नयी दिल्ली, 30 मार्च (भाषा) मणिपुर में कानून-व्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (अफस्पा) को 13 पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में अगले छह महीने के लिए और लागू रखने का रविवार को फैसला किया गया।
अफस्पा अशांत क्षेत्रों में तैनात सशस्त्र बलों को व्यापक शक्तियां देता है और केंद्र की मंजूरी के बिना उनके खिलाफ मुकदमा चलाने पर रोक लगाता है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, अफस्पा के तहत किसी विशेष राज्य या उसके कुछ क्षेत्रों को ‘अशांत’ घोषित किया जाता है और इस कानून को नगालैंड के आठ जिलों व पांच अन्य जिलों के 21 पुलिस थाना क्षेत्रों में अगले छह महीने तक और लागू रखने का फैसला किया गया है।
अधिसूचना के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद राज्य के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिलों तथा नामसाई जिले के तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में भी इस कानून को एक अप्रैल से अगले छह महीने की अवधि के लिए जारी रखने का निर्णय लिया गया है।
अफस्पा की अक्सर एक कठोर कानून के रूप में आलोचना की जाती है। यह अशांत क्षेत्रों में कार्यरत सशस्त्र बलों को आवश्यकता पड़ने पर बिना मंजूरी के तलाशी लेने, गिरफ्तार करने और गोली चलाने की व्यापक शक्ति प्रदान करता है।
मणिपुर से जुड़ी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘मणिपुर में कानून-व्यवस्था की स्थिति का जायजा लेने के बाद केंद्र सरकार सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 (1958 का 28) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, पांच जिलों के निम्नलिखित 13 पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले इलाकों को छोड़कर पूरे मणिपुर राज्य को 01.04.2025 से अगले छह महीने की अवधि के लिए ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करती है।’’
अधिसूचना के अनुसार, मणिपुर के जिन पुलिस थाना क्षेत्रों में अफस्पा प्रभावी नहीं होगा, उनमें इंफाल वेस्ट जिले के इंफाल, लांफेल, सिटी, सिंगजामेई, पाटसोई और वांगोई थाना क्षेत्र; इंफाल ईस्ट जिले के पोरोम्पैट, हेइंगंग और इरिलबंग थाना क्षेत्र;थौबल जिले का थौबल थाना क्षेत्र; बिष्णुपुर जिले के बिष्णुपुर और नामबोल थाना क्षेत्र तथा काकचिंग जिले का काकचिंग थाना शामिल हैं।
भाजपा नेता एन बीरेन सिंह के नौ फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
पूरे मणिपुर (इंफाल नगरपालिका क्षेत्र को छोड़कर) को 2004 से 2022 की शुरुआत तक अशांत क्षेत्र घोषित किया गया था।
अप्रैल 2022 में मणिपुर सरकार ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि इंफाल वेस्ट जिले के सात पुलिस थाना क्षेत्र, इंफाल ईस्ट जिले के चार पुलिस थाना क्षेत्र और थौबल, बिष्णुपुर, काकचिंग तथा जिरीबाम जिलों के एक-एक पुलिस थाना क्षेत्र ‘‘अब अशांत श्रेणी’’ में सूचीबद्ध नहीं होंगे। मणिपुर में कुल 16 जिले हैं।
मणिपुर सरकार ने अक्टूबर 2024 में 19 पुलिस थाना क्षेत्रों को छोड़कर पूरे राज्य में अफस्पा फिर से लागू कर दिया था। एक महीने बाद, जिरीबाम जिले में हिंसा भड़कने के बाद इन 19 पुलिस थाना क्षेत्रों में से छह में भी अफस्पा का विस्तार कर दिया गया था।
मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहने वाले मेइती समुदाय और आसपास के पहाड़ों पर रहने वाले कुकी-जो समुदाय के लोगों के बीच मई 2023 में भड़की जातीय हिंसा में अब तक 260 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं।
गृह मंत्रालय ने एक अलग अधिसूचना में कहा कि नगालैंड में कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की गई, जिसके बाद राज्य के दीमापुर, निउलैंड, चुमौकेदिमा, मोन, किफिर, नोकलाक, फेक और पेरेन जिलों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत एक अप्रैल 2025 से अगले छह महीने के लिए ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करने का फैसला किया गया है।
मंत्रालय की ओर से जारी तीसरी अधिसूचना में कहा गया है कि अरुणाचल प्रदेश में भी कानून-व्यवस्था की स्थिति का जायजा लिया गया, जिसके बाद राज्य के तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग जिले और असम राज्य की सीमा से लगे नामसाई जिले के नामसाई, महादेवपुर और चौखाम पुलिस थाना क्षेत्र में आने वाले इलाकों को सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम, 1958 की धारा 3 के तहत एक अप्रैल 2025 से अगले छह महीने के लिए ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित किया जाता है।
पूर्वोत्तर के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में भी इस कानून को पूरी तरह से वापस लिए जाने की मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं।
मणिपुरी कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला ने इस कानून के विरोध में 16 वर्षों तक भूख हड़ताल की थी। उन्होंने नौ अगस्त 2016 को अपनी भूख हड़ताल खत्म कर दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों के 70 फीसदी क्षेत्रों से अफस्पा हटा दिया गया है, हालांकि यह जम्मू-कश्मीर में लागू है।
शाह ने यह भी कहा था कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में अफस्पा हटाने पर विचार करेगी।
भाषा धीरज पारुल
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