नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में सोमवार रात गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल सहित 20 सैनिक शहीद हो गए. पिछले पांच दशक से भी ज्यादा समय में सबसे बड़े सैन्य टकराव के कारण क्षेत्र में सीमा पर पहले से जारी गतिरोध और भड़क गया है.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हिंसा और मौत की खबरों पर चिंता जताई और दोनों पक्षों से ‘अधिकतम संयम’ बरतने का आग्रह किया.
इस घटना के बाद से राजनीतिक हलकों से भी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस घटना पर दुख जताते हुए मंगलवार को कहा कि देश की सुरक्षा और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हम सब साथ खड़े हैं.
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘लद्दाख की गलवान घाटी में हमारी सेना के अधिकारी और जवानों की शहादत पर बहुत दुख और गहरी पीड़ा हुई है. उनके अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान को नमन है. उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है.’
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘शब्द उस दर्द का वर्णन नहीं कर सकते हैं जो मैं उन अधिकारियों और पुरुषों के लिए महसूस करता हूं जिन्होंने हमारे देश के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया. उनके सभी चाहने वालों के प्रति मेरी संवेदना. हम इस कठिन समय में आपके साथ खड़े हैं.’
Words cannot describe the pain I feel for the officers and men who sacrificed their lives for our country.
My condolences to all their loved ones. We stand with you in this difficult time.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2020
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, ‘हम एलएसी पर चीनी और भारतीय सेना की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. हमें पता चला है कि भारतीय सेना ने 20 जवानों के मारे जाने की पुष्टि की है. हम उनके परिवारों के प्रति संवेदना रखते हैं.’
सेना ने शुरू में मंगलवार को कहा कि एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए. लेकिन, देर शाम बयान में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक ‘जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है. इससे शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है.’
सरकारी सूत्रों ने कहा है कि चीनी पक्ष के सैनिक भी ‘उसी अनुपात में’ हताहत हुए हैं.
वर्ष 1967 में नाथू ला में झड़प के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह सबसे बड़ा टकराव है. उस वक्त टकराव में भारत के 80 सैनिक शहीद हुए थे और 300 से ज्यादा चीनी सैन्यकर्मी मारे गए थे. इस क्षेत्र में दोनों तरफ नुकसान ऐसे वक्त हुआ है जब सरकार का ध्यान कोविड-19 संकट से निपटने पर लगा हुआ है.
सेना के एक बयान में कहा गया, ‘भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच गलवान क्षेत्र में जिस स्थान पर 15/16 जून की रात झड़प हुई, वहां से दोनों तरफ के सैनिक हट गए हैं.’
इसमें यह नहीं बताया गया है कि सैन्यकर्मी किस प्रकार हताहत हुए हैं और दोनों पक्षों के बीच किसी तरह के गोलाबारी का भी उल्लेख नहीं किया गया है. भारतीय सेना के सूत्रों ने बताया कि झड़प में हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया गया और अधिकतर जवान चीनी पक्ष द्वारा किए गए पथराव और लोहे की छड़ों के इस्तेमाल के कारण घायल हुए.
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झड़प में घायल हुए अधिकारी की पहचान 16वीं बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग अधिकारी कर्नल संतोष बाबू के तौर पर हुई. वह तेलंगाना के निवासी थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उच्च स्तरीय बैठक की. इस बैठक में पूर्वी लद्दाख में स्थिति की समग्र समीक्षा की गयी.
यह समझा जा रहा है कि भारत ने 3500 किलोमीटर की सीमा पर चीन के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए दृढ़ रुख जारी रखने का फैसला किया है.
सैन्य सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में चीनी वायु सेना की बड़ी गतिविधियां देखी गयी है. दोनों देशों की सेनाओं ने झड़प के स्थान पर मेजर जनरल स्तरीय वार्ता की है.
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प क्षेत्र में ‘यथास्थिति को एकतरफा तरीके से बदलने के चीनी पक्ष के प्रयास’ के कारण हुई.
चीन की सरकारी मीडिया ने मंगलवार को चीनी सेना के हवाले से दावा किया कि गलवान घाटी क्षेत्र पर उसकी ‘हमेशा’ संप्रभुता रही है और आरोप लगाया कि भारतीय सैनिकों ने ‘जानबूझकर उकसाने वाले हमले किए’ जिस कारण ‘गंभीर संघर्ष हुआ और सैनिक हताहत हुए.’
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)