नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकारों की ओर से पैरवी करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. राजीव धवन ने मंगलवार को कहा कि उन्हें इस ‘मूर्खतापूर्ण’ आधार पर इस मामले से हटा दिया गया है कि वह अस्वस्थ हैं.
डॉ. राजीव धवन ने फेसबुक पर इस संबंध में एक पोस्ट लिखी है. उन्होंने कहा कि वह अब पुनर्विचार याचिका या इस मामले से किसी तरह से नहीं जुड़े हैं.
Advocate Rajeev Dhawan (who appeared for Sunni Waqf Board & other Muslim parties in Ayodhya case) on being sacked from Ayodhya case: I don't know what were their compulsions but they confirmed to me it was a sacking. Now they are saying that I was sick & unavailable, it is a lie. https://t.co/WzldL8xduw pic.twitter.com/lLltOLmbQ5
— ANI (@ANI) December 3, 2019
उन्होंने लिखा, ‘एओआर (एडवोकेट ऑन रिकार्ड) एजाज मकबूल, जो जमीयत का प्रतिनिधित्व करते हैं, द्वारा बाबरी प्रकरण से हटा दिया गया है. किसी आपत्ति के बगैर ही ‘बर्खास्तगी’ स्वीकार करने का औपचारिक पत्र भेज दिया है. पुनर्विचार या इस मामले से अब जुड़ा नहीं हूं.’
धवन ने आगे लिखा है, ‘मुझे सूचित किया गया है कि मदनी ने संकेत दिया है कि मुझे इस मामले से हटा दिया गया है क्योंकि मैं अस्वस्थ हूं. यह पूरी तरह बकवास है. उन्हें मुझे हटाने के लिये अपने एओआर एजाज मकबूल को निर्देश देने का अधिकार है जो उन्होंने निर्देशों पर किया है. लेकिन इसके लिये बताई जा रही वजह सही नहीं है.’
मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता वाले जमीयत उलेमा-ए-हिन्द ने अयोध्या मामले में शीर्ष अदालत के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर की है.
धवन ने कहा कि वह मुस्लिम पक्षकारों में फूट नहीं डालना चाहते थे.
राजीव धवन ने कहा, ‘मैंने एकजुटता के साथ सभी मुस्लिम पक्षकारों की ओर से इस मामले में बहस की थी और ऐसा ही चाहूंगा. मुस्लिम पक्षकारों को पहले अपने मतभेद सुलझाने चाहिए.’
वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि अस्वस्थ होने की वजह से उन्हें हटाये जाने के बारे में मकबूल द्वारा सार्वजनिक रूप से कहे जाने के बाद ही उन्होंने फेसबुक पर अपनी राय व्यक्त की.
उन्होंने कहा, ‘यदि मैं अस्वस्थ हूं तो फिर मैं दूसरे मामलों में यहां न्यायालय में कैसे पेश हो रहा हूं. मुस्लिम पक्षकारों के मसले के प्रति मेरी प्रतिबद्धता है लेकिन इस तरह का बयान पूरी तरह गलत है.’
पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नौ नवंबर को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुये केन्द्र को निर्देश दिया था कि अयोध्या में प्रमुख स्थल पर मस्जिद निर्माण के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाये.