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Tuesday, 24 December, 2024
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आखिर क्यों प्रीपेड डिजिटल बिजली के मीटरों के लिए मोदी सरकार के दबाव में नहीं झुकेगा पंजाब

पंजाब सरकार को लगता है कि मौजूदा एनालॉग मीटर को पोस्टपेड डिजिटल से बदलना कम खर्चीला और ज्यादा बेहतर सुधार होगा, क्योंकि राज्य कर्ज में डूबा हुआ है. मुफ्त बिजली देने का चुनावी वादा आप की प्राथमिकता है.

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नई दिल्ली: पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार प्रीपेड मीटरों के लिए केंद्र सरकार द्वारा मांगे गए रोडमैप को पेश करने नहीं जा रही है. दिप्रिंट को मिली जानकारी में यह बात सामने आई है. केंद्र सरकार ने हाल ही में राज्य सरकार से मौजूदा बिजली के मीटरों को प्रीपेड डिजिटल मीटर में बदलने के लिए कहा था. केंद्र ने चेतावनी दी कि अगर राज्य ने प्रीपेड मीटर नहीं लगाए तो बिजली सुधार फंड रोक दिया जाएगा.

10 मार्च को, जिस दिन आप पंजाब में सत्ता में आई थी, केंद्र ने राज्य से तीन महीने के भीतर मौजूदा बिजली मीटरों को प्रीपेड डिजिटल मीटर में बदलने के लिए राज्य की ओर से कोई रोडमैप दिए जाने की मांग की थी. ऐसा न करने की स्थिति में बिजली सुधार फंड रोकने की बात कही गई थी.

पंजाब सरकार को लगता है कि एक प्रीपेड मीटर योजना, जिसके लिए केंद्र सरकार बिजली की चोरी, ट्रांसमिशन नुकसान, आदि को रोकने का तर्क दे रही है, को बिजली सुधार के उपाय के रूप में जबर्दस्ती उन पर थोपा जा रहा है. इससे सरकार की 300 यूनिट फ्री बिजली देने की योजना में रुकावट आएगी. प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वह अपनी इस योजना को बहुत जल्द शुरू करना चाहते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि सरकार राज्य में मौजूदा एनालॉग मीटर को डिजिटल पोस्टपेड से बदलने के लिए तैयार है. इन्हें ‘स्मार्ट’ मीटर भी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि इससे वित्तीय बोझ तो कम होगा ही, साथ ही अभी के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारों के उद्देश्य को भी पूरा करेगा.

पंजाब के बिजली मंत्री हरभजन सिंह के एक करीबी सहयोगी ने नाम न छापने की शर्त पर गुरुवार को दिप्रिंट को बताया, ‘राज्य सरकार की राय है कि प्रीपेड मीटर की कोई जरूरत नहीं है. सरकार बाद में मौजूदा मीटरों को स्मार्ट (डिजिटल पोस्टपेड) मीटरों से बदल देगी. इससे सिस्टम में मौजूद कमियों को दूर करने और बिजली सुधार के उद्देश्य को पूरा करने में मदद मिलेगी.’

राज्य के बिजली विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने इस सप्ताह की शुरुआत में कई हितधारकों के साथ बैठक की और उसके बाद प्रीपेड मीटर योजना की तरफ न जाने का फैसला लिया गया.

अधिकारी ने कहा, ‘प्रीपेड मीटर भी एक बड़ी वित्तीय प्रतिबद्धता है. हमारी प्राथमिकता हर घर में हर महीने 300 यूनिट फ्री बिजली देने की है. ये योजना जल्द से जल्द शुरू की जाएगी.’


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बिजली सुधार फंड खोने का प्रभाव

रोडमैप प्रस्तुत नहीं करने के फैसले के बाद राज्य सरकार उस बिजली सुधार फंड को खो सकती है, जिसे देने का वादा केंद्र सरकार ने किया था. लेकिन राज्य सरकार इसे लेकर थोड़ी आश्वस्त नजर आ रही है. केंद्र और पंजाब दोनों सरकारों के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि प्रीपेड मीटर योजना से जुड़े सुधार फंड तय नहीं हैं. इसे राज्यों की जरूरतों के आधार पर केंद्रीय बिजली मंत्रालय द्वारा गठित एक मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा तय किया जाएगा.

इसलिए, यह कोई निश्चित नहीं है कि पंजाब, जो पहले से ही बड़े पैमाने पर कर्ज में डूबा हुआ है, केंद्र की मांग को मानने के बाद कितने फायदे में रहेगा या सुधार के लिए उसे कितना धन मिलेगा.

संविधान की 7वीं अनुसूची में बिजली का विषय समवर्ती सूची में आता है. इसलिए केंद्र और राज्य दोनों इस क्षेत्र में फैसले ले सकते हैं.

दिप्रिंट ने इस मामले पर केंद्रीय बिजली मंत्रालय के प्रवक्ता से टिप्पणी के लिए फोन और मैसेज के जरिए संपर्क करने की कोशिश की थी, लेकिन वहां से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट अपडेट की जाएगी.

चुनावी वादे, कर्ज और सुधार की जरूरत

हर घर में हर महीने 300 यूनिट फ्री बिजली देना, राज्य विधानसभा चुनावों के लिए आप के मुख्य चुनावी वादों में से एक था. यहां उन्होंने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है. अनुमान है कि इससे सरकारी खजाने पर हर साल तकरीबन 5,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा.

पंजाब पहले से ही 2.82 लाख करोड़ रुपये के कुल कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है. एक अन्य वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि 31 मार्च 2022 तक, पैसे की भारी तंगी से जूझ रहे पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएससीपीएल) का लगभग 10,000 करोड़ रुपये का सब्सिडी बकाया है.

अधिकारी ने आगे कहा कि बिजली वाले क्षेत्र को, एक ऐसे क्षेत्र के रूप में देखा जाता है जिसमें सुधारों के लिए बहुत जगह है. ये अधिक धन जुटाने में मदद कर सकता है. खासकर तब, जब पंजाब को बिजली चोरी के कारण हर साल लगभग 1,200 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हो रहा है.

केंद्र सरकार ने जुलाई 2021 में रिवैम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (संशोधित वितरण क्षेत्र योजना) शुरू की थी. तभी से सरकार से राज्यों में प्रीपेड मीटर लगाने की योजना पर जोर दे रही है. इस योजना के तहत 2025 तक देशभर के सभी 25 करोड़ बिजली मीटरों को प्रीपेड में बदलना है.

यूनियन पावर विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘पंजाब जैसे राज्य में जहां पुराने एनालॉग मीटर काफी ज्यादा है, वहां उन्हें प्रीपेड के साथ बदलने से ट्रांसमिशन और वितरण में होने वाले नुकसान को रोकने तथा बिजली की चोरी का पता लगाने में काफी मदद मिल सकती है.’

राज्य सरकार के रिकॉर्ड के अनुसार, पंजाब में लगभग 1 करोड़ बिजली मीटर लगे हुए हैं, जिनमें से केवल 85,000 डिजिटल पोस्टपेड हैं, जबकि बाकी एनालॉग मीटर हैं. इस तरह के मीटर अब तक कई राज्यों में अप्रचलित हो चुके हैं. राज्य में अभी तक कोई डिजिटल प्रीपेड मीटर नहीं है.

पंजाब में क्यों है इतनी मुश्किलें

ऊपर उद्धृत बिजली अधिकारी ने कहा, जब प्रीपेड मीटर की बात आती है तो पंजाब को दो प्रमुख बाधाओं का सामना करना पड़ता है, किसान संघों से प्रतिरोध, और वित्तीय प्रतिबद्धता में आने वाली मुश्किलें.

किसान संघों ने धमकी दी है कि अगर सरकार प्रीपेड डिजिटल मीटर लगाने का फैसला करती है तो वह राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर देंगे. ऐसी आशंकाए हैं कि इस तरह के मीटर लगाए जाने से किसान – जो फिलहाल पूर्ण सब्सिडी के दायरे में हैं- बिजली की खपत के लिए अपनी जेब से पैसे खर्च करने के लिए उन्हें मजबूर किया जा सकता है.

सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए राज्य का कुल बिजली सब्सिडी बिल 10,668 करोड़ रुपये था. इसमें से 7,180 करोड़ रुपये उन किसानों को सब्सिडी देने में खर्च किए गए, जिन्हें बिजली का बिल नहीं चुकाना होता है.

इस योजना में राज्य को प्रारंभिक लागत का 85 प्रतिशत भुगतान करना होगा जबकि इसका 15 प्रतिशत हिस्सा केंद्र वहन करेगा.

भले ही राज्य को पांच वर्षों में बिजली बिलों से जुड़ी समान मासिक किश्तों में राशि की वसूली करने की अनुमति है. लेकिन मीटर बदलने के लिए प्रारंभिक लागत के लिए राज्य को कम से कम 5,100 करोड़ रुपये खर्च होंगे. ऊपर उद्धृत वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इससे राज्य की जल्द ही 300 यूनिट फ्री बिजली योजना शुरू करना असंभव हो जाएगा.

राज्य के एक बिजली अधिकारी ने कहा कि पंजाब में मौजूदा एनालॉग मीटरों को डिजिटल पोस्टपेड मीटर से बदलने का अनुमान है. इसमें 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत नहीं आएगी. उन्होंने आगे कहा, ‘बिजली क्षेत्र में सुधार के संदर्भ में, यह आर्थिक रूप से उल्लेखनीय है. खासकर अगर इसे 1-2 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से किया जाए. इससे बिजली की चोरी आदि के मामलों को कम करने में काफी मदद मिलेगी.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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