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Tuesday, 5 November, 2024
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मिसाइल साइट्स के बाद अब एलएसी से सटे लद्दाख और डोकलाम के नज़दीक हेलीपोर्ट्स बना रहा है चीन

सुरक्षा और रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के मुताबिक निर्माण का उद्देश्य उन हजारों सैनिकों के लिए बैक-अप प्रदान करना है जो लद्दाख के पास और भारतीय क्षेत्र में हैं और साथ ही ये एक संभावित दबाव की रणनीति भी हो सकती है.

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नई दिल्ली: एलएसी के करीब बड़ी तादाद में सैन्य जमावट के बीच चीन भारत से सटे अपनी सीमा के नज़दीक हेलीपोर्ट्स बना रहा है. दिप्रिंट को यह जानकारी मिली है.

इसमें एक हेलीपोर्ट डोकलाम के नज़दीक बनाया जा रहा है जो कि भारत, चीन और भूटान की सीमा से लगा हुआ इलाका है. ये वही क्षेत्र है जहां 2017 में एशिया की दो बड़ी शक्तियों के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना हुआ था.

यह उस समय हो रहा है जब सैटिलाइट इमेज से पता चला है कि चीन वायु रक्षा में महत्वपूर्ण अंतर को पाटने के लिए एक नई सतह से हवा में मिसाइल के स्थान का निर्माण भी कर रहा है.

लद्दाख के दक्षिणी तट पैंगोंग त्सो में हुए 29 और 30 अगस्त की मध्यरात्रि को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक ताजा संघर्ष की खबरों के बीच ये पता चला है.

दिप्रिंट और एनोनिमस ओपन सोर्स उपग्रह इमेजरी विशेषज्ञ @detresfa_ ने डोकलाम में हेलिपोर्ट पर एक विस्तृत नज़र रखने के लिए एक साथ काम किया है.


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पूर्वी लद्दाख में भी हो रहा है हेलीपोर्ट्स का निर्माण

@Detresfa_ द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, चीन पूर्वी लद्दाख में भी दो नए हेलीपोर्ट बना रहा है- एक तियानशुईहाई में, जो गलवान घाटी और अक्साई चीन क्षेत्र के पास है और दूसरा रुतोग काउंटी में, जो पैंगोंग त्सो के उत्तरी तट के पास है.

जैसा कि दिप्रिंट ने पहले भी बताया था, चीन ने पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी की ओर निर्माण गतिविधियों को जारी रखा है, भले ही वह इस बीच भारत के साथ पीछे हटने के लिए हो रही वार्ता में शामिल है.

जुलाई के बाद से डिसइंगेजमेंट वार्ता आगे नहीं बढ़ पाई है.

सुरक्षा और रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के मुताबिक निर्माण का उद्देश्य उन हजारों सैनिकों के लिए बैक-अप प्रदान करना है जो लद्दाख के पास और भारतीय क्षेत्र में हैं और साथ ही ये एक संभावित दबाव की रणनीति भी हो सकती है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को पहले बताया था कि जुलाई में गलवान वैली के करीब वाई जंक्शन जो कि भारतीय क्षेत्र में है, वहां से चीनी सैनिकों के हटने के पीछे गलवान नदी के स्तर का बढ़ना है जिसके कारण उनके सैनिकों के लिए वहां रहना मुश्किल हो गया था और इस क्षेत्र से उन्हें डिसइंगेज करने के लिए ज्यादा कुछ प्रयास करने की भी जरूरत नहीं पड़ी.


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चीन की बड़ी रणनीति

@Detresfa_ के साथ मिलकर काम करने वाले भू-राजनीतिक खुफिया प्लेटफॉर्म स्ट्रैटफॉर के एक विश्लेषक सिम टैक ने कहा, ‘नए इमेज क्षेत्रीय हेलीकाप्टर संचालन के लिए बनाए जा रहे बेस को दिखाता है. यह कुछ अन्य सुविधाओं के साइज़ और लेआउट में एक जैसा है, जिसे चीन ने हाल के वर्षों में बनाया है, जिसमें विवादित लद्दाख और उसके आसपास के कई क्षेत्र शामिल है.’

टैक ने कहा कि हेलिपोर्ट तिब्बती पठार के करीब सैन्य सुविधाओं को विस्तार देने के लिए एक व्यापक चीनी प्रयास का हिस्सा प्रतीत होता है.

एलएसी के करीब होने वाली हलचल पर नज़दीक से नज़र रखने वाले टैक ने कहा, ‘इनमें नए एयरबेस या एयरबेस के विस्तार और कई नए वायु रक्षा पोजिशन शामिल हैं.’

उन्होंने कहा कि ये सभी विभिन्न विस्तार दक्षिण चीन सागर में चीन के बुनियादी ढांचे के विकास के समान एक बड़ी रणनीति की तरह है.

उन्होंने कहा, ‘यह बताता है कि बीजिंग अपनी पश्चिमी सीमा के करीब अपने क्षेत्रीय दावों को और अधिक आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है.’

@detresfa_ ने कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा बुनियादी ढांचे का निरंतर निर्माण, उन क्षेत्रों में जो पहले से ही संघर्ष और विवादित क्षेत्र रहे हैं, चीन के दीर्घकालिक महत्वाकांक्षाओं को दिखाता है.

उन्होंने कहा, ‘डोका ला और नाकू ला से 100 किमी के भीतर एरियल डिनाएल सिस्टम के साथ एक हेलिपोर्ट के निर्माण से चीन विवादित क्षेत्रों के उन विषम इलाकों में किसी भी स्थिति में अपना संचालन करने में सक्षम हो जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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