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शुक्रवार, 6 जून, 2025
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एक दशक के समर्पण और क्षति के बाद कश्मीर को रेल से जोड़ने का सपना हुआ साकार : इंजीनियर कुमार

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(जेहरा शफी)

बनिहाल (जम्मू-कश्मीर), छह जून (भाषा) रेलवे इंजीनियर तरुण कुमार के लिए शुक्रवार को उधमपुर-बारामूला-श्रीनगर रेल लिंक (यूएसबीआरएल) पर पूरी तरह से परिचालन शुरू होना भय पर विजय पाने और व्यक्तिगत बलिदान के साथ की गई तपस्या के पूरा होने जैसा था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कटरा से श्रीनगर के लिए ट्रेन का रवाना करना कुमार के लिए भावुक करने वाला क्षण था क्योंकि उन्होंने इस परियोजना के निर्माण के दौरान एक आतंकी हमले में अपने सहकर्मी को खो दिया था।

इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (इरकॉन) के इंजीनियर कुमार ने राष्ट्रीय राजमार्ग पर श्रीनगर से 100 किलोमीटर दूर स्थित बनिहाल रेलवे स्टेशन पर इस परियोजना से जुड़े अपने सफर को साझा किया।

कुमार ने ‘पीटीआई वीडियो’ को बताया, ‘‘इरकॉन में प्रबंधक के रूप में, मुझे शुरू में श्रीनगर में तैनात किया गया था और बाद में मेरा तबादला बारामूला और अनंतनाग में हुआ। मेरा मुख्य काम पटरियों, पुल, स्टेशन भवन, प्लेटफार्म और विद्युतीकरण की देखभाल करना था। उस समय, बाहर से बहुत कम लोग काम के लिए घाटी में आते थे।’’

कुमार ने कहा कि कश्मीर में स्थानीय लोग बहुत सहयोगी हैं और ‘‘अगर यहां से आतंकवाद को खत्म कर दिया जाए तो यह असली स्वर्ग बन जाएगा।’’

कुमार ने कहा, ‘‘मैं 2003 में यूबीएसआरएल परियोजना पर काम करने के लिए अपने गृह राज्य बिहार से कश्मीर आया था। शुरू में मैं बहुत डरा हुआ था। हर जगह सुरक्षा बल तैनात थे और बम विस्फोट हो रहे थे। मुझे यकीन नहीं था कि मैं लंबे समय तक काम कर पाऊंगा; लेकिन समय के साथ मुझे इसकी आदत हो गई और मैंने अपना काम जारी रखा।’’

कुमार ने कहा कि यहां दोबारा तैनात होने से पहले उनका कई बार कश्मीर से बाहर तबादला किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘आज परियोजना पूरी होते देख मुझे बहुत खुशी हुई।’’

कुमार ने वर्ष 2004 में मेरठ के 30 वर्षीय सहकर्मी सुधीर कुमार पुंडीर की मृत्यु को याद करते हुए कहा कि उनका दक्षिण कश्मीर के अवंतीपुरा स्थित एक रेलवे निर्माण स्थल से अपहरण कर लिया गया था और बाद में पुलिस ने उनकी लाश मिली तथा उनके गले को रेता गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमेशा मेरे मन में रहेगी। पुंडीर ड्यूटी पर थे, जब उन्हें रेलवे निर्माण स्थल से अगवा किया गया।’’

कश्मीर में काम करने से जुड़े खतरों से भयभीत इरकॉन इंजीनियर ने कहा कि उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर अपने पैतृक स्थान वापस जाने का निर्णय ले लिया था।

कुमार ने कहा, ‘‘लेकिन काम की प्रतिबद्धता ने मुझे परियोजना के बीच में छोड़ने की अनुमति नहीं दी… अगर कश्मीर से आतंकवाद को खत्म कर दिया जाए तो यह जगह स्वर्ग है।’’

उन्होंने परियोजना के पूरा होने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि वह इस ऐतिहासिक प्रयास से जुड़कर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

कुमार ने कहा, ‘‘मैं बता नहीं सकता कि मैं अभी कितना खुश हूं। यह एक असंभव सपना था और हमने कई बार इसे पूरा करने की उम्मीद छोड़ दी थी। आज आखिरकार ट्रेन चल पड़ी है और यह हम सभी के लिए गर्व का क्षण है। मैं सरकार का आभारी हूं कि उसने हमें लगातार प्रेरित किया।’’

भाषा धीरज प्रशांत

प्रशांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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