स्थानीय एसपीओ जो सेना और नियमित पुलिस के साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ते हैं, घाटी में आतंकवादियों के लिए सबसे मुलायम चारा बनकर उभरे हैं.
नई दिल्ली : आतंकवादियों की धमकी के फलस्वरूप आई इस्तीफों की बाढ़ के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने कश्मीर में स्पेशल पुलिस ऑफिसर्ज़ (एसपीओ) के वेतन में संशोधन किया है. ऐसा करने की मांग स्थानीय हितधारकों द्वारा काफी समय से की जा रही थी.
हालांकि उनका वेतन अब भी पांच साल की सेवा के लिए 6,000 और 15 वर्ष की सेवा के लिए 12,000 रूपये मात्र है.
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में एसपीओ अग्रणी भूमिका निभाते आये हैं. ये बिना किसी ख़ास प्रशिक्षण के नियमित पुलिस और सेना के साथ मिलकर घाटी में फैले दशकों पुराने आतंकवाद के खिलाफ काम करते हैं और ज़रुरत पड़ने पर अपनी जान भी देते हैं.
एक वरिष्ठ जम्मू-कश्मीर पुलिस अधिकारी ने संशोधित वेतन को “मज़ाक” बताया.
उन्होंने कहा ,”आप कल्पना करें कि लगातार 15 साल काम करने के बावजूद आपको नियमित न किया जाए. मुझे लगता है कि निजी सुरक्षा गार्ड भी उनसे अधिक कमाते हैं. ”
एसपीओ के “मासिक मानदेय” के संशोधन का आदेश मंगलवार को तब दिया गया था जब जम्मू-कश्मीर सरकार ने गृह मंत्रालय को इस बाबत एसओएस भेजा था. कुछ ही महीनों पहले महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाले पीडीपी-बीजेपी राज्य प्रशासन ने भी केंद्र से यह अनुरोध किया था.
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केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश के अनुसार, 10,967 एसपीओ, जो पांच साल से कम समय से काम कर रहे हैं, उन्हें अब 6,000 रुपये प्रति माह का मानदेय दिया जाएगा वहीँ पांच से 15 साल की सेवा वाले 10,623 कर्मियों को 9,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे. सेवा में 15 साल पूरे कर चुके 8,411 एसपीओ को 12,000 रुपये प्रति माह मिलेंगे.
इस्तीफे की धमकी
पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवादी समूह हिज़बुल मुजाहिदीन द्वारा उन्हें “इस्तीफा देने या मरने” की धमकी देने के बाद पिछले 10 दिनों में जम्मू-कश्मीर में तीन दर्जन से ज़्यादा एसपीओ इस्तीफ़ा दे चुके हैं. हिज़बुल ने अपने इस फरमान में एसपीओ को अपने इस्तीफे को सार्वजनिक करते हुए सोशल मीडिया पर वीडियो डालने का भी निर्देश दिया है.
ये इस्तीफे पिछले हफ्ते हुई तीन एसपीओ के अपहरण और हत्या के बाद आये हैं. इसके अलावा ऐसे और भी कई हमले हुए हैं जिनमें स्थानीय एसपीओ और उनके परिवारों को मुखबिर होने के संदेह में आतंकियों द्वारा निशाना बनाया गया है.
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इस्तीफे की इन वीडियो के फलस्वरूप होनेवाले “रिपल इफेक्ट” की सम्भावना से चिंतित सरकार ने घाटी के कई हिस्सों में इंटरनेट की सुविधाएं बंद कर दी हैं.
राज्य प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक एसपी वैद ने, जिन्हें राज्य में गवर्नर शासन लागू होने के बाद उनके पद से हटा दिया गया था, वेतन संशोधन के मुद्दे के साथ साथ इन अफसरों को नियमित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया था.
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