नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी ऑनलाइन योजनाओं में से एक नेशनल करिअर सर्विस पोर्टल पर सितंबर 2019 में करीब 1 करोड़ 5 लाख बेरोजगार युवाओं ने रजिस्ट्रेशन कराया है. जबकि इस पोर्टल पर नौकरी देने वाली कंपनियों की संख्या 7,813 है. जो कि घटती-बढ़ती रहती हैं. इन 1 करोड़ 5 लाख युवाओं के लिए महज 3 लाख 61 हजार रिक्तियां ही उपलब्ध हैं.
गौरतलब है कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा संचालित इस पोर्टल को जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया के बीच एक कड़ी के तौर पर लॉन्च किया था. इसका उद्देश्य बेरोजगार युवाओं को नौकरियों के विकल्प देने के साथ-साथ उन्हें ट्रेनिंग और काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध कराना भी था.
फरवरी 2018 में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक लॉन्च होने के एक साल बाद इस पोर्टल पर 47,000 तो साल 2016-2017 में 5.17 लाख व 2016-2017 में 2.45 लाख नौकरियां पोस्ट की गई थीं. कुल मिलाकर 4 साल बाद ये पोर्टल महज 11 लाख नौकरियों का ही सृजन कर पाया है.
नौकरी खोजने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ी
पिछले सालों की तुलना में इस पोर्टल पर बेरोजगारों और नौकरी खोजने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ी है. जैसे 2016-17 में 22.66 लाख, 2017-18 में 38.90 लाख लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया जो इस साल बढ़कर एक करोड़ के करीब हो गए हैं.
एक तरफ बेरोजगारों की संख्या में इजाफा हुआ है तो दूसरी तरफ नौकरियों के विकल्प कम हुए हैं. पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि जून 2019 के महीने में उपलब्ध 4 लाख नौकरियां जुलाई में घटकर 3 लाख पर आ गई हैं.
विधानसभा चुनाव वाले राज्यों के क्या हैं हाल?
हरियाणा में 38,330 वैकेंसी हैं तो महाराष्ट्र में 58,892 वैकेंसी हैं. 2015 से लेकर अब तक हरियाणा में नौकरियां देनी वाली केवल 582 कंपनियां ही रजिस्टर्ड हुई हैं. सबसे कम वैकेंसी दादर एवं नगर हवेली (1002) में हैं. इसके अलावा वॉटर सप्लाई, सीवेज और वेस्ट मैनेजमेंट, माइनिंग, घरेलू मदद के सेक्टर में सबसे कम नौकरियां उपलब्ध हैं. वहीं आईटी सेक्टर और स्पेशलाइज्ड प्रोफेशनल कोर्स में सबसे ज्यादा वैकेंसी हैं.
अगर महिलाओं की बात करें तो उनके लिए 3,329 नौकरियां उपलब्ध हैं. दिव्यांगों के लिए 7,668 तो एक्स सर्विस मैन के लिए 17,038 हैं.
क्या है नेशलन करिअर सर्विस?
नेशनल रोजगार सर्विस, यूपीए सरकार के दौरान चलाई गई एक योजना थी. देशभर में फैले 978 रोजगार एक्सचेंजेज का एक नेटवर्क था. बाद में मोदी सरकार में इसका नाम बदलकर नेशनल करिअर सर्विस रख दिया गया. 100 करोड़ रुपए की लागत और भारी पब्लिसिटी के साथ लॉन्च हुए इस पोर्टल का उद्देश्य था कि इससे रोजगार मेले लगाए जाएंगे, बेरोजगारों की काउंसलिंग और समाज के पिछड़े तबकों को गाइडेंस दी जाएगी.
इस पोर्टल का काम देशभर में जॉब फेयर कराने वाली संस्था की मदद करना भी होगा ताकि कंपनियों और बेरोजगारों के बीच संवाद स्थापित हो सके. इसके लिए 1800-425-1514 नाम की एक हेल्पलाइन भी शुरू की गई थी जो मंगलवार से रविवार तक काम करती है.
मंत्रालय के पास नहीं है एनसीएस से मिले रोजगार के आंकड़े
संसद में दिए एक जवाब में केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार बता चुके हैं कि मंत्रालय के पोर्टल पर रजिस्टर की गई वैकेंसी का ही रिकॉर्ड रखता है. इसके जरिए बेरोजगारों को मिलने वाली नौकरियों की जानकारी का रिकॉर्ड मंत्रालय के पास नहीं है. मतलब कि अगर सितंबर 2019 में 3 लाख 61 हजार वैकेंसी निकली हैं तो इसका मतलब ये नहीं है कि बेरोजगारों को इतनी नौकरियां मिल भी गई हैं.
इस पोर्टल पर 52 से ज्यादा सेक्टर और 3700 से अधिक तरह की नौकरियों की बात की गई थी. ध्यान देने वाली बात ये है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग को नौकरी के तौर पर नहीं रखा गया है. हाल ही में यूजर्स की सुविधा के लिए पोर्टल में कुछ फेरबदल भी किया गया है.