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Thursday, 28 March, 2024
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आईआरएस के बाद आईएएस, आईपीएस अधिकारी भी होंगे समय से पहले रिटायर

मोदी सरकार ने अब सभी मंत्रालयों और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (पीएसयू) को ऐसे अधिकारियों का नाम बताने को कहा गया है जिन्हें समय से पहले रिटायर किया जा सके.

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नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार ‘भ्रष्ट’ और ‘निकम्मे’ सरकारी अधिकारी से छुटकारा पाना जारी रखेगी. सरकार ने ऐसे और नौकरशाहों को हटाने का फैसला किया है और चाहती है कि ‘दाग़दार’ अधिकारियों का अब मासिक रिव्यू हो.

अभी कुछ ही दिनों पहले प्रतिष्ठित इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस) के 27 अधिकारियों को जबरदस्ती रियाटर कर दिया गया था. सरकार ने अब सभी मंत्रालयों और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स (पीएसयू) को ऐसे अधिकारियों का नाम बताने को कहा गया है जिन्हें समय से पहले रिटायर किया जा सके.

20 जून को सभी मंत्रालयों के सचिवालयों की लिखी एक चिट्ठी में डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीडी) ने कहा, ‘मंत्रलायों/विभागों को ये सुनिश्चित करना है कि जनहित में सरकारी अधिकारियों को समय से पहले रिटायर करने के लिए मत बनाने जैसे सुझाए गए उपायों का पालन किया जाए और ये फैसला मनमाना नहीं है और अनुप्रासंगिक आधार पर आधारित नहीं है.’

डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों से ऐसे अधिकारियों से जुड़ी रिपोर्ट सौंपने को कहा है जिनके बारे में मंत्रालयों को लगता है कि उन्हें मौलिक नियम 56(j) (1) और सीसीएस (पेंशन) के नियम 48, 1972 के तहत समय से पहले रिटायर किया जा सकता है. सेंट्रल सिविल सर्विसेज़ (पेंशन) नियम, 1972 के मौलिक नियम 56(j) के तहत सरकारी अधिकारियों को जनहित में समय से पहले रिटायर किया जा सकता है.


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सूत्रों के मुताबिक, ‘दाग़दार’ रिकॉर्ड वाले आईएएस अधिकारियों को सबक सिखाने के लिए सरकार इस नीयम को जल्द इस्तेमाल कर सकती है. इनमें से कई पहले से सरकार के निशाने पर हो सकते हैं.

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नियम पहले से थे लेकिन शायद ही इनका इस्तेमाल होता था

हालांकि ये नियम पहल से थे, लेकिन नौकरशाही में मौजूद भ्रष्टाचारियों को सज़ा देने के लिए शायद ही इसका इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन मोदी सरकार के शासन में इन नियम को बल में क्योंकि सरकार ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और कस्टम डिपार्टमेंट के 27 आईआरएस अधिकारियों को जबरदस्ती रिटायर कर दिया.

अन्य गंभीर आरोपों के अलावा इन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और यौन उत्पीड़न से लेकर धोख़ाधड़ी और सार्वजनिक कार्यालय के ग़लत इस्तेमाल जैसे आरोप भी लगे थे.

ऐसी जानकारी सामने आई थी कि कैबिनेट सचिवालय और सेंट्रल विजिलेंस कमिशन ने कई विभागों के निगरानी अधिकारियों से ऐसे अधिकारियों की पहचान करने को कहा था जिन्हें इसी नियम के तहत समय से पहले रिटायर किया जा सके. डीओपीटी की ये चिट्ठी ऐसा कहे जाने के कुछ दिन बाद सामने आई है.


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पिछले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस नियम को सख़्ती से इस्तेमाल करने की मांग की थी लेकिन अब जब दूसरे कार्यकार्ल में प्रचंड बहुमत की सरकार आई है तो ऐसे अधिकारियों की जमकर ख़बर ली जा रही है.

दिप्रिंट ने जिन अधिकारियों से बात की उनमें से कुछ ने इसे लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसका ऐसे अधिकारियों के ख़िलाफ़ ग़लत इस्तेमाल किया जा सकता है जो सरकार को नागवार गुज़रते हों. हालांकि, ज़्यादा लोक सेवकों ने इस कदम का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि इससे नौकरशाही में सुधार आएगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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