अंतरिम बजट से सबसे बड़ी उम्मीद टैक्स स्लैब रेट में बढ़ोत्तरी की थी. अपने भाषण के अंत में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा कि जिनकी आय 5 लाख से कम है, उन्हें टैक्स में छूट मिलेगी.दूसरे शब्दों में कहें तो अगर आपकी आय 5 लाख से ज्यादा तब आपको टैक्स में छूट नहीं मिलेगी.
करों में छूट कुल 12,500 रुपये सलाना मिलेगी. जो कि पहले 2500 रुपये सलाना थी. ये अतिरिक्त आय लगभग 1 हजार रुपये प्रति महीने के आसपास है.अगर इसे विस्तार से समझे तो कुल आय पर कटौती का प्रभाव अध्याय VI-A में लिखे प्रावधानों के अनुसार होगा, जो कि टैक्स बचत स्कीम इनवेस्टमेंट और हाउसिंग लोन में 1.5 लाख सलाना की कटौती के बारे में बताता है.अगर ये लोकसभा चुनाव को देखते हुए एक लोकलुभावना कदम भी है तब भी यह एक समझदारी भरा फैसला है क्योंकि इससे सरकारी खजाने पर कोई खास असर नहीं पडे़गा.
कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने घोषणा किया कि सरकार इस तरह की छूट देकर 18,500 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी.जब 6.2 लाख करोड़ रुपये के कुल व्यक्तिगत कर संग्रह लक्ष्य और 91,000 करोड़ रुपये के वृद्धिशील कर संग्रह के साथ तुलना की जाती है, तो यह छूट खजाने पर ज्यादा भार नहीं डालता है.
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हालांकि, सीमांत करदाताओं के ऊपर इसका प्रभाव पड़ेगा. दूसरे शब्दों में, मध्यम आय वर्ग में करदाताओं के साथ कदम अच्छा नहीं होगा, जो पहले से ही बड़े कर स्लैब से बोझिल महसूस करते हैं. ऐसा लग रहा है कि सरकार की योजना है कि उस समूह जिनकी टैक्सेबल इनकम 2.5 लाख से 5 लाख के बीच में हो उसे साथ लेकर चला जाए.
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पिछले 10 सालों में करदाताओं की संख्या 3.79 करोड़ से बढ़कर 6.85 करोड़ हो गई है. यह अर्थव्यवस्था के औपचारिकरण और जनता की स्वीकृति के कारण संभव हुआ है.अब अगर टैक्सस्लैब में कोई बदलाव किया जाता है तो बहुत सारे करदाता इसके बाहर चले जाएंगे. और यह एक बड़े समुदाय में टैक्सबेस बढ़ाने के मंसूबों पर पानी फेर देगा.
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