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बुधवार, 7 मई, 2025
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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने करतारपुर कॉरिडोर को ‘अगली सूचना तक’ बंद करने का आदेश दिया

पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस बंद को ‘धार्मिक स्वतंत्रता का भड़काऊ उल्लंघन’ करार दिया है.

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नई दिल्ली: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद करतारपुर कॉरिडोर, जो भारत से पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब तक सिख तीर्थयात्रियों के लिए वीज़ा-रहित मार्ग है, को एकतरफा रूप से बंद कर दिया है.

गृह मंत्रालय के अधीन इमिग्रेशन ब्यूरो ने इस कॉरिडोर को “अगली सूचना तक” बंद कर दिया है. बुधवार को, द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, एकीकृत चेक-पोस्ट पर जमा हुए 150 तीर्थयात्रियों को 90 मिनट तक इंतजार करवाने के बाद वापस घर भेज दिया गया

जहां पहलगाम आतंकी हमले के बाद अटारी-वाघा बॉर्डर बंद कर दिया गया था, वहीं करतारपुर कॉरिडोर अब तक चालू था.

भारत सरकार की ओर से कॉरिडोर बंद करने के कारणों या इसे फिर से खोलने की योजना को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.

पाकिस्तानी वेबसाइट मिनिट मिरर के अनुसार, पाकिस्तानी अधिकारियों ने करतारपुर कॉरिडोर की बंदी को धार्मिक स्वतंत्रता का उकसावे से भरा उल्लंघन बताया है. एक अधिकारी ने भारत के इस फैसले को “सिर्फ एक राजनीतिक कृत्य नहीं, बल्कि भारतीय सिखों के धार्मिक अधिकारों पर हमला” बताया.

पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान ने अपनी ओर से करतारपुर कॉरिडोर पर संचालन जारी रखा, जिसमें एवाक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट स्थल का प्रबंधन देख रहे हैं. पाकिस्तान ने अब तक सिख तीर्थयात्रियों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया है.

2019 में उद्घाटित यह कॉरिडोर सहयोग का प्रतीक रहा है, जिससे भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान में उनके सबसे पवित्र स्थलों में से एक तक पहुंच मिली.

यह पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब—सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की अंतिम विश्रामस्थली—को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारे से जोड़ता है. यह वीज़ा-रहित मार्ग 4.7 किलोमीटर में फैला है और भारतीय सीमा को सीधे पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारे से जोड़ता है.

22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 लोगों की जान गई, के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक संबंधों को घटा दिया. इसके परिणामस्वरूप, अमृतसर के अटारी-वाघा चेकपोस्ट से व्यापार बंद कर दिया गया. लेकिन करतारपुर कॉरिडोर चालू था.

22 अप्रैल को हुए हमले के अगले दिन, 408 तीर्थयात्रियों ने कॉरिडोर पार किया, जो औसत दैनिक संख्या 425 के करीब था. हालांकि, 24 अप्रैल से तीर्थयात्रियों की संख्या में गिरावट शुरू हो गई. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जहां 493 को अनुमति दी गई थी, वहीं केवल 333 ने ही यात्रा की.

यह कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उस समय के पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा 9 नवंबर, 2019 को गुरु नानक की 550वीं जयंती पर उद्घाटित किया गया था. यह सिख समुदाय की एक लंबे समय से चली आ रही मांग थी.

द्विपक्षीय समझौते के अनुसार, भारतीय तीर्थयात्रियों को इस पवित्र स्थल तक वीज़ा-रहित, उसी दिन वापसी की अनुमति प्राप्त है. यह कॉरिडोर विभाजन के बाद से बंटे पंजाब क्षेत्र में भारत और पाकिस्तान के लोगों के बीच एक प्रतीकात्मक पुल के रूप में भी काम करता रहा है.

शुरुआत में यह कॉरिडोर केवल चार महीने ही संचालित हुआ था, इसके बाद कोविड-19 महामारी के चलते बंद कर दिया गया. इसे 17 नवंबर, 2021 को दोबारा खोला गया था. पिछले साल, इस समझौते को अगले पांच वर्षों के लिए नवीनीकृत किया गया था.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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