. जहां भी सीलिंग का काम पूरा हो गया है, वहां पहली मंजिल पर काम शुरू कर दिया गया है.”
जून में, मंदिर के अधिकारियों ने कहा था कि तीन मंजिला राम मंदिर का भूतल का काम अपने अंतिम चरण में है और अक्टूबर तक पूरा करने के लिए सहायक संरचनाओं पर काम जोरों पर चल रहा है.
राय ने ‘शिखर’ के निर्माण के बारे में एक सवाल पर कहा, “केवल आर्किटेक्ट ही बता सकते हैं कि शिखर का निर्माण कब और कैसे शुरू होगा.”
उन्होंने कहा, “एलएंडटी और टाटा के इंजीनियर इस परियोजना पर काम कर रहे हैं. 21 फीट ऊंचे ग्रेनाइट चबूतरे पर एक-एक करके 4.50 लाख पत्थरों को जोड़कर मंदिर बनाने का यह उनके लिए पहला मौका है. वे अपने बच्चों को बताएंगे कि उन्होंने यह काम कैसे किया. पीढ़ियों से इस तरह के काम में लगे लोग ही जानते हैं कि वे शिखर निर्माण का काम कब शुरू कर सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि राम मंदिर का भूतल 380 फीट लंबा और 250 फीट चौड़ा होगा और इसका निर्माण वास्तुकला की नागर (उत्तर-भारतीय) शैली में किया जा रहा है. राय ने कहा कि अयोध्या में मंदिर के निर्माण के लिए राजस्थान के भरतपुर के बलुआ पत्थर का उपयोग किया जा रहा है.
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‘सभी समुदायों ने मंदिर निधि में योगदान दिया’
राम मंदिर के चल रहे निर्माण के लिए जुटाए जा रहे धन के बारे में बताते हुए, राय ने कहा कि इसमें योगदान सभी समुदायों से आया है. उन्होंने कहा, “मैंने इसे (धन संग्रह के लिए अभियान) शुरू करने से पहले कुछ भी नहीं सोचा था. हमारे मन में एक ही बात थी कि भगवान का घर बन रहा है.”
उन्होंने कहा, “भारत में रहने वाले सभी समुदायों – जो भी आपके मन में आता है – ने योगदान दिया है. आप उन सबको इस सूची में जोड़ सकते हैं. (जो लोग मिजोरम में रह रहे हैं) उन्हें ईसाई कहा जाता है, लेकिन उनके सीएम कहते हैं कि ‘राम’ मिजोरम के नाम में है और दुनिया उन्हें बिना किसी कारण के ईसाई कहती है. ईसाई होने का मतलब राम का विरोध करना नहीं है.”
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अयोध्या में बनने वाले मंदिर के निर्माण के लिए धन जुटाने का अभियान चलाया था. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), जिसके अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष दास हैं, ने भी मंदिर के लिए धन संग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया है.
राय ने कहा कि राम लला (भगवान राम का पांच साल के बच्चे के रूप में प्रकट होना) की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 16 से 24 जनवरी के बीच की जाएगी. इस संबंध में महंत दास ने कहा कि काशी के कुछ पुजारियों ने सुझाव दिया था कि समारोह के लिए सबसे अच्छा मुहूर्त 22 जनवरी को है.
पिछले हफ्ते ट्रस्ट और राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने संकेत दिया था कि समारोह 22 जनवरी को हो सकता है.
राम मंदिर के मुख्य पुजारी महंत सत्येन्द्र दास ने कहा कि किसी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा आमतौर पर शिखर के निर्माण के बाद होती है और उससे पहले पूरे मंदिर की एक अलग पूजा की जाती है.
उन्होंने कहा, “आमतौर पर शिखर का निर्माण प्राण प्रतिष्ठा से पहले होता है. शिखर के निर्माण के बाद पूरे मंदिर की पूजा की जाती है और फिर प्राण प्रतिष्ठा होती है.”
इस बीच, राय ने खुलासा किया कि राम जन्मभूमि अभियान शुरू करने से पहले संगठन पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण के साथ शुरू हुआ था.
उन्होंने कहा, “राम मंदिर हमारा सपना नहीं था. हमारा सपना अलग था. हमारा सपना था कि हिंदुस्तान को पूरी दुनिया में श्रेष्ठ बनाया जाए. एक समय था जब इसे गुरु के रूप में हमारे देश की पूरे विश्व में पूजा होती थी. सपना इसे उससे भी बड़ा बनाने का था. हिंदुस्तान के बुद्धिजीवी अपने आचरण से दुनिया को सीख देंगे. और यूरोप की तरह शासन नहीं करेंगे. हम विदेशी भूमि पर कब्ज़ा करने, संसाधनों को लूटने और मूल निवासियों को गरीब बनाने के लिए नहीं जाएंगे. यूरोप ने यही किया है. उसने अपने मूल समुदायों को समाप्त कर दिया.” उन्होंने राम जन्मभूमि अभियान के साथ विहिप के जुड़ाव पर ये बातें कहीं.
राय कहते हैं, “हमारे ऋषि-मुनियों ने पूरी दुनिया की यात्रा की. अच्छा जीवन जीने की कला सिखाई और फिर घर लौट आए. हमारा संदेश था स्वं स्वं चरित्रं, शिखर प्रतिभा सर्वमानवाः (अपने चरित्र को ऊंचाई तक उठाएं). यही हमारा लक्ष्य है और राम जन्मभूमि इसके लिए एक सुंदर रास्ता है, जिसने हिंदुस्तान और दुनिया भर में रहने वाले सभी भारतीयों को जागृत किया है.”
(संपादन: ऋषभ राज)
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