नयी दिल्ली/मुंबई, तीन सितंबर (भाषा) सरकार की फटकार के बाद ‘नेटफ्लिक्स इंडिया’ ने मंगलवार को कहा कि उसने वेब सीरीज ‘आईसी-814: द कंधार हाईजैक’ में दिखाए गए ‘इंडियन एयरलाइंस’ के विमान के अपहरणकर्ताओं के असली और कूट (कोड) नाम शामिल किए हैं।
इस वेब सीरीज में आतंकवादियों के मानवीय चित्रण और उनके हिंदू कूट नामों के संदर्भ पर दर्शकों के एक वर्ग द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद यह विवाद शुरू खड़ा हो गया था, जिसमें उनका (दर्शकों का) तर्क है कि अपहरणकर्ताओं की असली पहचान को तोड़-मरोड़ का दिखाना ऐतिहासिक घटनाओं को गलत तरीके से पेश करने के बराबर है।
सूचना और प्रसारण सचिव संजय जाजू ने नेटफ्लिक्स इंडिया की कंटेट प्रमुख मोनिका शेरगिल को तलब किया और वेब सीरीज में कुछ तत्वों के चित्रण पर सरकार की कड़ी असहमति जताई।
‘नेटफ्लिक्स इंडिया’ की उपाध्यक्ष (कंटेंट) मोनिका शेरगिल ने कहा, ‘‘1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 के अपहरण से अनजान दर्शकों के लाभ के लिए अपहरणकर्ताओं के वास्तविक और कोड नाम शामिल करते हुए शुरुआती डिस्कलेमर (अस्वीकरण) को अद्यतन किया गया है।’’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘सीरीज में दिए गए नाम वास्तविक घटना के दौरान इस्तेमाल किए गए कूट नामों को दर्शाते हैं।’’
अपहरणकर्ताओं के असली नाम इब्राहिम अतहर, शाहिद अख्तर सईद, सनी, अहमद काजी, जहूर मिस्त्री और शाकिर थे। हालांकि, सीरीज में आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए गए कूट नामों का उल्लेख किया गया है जिनमें भोला, शंकर, डॉक्टर, बर्गर और चीफ शामिल हैं।
शेरगिल ने कहा, ‘‘भारत में कहानी बयां करने की समृद्ध संस्कृति है और हम इन कहानियों को प्रस्तुत करने और उनके प्रामाणिक चित्रण के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि ओटीटी मंच को यह समझने की जरूरत है कि कुछ चीजो का समाज पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
अधिकारी ने कहा, ‘‘मुद्दा यह है कि हमें एक-दूसरे को समझना चाहिए। आपकी सोच क्या है, हमारी सोच क्या है? एक-दूसरे को समझने की जरूरत है और यह भी कि कुछ चीजों का समाज पर किस तरह का प्रभाव पड़ सकता है।’’
अनुभव सिन्हा द्वारा निर्देशित इस वेबसीरिज में विजय वर्मा, पत्रलेखा, पंकज कपूर, नसीरुद्दीन शाह, अरविंद स्वामी, दीया मिर्जा जैसे कलाकारों ने काम किया है। यह वेब सीरीज दिसंबर 1999 में पाकिस्तान के आतंकी संगठन हरकत-उल मुजाहिदीन द्वारा विमान अपहरण की सच्ची घटना को बयां करती है।
इस सीरीज को लेकर सोशल मीडिया और अन्य मंचों पर विवाद देखा जा रहा है। कई लोगों ने दावा किया है कि फिल्म निर्माता ने अपहर्ताओं के नाम बदलकर ‘शंकर’ और ‘भोला’ कर दिए हैं, ताकि कथित तौर पर एक खास समुदाय से जुड़े आतंकवादियों को बचाया जा सके।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उपयोगकर्ता ‘बॉयकॉट नेटफ्लिक्स’, ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ लिखते हुए पोस्ट कर रहे हैं लेकिन उस हादसे में बचे लोग और पत्रकार इस सीरीज के समर्थन में सामने आए हैं और कह रहे हैं कि अपहरणकर्ताओं ने शो में दिखाए गए कूट नामों का इस्तेमाल किया था।
सीरीज में अपहरणकर्ताओं द्वारा इस्तेमाल किए गए ‘कल्पित नाम’ सार्वजनिक तौर पर कई मंचों पर मौजूद हैं, जिसमें छह जनवरी 2000 को जारी केंद्रीय गृह मंत्रालय का आधिकारिक बयान भी शामिल है।
सरकार ने वेब सीरीज के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, जिसमें एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने तर्क दिया है कि ‘‘किसी को भी इस देश के लोगों की भावनाओं के साथ खेलने का अधिकार नहीं है।’’
प्रतिनिधि ने कहा कि फिल्म निर्माताओं को किसी चीज को गलत तरीके से दिखाने से पहले सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘आप उदार हो सकते हैं, लेकिन आप संस्थानों को गलत तरीके से चित्रित नहीं कर सकते।’’
आतंकवादियों के चित्रण ने एक राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया। जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने फिल्म निर्माताओं की आलोचना की और विपक्षी नेशनल कॉन्फ्रेंस तथा शिवसेना (यूबीटी) ने 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली तत्कालीन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के इस घटना से निपटने के तरीकों को लेकर सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधा।
भाषा खारी पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.