बेंगलुरु: थूटुकुडी के सथानकुलम में जयराय (जिसे जेयराज भी लिखा जा रहा) और उसके बेटे बेनिक्स (या फिर फेनिक्स) की हिरासत में मौत की घटना के मद्देनजर तमिलनाडु पुलिस ने अपने 80 पुलिसकर्मियों को छुट्टी पर भेज दिया है क्योंकि उन्हें व्यवहार में सुधार संबंधी थेरेपी की जरूरत है.
संबंधित पायलट प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे आईपीएस अफसर और तिरुचिरापल्ली रेंज के डीआईजी वी बालाकृष्णन ने दिप्रिंट को बताया कि अपने खराब व्यवहार के कारण चिह्नित किए गए 80 पुलिसकर्मी काग्निटिव बिहेविरल थेरेपी (सीबीटी) कार्यक्रम में शामिल किए जाएंगे.
जयराज और बेनिक्स की कथित तौर पर पुलिस यातना के कारण हुई मौत के बाद पुलिसिया अत्याचारों को लेकर व्यापक आक्रोश है और सार्वजनिक बहस छिड़ गई. इस मामले में छह पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया था जबकि 26 अन्य का स्थानांतरण हुआ है.
जयराज और बेनिक्स को 19 जून को गिरफ्तार किया गया था, जब सथानकुलम पुलिस ने दावा किया था कि उन्होंने अपना मोबाइल फोन स्टोर लॉकडाउन नियमों के तहत निर्धारित समय के बाद भी खोल रखा था. 22 जून को परिवार को सूचित किया गया कि सरकारी अस्पताल में बेनेक्स की मौत हो गई है, जिसके अगले दिन जयराज की भी मौत हो गई थी.
इस घटना के सामने के आने के तुरंत बाद पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत के कई अन्य मामले भी सामने आए थे, जिससे बाद तमिलनाडु पुलिस को बदलाव की पहल करने के लिए बाध्य होना पड़ा.
सुधार कार्यक्रम में क्या
सीबीटी कार्यक्रम के तहत इसका पता लगाया जाएगा कि सेवा के दौरान पुलिसकर्मियों का व्यक्तिगत व्यवहार कैसा रहा है, साथ ही उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि और मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति का भी अध्ययन किया जाएगा.
डीआईजी बालाकृष्णन ने कहा, हो सकता है कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान उनके व्यवहार के बारे में कुछ पता न चल पाए लेकिन जब जवान मैदान में आते हैं और वास्तविक स्थितियों का सामना करते हैं, तभी सही मायने में उनके व्यक्तित्व की झलक मिलती है. उनके अनुचित व्यवहार की वजह बचपन में हुई मारपीट, एकल माता-पिता की परवरिश आदि से संबंधित हो सकती है. हम उनके अनुभवों को जान-समझकर उनकी मदद करना चाहेंगे.
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बालकृष्णन पुलिस सुधारों से जुड़े कई कार्यक्रमों को शुरू करने में अग्रणी रहे हैं, मदुरै में बतौर एसपी तैनाती के दौरान पुलिसबल के अंदर मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों की पहचान और उसके अनुरूप सहायता उपलब्ध कराने दिशा में उनके प्रयासों की काफी सराहना हुई थी.
उन्होंने आगे बताया कि 80 पुलिसकर्मियों की सूची तीन फैक्टर पर आधारित है, गुस्से पर काबू न रहना, जनता से बातचीत के दौरान संयम खोकर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल और बल प्रयोग करना.
बालाकृष्णन ने स्पष्ट किया, बल प्रयोग को आवश्यकता और आनुपातिकता दो आधार पर वर्गीकृत किया गया है.
यह सूची न केवल जनता की शिकायतों के आधार पर तैयार की गई है, बल्कि इसमें विशेष शाखा और उप-विभागीय अधिकारियों के फीडबैक के आधार पर दर्ज आंकड़ों और रिपोर्ट को भी शामिल किया गया है.
बालाकृष्ण ने बताया, हम विशेष रूप से डिजाइन किए गए इस कोर्स के पूरा होने पर एक रिपोर्ट पेश करेंगे और यदि यह कार्यक्रम सफल रहा तो इसे पूरे राज्य के सभी डिवीजन में अमल में लाया जाएगा. इस थेरेपी कार्यक्रम के पूरा होने के बाद पुलिसकर्मियों को फिर से धीरे-धीरे नियमित ड्यूटी पर लगाया जाएगा.
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