नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को उच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें उन्हें आवंटित सरकारी बंगले को खाली करने के नोटिस पर रोक लगाई गई है. उन्होंने दावा किया कि बंगले का आवंटन रद्द करने का मामला ‘राजनीतिक बदले’ की कार्रवाई है.
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को चड्ढा को राहत देते हुए उनकी उस याचिका को स्वीकार कर लिया जिसमें उन्होंने राज्यसभा सचिवालय के बंगला खाली करने के नोटिस पर रोक लगाने वाली निचली अदालत के अंतरिम आदेश को संबंधित अदालत द्वारा बाद में रद्द किए जाने के फैसले को चुनौती दी थी. निचली अदालत के बाद के फैसले से चड्ढा से बंगला खाली कराने का रास्ता साफ हो गया था.
न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने ‘आप’ नेता की अपील पर आदेश पारित करते हुए कहा कि 18 अप्रैल को निचली अदालत ने राज्यसभा सचिवालय को निर्देश दिया था कि वह चड्ढा से बंगला खाली नहीं कराए, और इस व्यवस्था को बहाल किया जाता है . अदालत ने कहा कि यह फैसला तब तक प्रभावी रहेगा जब तक निचली अदालत अंतरिम राहत के सांसद के आवेदन पर फैसला नहीं कर लेती है.
चड्ढा ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया, ‘‘मैं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालत के फैसले को रद्द करने के निर्णय का स्वागत करता हूं, जो मेरे खिलाफ था. आवंटन रद्द करना साफ तौर पर राजनीतिक बदले की कार्रवाई थी जिसका लक्ष्य युवा और मुखर सांसद को चुप कराना था. मेरे आधिकारिक आवास का आवंटन रद्द करने का फैसला मनमाना, अतार्किक और अन्यापूर्ण था और यह राजनीतिक बदले के नए निम्न स्तर को प्रस्तुत करता है.’’
सांसद ने आरोप लगाया कि विपक्ष की आवाज को ‘जानबूझकर निशाना’बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मकान या दुकान का नहीं, संविधान को बचाने की लड़ाई है. अंत में सच्चाई और न्याय की जीत हुई.’’
‘आप’ के वरिष्ठ नेता ने घटना को ‘लोकतांत्रिक मूल्य का अभूतपूर्व हनन’ करार दिया. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘राज्यसभा के 70 साल के इतिहास में पहली बार हुआ है जब सदस्य ने सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए इस तरह के ‘राजनीतिक उत्पीड़न’ का सामना किया.
चड्ढा ने रेखांकित किया, ‘‘आवंटन न केवल दुर्भावनापूर्ण मंशा से रद्द किया गया बल्कि इसमें कई अनियमितताएं थीं जो स्पष्ट रूप से स्थापित नियम-कायदों का उल्लंघन है. प्रत्येक सांसद आधिकारिक आवास के लिए अधिकृत है और जो मुझे दिया गया उसी तरह का आवास पहली बार सांसद बने मेरे कई साथियों को मिला.’’
आप नेता ने कहा कि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार को जवाबदेह बनाने के लिए दो बार संसद में भाषण दिए. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके पहले भाषण के बाद उनके आधिकारिक आवास का आवंटन रद्द कर दिया गया.
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे दूसरे भाषण के बाद मेरी संसद सदस्यता निलंबित कर दी गई. कोई भी सांसद तब तक काम नहीं कर सकता जब तक उसे यह चिंता सताए कि उसके स्पष्ट और ईमानदार भाषण की आगे उसे क्या कीमत चुकानी पड़ेगी.’’
चड्ढा ने जोर देकर कहा कि वह डरे नहीं हैं और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को कायम रखने के लिए ‘कोई भी कुर्बानी देन को तैयार हैं.’
उच्चतम न्यायालय ने चड्ढा की, राज्यसभा से अनिश्चितकालीन निलंबन के खिलाफ उनकी याचिका पर विचार करने के लिए सोमवार को सहमत हो गया और इस मुद्दे पर राज्यसभा सचिवालय से जवाब देने का निर्देश देते हुए फैसला करने के लिए अटॉर्नी जनरल से सहायता मांगी.
चड्ढा ने उच्चतम न्यायालय के घटनाक्रम का हवाला देते हुए कहा कि वह इससे आगे कुछ भी कहना नहीं चाहते.
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि वे मुझे आधिकारिक आवास से निकाल सकते हैं, वे मुझे संसद से निकाल सकते हैं लेकिन वे करोड़ों भारतीयों के दिल से मुझे नहीं निकाल सकते जहां मैं वास्तव में रहता हूं.’’
चड्ढा ने निचली अदालत द्वारा राज्य सभा सचिवालय की समीक्षा अर्जी पर पांच अक्टूबर को दिए आदेश को चुनौती दी थी जिसने 18 अप्रैल के अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया था.
अदालत ने अपने नवीनतम आदेश में कहा था कि चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते हैं कि बतौर राज्यसभा सदस्य अपने पूरे कार्यकाल में सरकारी बंगले में रहना उनका पूर्ण अधिकार है, वह भी तब जबकि आवंटन रद्द कर दिया गया है.
राज्य सभा सचिवालय ने निचली अदालत के खिलाफ दायर चड्ढा की याचिका का विरोध किया.
चड्ढा को पिछले साल छह जुलाई को पंडारा रोड पर ‘टाइप-6’बंगला आवंटित किया गया था लेकिन 29 अगस्त को उन्होंने राज्यसभा के सभापति को भेजे पत्र में ‘टाइप-7’ बंगला आवंटित करने का अनुरोध किया. इसके बाद उन्हें राज्यसभा के कोटे से पंडारा रोड पर ही दूसरा बंगला आवंटित किया गया.
हालांकि, इस साल मार्च में उस बंगले का आवंटन भी रद्द कर दिया गया.
राज्यसभा सदस्यों के लिए अप्रैल 2022 में जारी निर्देशिका के मुताबिक पहली बार राज्यसभा सदस्य बनने वाले सांसदों को सामान्य तौर पर ‘टाइप-5’ बंगला आवंटित किया जाता है.
निर्देशिका के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व राज्यपाल या पूर्व मुख्यमंत्री या पूर्व लोकसभा अध्यक्ष के पद पर रह चुके सांसद ही टाइप-7 बंगले के आवंटन की पात्रता रखते हैं.
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