नई दिल्ली: नागालैंड की स्थिति काबू होती नजर नहीं आ रही है. अब गृहमंत्रालय ने यहां आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 यानी AFSPA को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इसके अलावा सरकार ने नागालैंड की स्थिति को ‘अशांत और खतरनाक’ करार दिया है. AFSPA को लेकर राज्य में विरोध हो रहा था और इसे हटाने की मांग की जा रही थी. अब जब सरकार ने इसे 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है तो राज्य में विरोध की स्थिति पैदा होने की संभावना बढ़ गई है.
केंद्र सरकार ने पूरे नागालैंड को ‘अशांत और खतरनाक’ क्षेत्र इलाक घोषित किया है और कहा है कि नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सशस्त्र बलों के इस्तेमाल जरूरी है.
क्या है AFSPA?
AFSPA के तहत सेना एक ही जगह पर पांच या इससे ज्यादा लोगों को एकत्रित होने से रोक सकती है. इस कानून के तहत सेना को चेतावनी देकर गोली मारने का, बिना वारंट गिरफ्तारी का, बिना वारंट घर में घुसकर तलाशी लेने का अधिकार देता है.
इसके अलावा इस कानून के तहत सेना को गोली चलाने के लिए किसी के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ता और गोली से किसी की मौत होती है तो सैनिक पर हत्या का मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता है. वहीं अगर राज्य सरकार या पुलिस प्रशासन, किसी सैनिक या सेना की टुकड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराती है तो कोर्ट में उसके अभियोग के लिए केंद्र सरकार की इजाजत की जरूरत होती है.
आम नागरिकों की हुई थी हत्या
कुछ दिनों पहले नागालैंड सुरक्षाबलों की गोलियों से कुछ आम नागरिकों की मौत हो गई थी जिसके बाद राज्य में राज्य में विरोध होने लगा और इस कानून को हटाने की मांग की जाने लगी. मुख्यमंत्री नेफियू रियो ने इस घटना की उच्चस्तरीय जांच कराए जाने का वादा किया था और समाज के सभी वर्गों से शांति बनाए रखने की अपील की थी.
इसके अलावा केंद्रीय गृह मंत्री मंत्री अमित शाह ने भी घटना पर दुख जताया था और कहा था कि नगालैंड के ओटिंग में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना से व्यथित हूं. राज्य सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय एसआईटी इस घटना की गहन जांच करेगी ताकि शोक संतप्त परिवारों को न्याय सुनिश्चित किया जा सके.
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