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Friday, 29 March, 2024
होमडिफेंसबालाकोट से सीख लेते हुए भारत ने रूस को 700 मिलियन की मिसाइल के ऑर्डर दिए

बालाकोट से सीख लेते हुए भारत ने रूस को 700 मिलियन की मिसाइल के ऑर्डर दिए

जिन मिसाइलों का ऑर्डर दिया है उनमें करीब 300 शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, आर-73 और 400 मध्यम-रेंज एयर-टू-एयर गाइडेड मिसाइल, आरवीवी-एई शामिल हैं.

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बालाकोट स्ट्राइक और फरवरी में पाकिस्तानी एयर फोर्स से हुए गुत्थम-गुत्थी के बाद भारत रूस से अपनी मिसाइलों का भंडार बढ़ाने की कोशिश में लगा है. मोदी सरकार भारतीय वायु सेना के लिए लगभग $ 700 मिलियन डॉलर के हथियार का ऑर्डर देने जा रही है.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार, ‘इनमें एयर-टू-एयर मिसाइलों के साथ विस्तारित रेंज के साथ-साथ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें भी शामिल हैं.’

उच्च अधिकारी सूत्रों ने बताया कि करीब 300 शॉर्ट-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल, R-73 और 400 मध्यम-रेंज एयर-टू-एयर गाइडेड मिसाइल, आरवीवी-एई, जिन्हें R-77 भी कहा जाता है, उसे लाने का आदेश दिया है.

R-77 मध्यम दूरी की मार करने वाली अमेरिकी AIM-120 AMRAAM मिसाइल का रूसी समकक्ष है. बालाकोट हमले के एक दिन बाद यानी 27 फरवरी को भारतीय Su-30 MKI को निशाना बनाने के लिए पाकिस्तान वायु सेना (पीएएफ) द्वारा इस्तेमाल किए गए अमेरिका निर्मित मिसाइल का प्रयोग किया था.


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इन मिसाइलों को रूसी निर्मित मिग और सुखोई विमान को हाथ लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. सूत्रों ने बताया कि आईएएफ की क्षमता बढ़ाने के लिए आदेश में एक रडार-बस्टिंग मिसाइल, एक्स -31 भी शामिल है.

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रूस और भारत की निगाहें आगे की मिसाइलों पर

सूत्रों ने बताया कि भविष्य के लिए रूस ने भारत को मिसाइलों के साथ मदद करने की पेशकश की है. रूसी सामरिक मिसाइल निगम के अनुसार, अधिकांश रूसी एयर-टू-एयर मिसाइलों के डेवलपर और निर्माता, आर-73 की सीमा 30 किमी है. वहीं इसके नवीनतम संस्करण की रेंज, आरवीवी-एमडी, 40 किमी है.

आर-77 के साथ भी कुछ यही हाल है, जो 80 किमी तक की दूरी तक लक्ष्य को मार सकता है, जबकि इसका नवीनतम संस्करण, आरवीवी एसडी, 110 किमी तक जा सकता है.

रूस वर्तमान में विश्व स्तर पर अपने भागीदारों को कम दूरी की एयर-टू-एयर आरवीवी-एमडी मिसाइलें, मध्यम दूरी की एयर-टू-एयर आरवीवी-एसडी मिसाइलें, लंबी दूरी की एयर-टू-एयर आरवीवी-बीडी मिसाइलें, और मध्यम- रेंज एयर-टू-एयर आरवीवी-एई (आर-77) मिसाइलें प्रदान कर रहा है.


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सूत्रों ने बताया, अन्य मिसाइलों को एकीकृत कर सु -30 के साथ इजरायली डर्बी हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को रूस से अनुमति की आवश्यकता होगी.

रूस और भारत संयुक्त रूप से वायुसेना की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के आधुनिकीकरण के कार्यक्रम को लागू कर सकते हैं. वायु सेना की सभी आवश्यकताओं पर चर्चा और मुलाकात की जा सकती है. सूत्रों के मुताबिक, औपचारिक अनुरोध पूरा होने के बाद काम जल्द से जल्द शुरू हो सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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